असम में NRC और फॉरेन ट्रिब्यूनल की दर्दनाक दास्तां आई सामने, UAH ने पेश की ग्राउंड रिपोर्ट !


यूनाइटेड अगेंस्ट हेट की एक फैक्ट फाइंडिंग टीम ने हाल ही में NRC की अंतिम सूची की जमीनी हकीकत का पता लगाने के लिए असम का दौरा किया। असम में 19 लाख लोगों को विदेशी घोषित किया गया है और उनकी नागरिकता छीनने जा रही है जिसको लेकर असम में बैचेनी है और जिस पर पूरे देश में चर्चा है। फैक्ट फाइंडिंग टीम में UAH से नदीम खान, वरिष्ठ पत्रकार प्रशांत टंडन, पत्रकार संजय कुमार और अफ़रोज़ अहमद साहिल शामिल थे।

टीम के सदस्यों ने फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट की जानकारी मंगलवार को एक प्रेस कांफ्रेंस कर दी। उन्होंने उन समुदायों की भयावहता और पीड़ा के बारे में बात की, जो अंतिम एनआरसी सूची से हटा दिए गए थे। उन्होंने उन विदेशी ट्रिब्यूनलों की अक्षमता के बारे में भी बात की जो बाहर किए गए लोगों के दावे की फिर से जांच करने जा रहे हैं।

उन्होंने डिटेंशन सेंटर के बारे में भी बात की, जो दुर्भाग्य से उन मजदूरों द्वारा बनाए जा रहे हैं, जिन्हें स्वयं एनआरसी से बाहर रखा गया है और भविष्य में उन्हीं केंद्रों में जेल में रहना हो सकता है।

प्रेस कॉन्फ्रेंस में मानवधिकार कार्यकर्ता रवि नायर और सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता संजय हेगड़े और फ़ुजाइल अय्युबी थे। यह सभी ड्रेकोनियन NRC परियोजना के खिलाफ आवाज़ उठाते रहे हैं।

रवि नायर ने कहा, “लोग पूरे भारत में लोग नौकरियों के लिए पलायन करते हैं। इन गरीब मजदूरों के पास अक्सर दस्तावेजों की कमी होती है, लेकिन अब वे इस परियोजना को अखिल भारतीय बनाने की सोच रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के आगामी सत्रों में भारत को कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ेगा।” इस एनआरसी परियोजना द्वारा मानव अधिकारों के सार्वभौमिक पतन का भयानक रूप से उल्लंघन किया जा रहा है।

फ़ुजैल अय्यूबी ने कहा, “विदेशी ट्रिब्यूनल लोगों की मूल पहचान को छीन लेता है। एफटी का सामना करना अपने आप में एक उत्पीड़न है। इसके अलावा, एफटी में बैठे लोग, लाखों लोगों के जीवन के बारे में इस तरह के बड़े फैसले लेने के लिए सक्षम नहीं हैं। एफटी के भीतरकोई भी अपीलीय प्राधिकरण मौजूद नहीं है । इस परियोजना को और अधिक अमानवीय बनाने  का प्रयास नहीं करना चाहिए।

नदीम खान ने  कहा कि यह असम विधानसभा में रिकॉर्ड पर है कि सीएम ने दो बार निर्देश देने के लिए एफटी सदस्यों से मुलाकात की है। यह खुद विदेशी ट्रिब्यूनल की निष्पक्ष न्यायिक प्रकृति पर सवाल उठाता है।

संजय हेगड़े ने कहा, “जब SC अंतिम निर्णय देता है तो यह अक्सर गलत होता है। नागरिकता मानव का अधिकार है, जिसे खुद NRC के माध्यम से सवालों में डाला गया है। पीढ़ियों से वंशजों को अब अपनी नागरिकता साबित करने के लिए कागजात दिखाने को कहा जाता है। NRC सूची में से कोई भी यह साबित नहीं करता है कि कोई भारतीय नागरिक नहीं है। असम में कई लोगों के दिमाग में, सभी बंगाली मुसलमान बांग्लादेशी हैं, जो बिल्कुल निराधार है। NRC में उल्लिखित 20 लाख लोगों के पीछे, 20 लाख परिवार हैं। इससे असमानता और एक मानवीय मानवीय संकट पैदा होगा जो पूरे लोकतंत्र को खतरे में डाल देगा।

आखिर में फैक्ट फाइंडिंग टीम के सदस्य अफरोज अहमद साहिल द्वारा तैयार “असम में स्टेटलेस ऑफ स्टेट” नामक एक डॉक्यूमेंटरी का भी प्रदर्शन किया गया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *