क्या गहलोत पायलट दिला पाऐंगे रामगढ़ विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को जीत

-अशफ़ाक़ कायमखानी

रामगढ़ विधानसभा चुनाव अशोक गहलोत सरकार की पहली कठीन परीक्षा होगी।
आम विधानसभा चुनाव के समय अलवर जिले की रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र के बसपा उम्मीदवार लक्ष्मणसिंह की मृत्यु के बाद स्थगित हुये चुनाव अब 28-जनवरी को होने जा रहे है। जिसमे बसपा ने अब अपना उम्मीदवार पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह के पुत्र पूर्व विधायक जगतसिंह को बनाया है। जबकि कांग्रेस की उम्मीदवार पूर्व जिला प्रमुख सफीया खान व भाजपा के उम्मीदवार सुखवंत सिंह सहित अन्य उम्मीदवारों को मिलाकर कुल बीस उम्मीदवार मेदान मे है। लेकिन प्रमुख मुकाबला कांग्रेस-भाजपा व बसपा के मध्य होना तय है। राजस्थान मे अशोक गहलोत के नेतृत्व मे बनी कांग्रेस सरकार के लिये रामगढ़ चुनाव पहली कड़ी परीक्षा मानी जा रही है।
रामगढ़ विधानसभा से तीन दफा विधायक बन चुके वर्तमान भाजपा विधायक ज्ञानदेव आहुजा को टिकट ना देकर उनकी जगह भाजपा ने सुखवंत सिंह को उम्मीदवार बनाया है। जबकि कामा से भाजपा विधायक जगतसिंह का भाजपा से टिकट काटने के बाद वो अब बसपा की टिकट लेकर रामगढ़ से चुनावी मैदान मे आ खड़े हुये है। कांग्रेस नेता व पूर्व विधायक जुबेर खान के लगातार दो दफा चुनाव हारने पर कांग्रेस ने उनके बजाय उनकी पत्नी सफीया खान को इस बार पहली दफा उम्मीदवार बनाया है। सफीया अलवर की जिला प्रमुख भी रह चुकी है।
हालांकि अक्सर देखा गया है कि इस तरह के चुनावों के परिणाम सत्तारूढ़ दल के पक्ष मे ही आते रहे है। लेकिन चुनाव , चुनाव ही होते है। पता नही ऊंट किस करवट बैठ जाये। रामगढ़ के इस चुनाव का परिणाम अगर कांग्रेस के पक्ष मे आता है तो जनता मे कांग्रेस के प्रति झुकाव बने होने का संदेश जायेगा। जिस झुकाव का सरकार के स्थाईत्व पर सकारात्मक असर डलते हुये 200 मे से अकेले कांग्रेस की सो सीट हो जायेगी। अगर इसके विपरीत कांग्रेस चुनाव हार जाती है तो भाजपा कांग्रेस के खिलाफ बडा माहोल बनाते हुये जनता का कांग्रेस से मोहभंग होने का मुद्दा बनाकर लोकसभा चुनावों मे लाभ उठाने का भरसक प्रयास करेगी। बसपा उम्मीदवार जगतसिंह जितने ज्यादा वोट खींचेंगे उतना नुकसान कांग्रेस को होगा। लेकिन मुख्य मुकाबला आज भी कांग्रेस व भाजपा के मध्य फिलहाल होता साफ नजर आ रहा है। भाजपा व उससे जुड़े संगठनों के कार्यकर्ताओ ने अपनी पूरी ताकत इस चुनाव मे मौत व जीवन की तरह लगा रखी है। वहीं कांग्रेस भी अपनी जीत पक्की करने के सारे जतन करने में लगी हुई है।

मोबलिंचींग व गोपालको को गोतस्कर बताकर रकबर व पहलू खान की हत्याऐ करने के अलावा सगीर को गोतस्कर मानकर उसको लोगो द्वारा बूरी तरह पीटने से ग्यारह विधानसभा क्षेत्र वाले अलवर जिले का माहोल कुछ संगठनों द्वारा हिन्दू मुसलमान के नाम पर बनाने की लगातार कोशिशो का असर करीब अढाई लाख मतदाताओं मे से सत्तर हजार मुस्लिम मतदाताओं वाले रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र मे भी धिरे धिरे बनता नजर आ रहा है। कुछ संगठन इस जिले को हिन्दुत्व की प्रयोगशाला के तौर पर भी देखते है।
कुल मिलाकर यह है कि मतदान मे अभी दस दिन का समय बाकी है। लेकिन कांग्रेस भाजपा व बसपा जैसे प्रमुख तीनो दलो के उम्मीदवारों ने अपनी पूरी ताकत को चुनावों मे झोंक कर हर हाल मे बाजी अपने पक्ष मे करने मे लगे हुये है। ज्यो ज्यो समय गुजरेगा त्यो त्यो दलो के नेताओं का पड़ाव व सभा करने का सिलसिला परवान चढ़ता जायेगा। चाहे परीणाम इस चुनाव का कुछ भी आये लेकिन भाजपा अपनी सीट को बरकरार रखने की व कांग्रेस भाजपा से यह सीट छिनने की भरपूर कोशिश कर रहे है। वही बसपा दोनो दलो को हराकर अपना परचम लहराने की कोशिश करेगी। 2013 के आम विधानसभा चुनाव मे भी चूरु क्षेत्र से बसपा उम्मीदवार के देहांत होने पर चुनाव स्थगित होने के बाद फिर से नये तौर पर बसपा उम्मीदवार के चुनावी मैदान मे आने पर परीणाम सत्तारूढ़ हो चुकी भाजपा सरकार के पक्ष मे आकर भाजपा के राजेंद्र राठोड विधायक बने थे। अब चूरु वाली ही स्थिति रामगढ़ मे बनती नजर आ रही है।

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