राजस्थान

क्या SIT जाँच से मिलेगा पहलु खान को इन्साफ ! और बीजेपी को इससे क्या परेशानी है !

By khan iqbal

August 19, 2019

1 अप्रैल 2017 को राजस्थान के अलवर में बहरोड़ के पास कुछ लोगों ने पालने के लिए जयपुर से गाय ले जा रहे पहलू ख़ान को मार दिया था!

उसके बाद पहलू ख़ान की मौत हो गई थी अब लगभग दो साल के बाद जो फ़ैसला आया उसमें सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया है!

सात आरोपियों के ख़िलाफ़ चार्जशीट दाख़िल की गई थी पुलिस के द्वारा दाख़िल चालान के तहत सुनवाई की जा रही थी!

अलवर की अदालत ने पहलू ख़ान की लॉन्चिंग के सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया है अब सवाल यह है कि आख़िर पहलू ख़ान को मारा किसने था राजस्थान में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद दाख़िल किए गए चालान पर भी लगातार सवाल उठे थे उसमें मृतक पहलू ख़ान को ही आरोपी बना दिया गया था!

पहलू खान मॉब लिंचिंग केस में कुल 9 आरोपियों के खिलाफ जांच चली. इनमें से बुधवार को कोर्ट 6 आरोपियों का फैसला सुनाया. विपिन यादव, रविन्द्र कुमार, कालूराम, दयानंद, योगेश कुमार उर्फ धोलिया और भीम राठी को लेकर यह फैसला सुनाया गया.

दरअसल, आरोपी दीपक उर्फ गोली को कोर्ट ने नाबालिग माना है. अब मामले में कुल 3 आरोपियों को बाल अपचारी मानते हुए इनका ट्रायल जेजे बोर्ड में चलेगा.

अब जैसे ही पहलू ख़ान प्रकरण में आरोपियों को बरी किया गया राजस्थान में कांग्रेस और BJP आमने सामने हैं !!

अशोक गहलोत ने भाजपा की पिछली सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि “प्रकरण ने पूरे देश को हिला कर रख दिया और जिस प्रकार की लापरवाहियां पिछली सरकार ने की वो कोई सोच नहीं सकता। लापरवाही करने की हदें पार कर गए उसके कारण संदेह का लाभ देते हुए कोर्ट ने मुजरिमों को बरी कर दिया। जो कमी उन्होंने रखी उसे दूर करने के लिए हमने SIT का गठन किया है! “

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने भी ट्वीट कर इस मामले में अपनी प्रतिक्रिया दी थी!

 SIT गठन के बाद अब क्या वाक़ई पहलू ख़ान को इंसाफ़ मिल पाएगा यह तो SIT की जाँच पूरी होने के बाद ही पता चलेगा लेकिन इस मामले ने पिछली सरकार की उदासीनता को जगजाहिर कर दिया!

हालाँकि राजस्थान सरकार मोब लिंचिंग पर एक कठोर बिल लाई है इस बिल पर भी भारतीय जनता पार्टी ने कई सवाल खड़े किए हैं !एक विधायक का तो यहाँ तक कहना था कि यह बिल बहुसंख्यकों के विरुद्ध है!

विधेयक पर बहस के दौरान, विपक्ष के नेता गुलाब चंद कटारिया ने कहा कि भारतीय दंड संहिता में पहले से ही अपराधियों को दंडित करने के लिए पर्याप्त प्रावधान थे, जबकि विधेयक ने सिर्फ दो व्यक्तियों को एक भीड़ के रूप में वर्णित करके एक महत्वपूर्ण परिभाषा को बदल दिया था।

उन्होंने आरोप लगाया कि विधेयक एक विशेष समुदाय को खुश करने के लिए लाया गया था। भाजपा के अन्य विधायकों ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने केवल एक कानून बनाने के लिए संसद में सिफारिश की थी और इसने आईपीसी के संबंधित प्रावधानों का खंडन किया था।

भाजपा विधायक और जयपुर के पूर्व मेयर अशोक लाहोटी ने कहा कि विधेयक “गौ तस्करों के पक्ष में” प्रतीत हो रहा है और बहुसंख्यक समुदाय के खिलाफ एक कदम के रूप में लाया गया है।