सरकारी नौकरियों में आरक्षण का दावा करना मौलिक अधिकार नहीं है-सुप्रीम कोर्ट


SC-ST आरक्षण पर एक बार फिर बहस शुरू हो गई है इस बार ये बहस सुप्रीम कोर्ट के एक निर्देश पर विवाद के बाद हुई है !

जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि नियुक्तियों में आरक्षण देने का अधिकार सरकारों के पास है यह उनकी इच्छा पर निर्भर करता है!

जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस हेमंत गुप्ता की बेंच ने शुक्रवार को कहा कि कोई अदालत राज्य सरकारों को SC और ST लोगों को आरक्षण देने का निर्देश नहीं जारी कर सकती है.

सरकारी नौकरियों में आरक्षण का दावा करना मौलिक अधिकार नहीं है. कोर्ट के इस फैसले के बाद से ही राजनीतिक बयानबाजी शुरू हो गई है.

अब संसद में भी इस मुद्दे को विपक्षी पार्टियां उठा रही हैं.

इस पर कांग्रेस पार्टी सरकार को घेर रही है और वह इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका लगाने का दबाव बना रही है! इस पर संसद में एक स्थगन प्रस्ताव लाने का भी विचार कर रही है!

सप्रीम कोर्ट ने कहा है कि प्रमोशन में आरक्षण मौलिक अधिकार नहीं है!

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि”

“RSS-BJP की विचारधारा आरक्षण के खिलाफ है. वह किसी न किसी तरीके से रिजर्वेशन को हिंदुस्तान के संविधान से निकालना चाहते हैं.

पहले उन्होंने रविदास मंदिर तोड़ा, क्योंकि ये लोग SC-ST कम्युनिटी को आगे नहीं बढ़ने देना चाहते हैं.”

वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल ने आरक्षण पर सर्वोच्च न्यायलय का इस निर्देश को आरक्षण पर अब तक का सबसे बड़ा फ़ैसला बताया है!

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