राजस्थान सरकार में मुसलमानों की अनदेखी से नाराज़ प्रतिनिधिमंडल ने की पायलट से मुलाकात


राजस्थान की कांग्रेस सरकार में मुसलमानों की अनदेखी करने का मुद्दा अब ज़ोर पकड़ता जा रहा है. कुछ दिन पहले कांग्रेस के पूर्व मंत्री दुर्रू मियां ने कांग्रेस प्रदेश प्रभारी अजय माकन, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और अन्य कांग्रेसी नेताओं को पत्र लिखकर सत्ता और संगठन में मुसलमानों की अनदेखी का मुद्दा उठाया था. अब राजस्थान के मुस्लिम समुदाय के एक प्रतिनिधिमंडल ने पूर्व प्रदेशाध्यक्ष और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट से मिलकर सत्ता और संगठन में मुसलमानों की हो रही अनदेखी पर नाराज़गी का इज़हार किया है. प्रतिनिधि मंडल ने सचिन पायलट से उनकी बात कांग्रेस हाईकमान तक पहुंचाने की अपील की है.

प्रतिनिधि मण्डल ने अजमेर में हुई मोबलिंचिंग की घटना में अब तक कोई ठोस कार्यवाही नही होने, सरकारी मनोनयन सहित विभिन्न स्तर पर सरकार द्वारा समुदाय की उपेक्षा करने, मुस्लिम समुदाय से संबंधित बोर्ड-निगम और आयोगों का अब तक गठन नही होने सहित अनेक मुद्दों को लेकर पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट से जयपुर में उनके निवास पर 24 अगस्त मंगलवार को मुलाकात कर पार्टी हाईकमान तक उनकी बात पहुंचाने का आग्रह किया.

प्रतिनिधि मंडल में शामिल जमाते इस्लामी हिंद राजस्थान के प्रदेश सचिव नईम रब्बानी ने बताया कि हमनें जयपुर और राजस्थान के ताल्लुक से एक मांग पत्र सचिन पायलट को दिया है जिसमें मुस्लिम समुदाय को लेकर हमारी जो भी मांग है वो हक़ और इंसाफ की मांग है।

रब्बानी ने बताया कि जब भी मुस्लिम को प्रतिनिधित्व देने के बात आती है कांग्रेस मुसलमानों के साथ धोखा करती है। मेयर के चुनाव में भी राजस्थान के 6 नगर निगम में से किसी एक जगह से भी मुसलमान को मेयर नहीं बनाया गया जबकि कांग्रेस मुस्लिम बाहुल्य वार्डों में जीत दर्ज कर के ही मेयर बना पाई है।

रब्बानी ने बताया कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने पूर्व कार्यकाल में जोधपुर में मौलाना आजाद यूनिवर्सिटी को 10 करोड़ रूपये देने की घोषणा की थी लेकिन उस घोषणा पर अब तक भी कोई अमल नहीं हुआ है। जबकि मुख्यमंत्री खुद जोधपुर से ही आते हैं और वहां की मुस्लिम बाहुल्य सीट से ही चुनाव जीत कर मुख्यमंत्री बने हैं।

नईम रब्बानी ने बताया कि हमनें सचिन पायलट को इस बात से भी आगाह कर दिया है कि मुसलमानों की अनदेखी करने की वजह से अगर राजस्थान में भी समुदाय के लोगों का कांग्रेस से मोह भंग हो गया तो यहां भी पार्टी की हालत यूपी,दिल्ली,बिहार, बंगाल जैसी हो जाएगी। हमनें पायलट को इस बात का भी आग्रह किया है कि वो सांप्रदायिक ताकतों से सावधान रहें और ऐसी किसी पार्टी में जाने का विचार ना बनाएं।

सचिन पायलट के विधानसभा क्षेत्र टोंक के सामाजिक कार्यकर्ता मोहसिन रशीद ने बताया कि प्रतिनिधि मंडल की सचिन पायलट के साथ जयपुर में सिविल लाइंस स्थित उनके निवास पर एक राउंड टेबल मीटिंग हुई. मीटिंग में प्रदेश के मुसलमानों केे हालात पर राजस्थान की अलग अलग जगहों से आए मुस्लिम लीडरों नेे सचिन पायलट के साथ चर्चा की और उन्हे राजस्थान में मुसलमानो को पेश आ रही परेशानियो के बारे में बताया.

मोहसिन रशीद ने बताया कि हमनें कांग्रेस संगठन और सरकार की नियुक्तियों में मुसलमानों की उपेक्षा करने से जो नाराज़गी मुसलमानो में है उस पर उनका ध्यान दिलाया. उन्होंने बताया कि हमनें अजमेर की घटना पर कांग्रेस नेताओं की चुप्पी से जो नुकसान कांग्रेस को हो सकता है उसका एहसास भी कराया है. हमनें उन्हें यह भी बताया है कि ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम भी राजस्थान में दस्तक दे रही है.

मोहसिन रशीद कहते हैं कि हमने उन्हें आगाह कर दिया है कि राजस्थान में अगर एक बार मुस्लिम वोट कांग्रेस से टूटा तो फिर अगले 10 साल तक राजस्थान में कांग्रेस की सरकार बन पाना मुश्किल होगा. हमनें उनसे यह भी मांग की है कि आने वाले राज्यसभा चुनाव में किसी स्थानीय मुस्लिम लीडर को प्रत्याशी बनाया जाए. साथ ही मुसलमानों को राजस्थान में उनकी 10% आबादी के अनुसार कम से कम 20 टिकट विधानसभा चुनाव में दिए जाए. साथ ही यह भी कहा की राजस्थान में जो विधानसभा सीटें मुस्लिम बाहुल्य है वहा से सिर्फ मुस्लिम उम्मीदवार को ही कांग्रेस का टिकट दिया जाए.

मोहसिन रशीद कहते हैं कि पूर्व डिप्टी सीएम ने हमारी बातों को गौर से सुना और तमाम बातों को सोनिया गांधी या राहुल गांधी तक पहुंचाने का वादा किया है.उम्मीद है जल्दी ही राजस्थान के मुसलमानो को कांग्रेस संगठन और सरकार में उनका हक जरूर मिलेगा. सचिन पायलट ने प्रतिनिधि मंडल को यह विश्वास भी दिलाया की मुस्लिम समुदाय की समस्याओं को सुनने के लिए उनका निवास हमेशा खुला हुआ है.

उर्दू शिक्षक संघ के अध्यक्ष अमीन कायमखानी ने बताया कि हमनें सरकार द्वारा मदरसा तालीम व उर्दू भाषा को खत्म करने की सरकारी नीति पर भी खुलकर विचार व्यक्त किये.

कायमखानी ने बताया कि हम नॉन पोलिटिकल लोग हैं और हम बस यही चाहते हैं की सरकार बनने से पहले कांग्रेस ने मुसलमानों के लिए जो वादे अपने घोषणा पत्र में किए थे उनको पूरा किया जाए. उन्होंने बताया कि कांग्रेस ने मदरसा पैरा टीचर्स को नियमित करने का वादा अपने घोषणा पत्र में किया था लेकिन अब तक उस वादे पर भी कोई अमल नहीं हुआ है.

प्रतिनिधि मंडल में शामिल अन्य लोगों ने सरकार गठन से लेकर अब तक सरकारी स्तर पर मुस्लिम समुदाय की उपेक्षा का सिलसिलेवार जिक्र करते हुये कहा कि अब फरियाद लेकर मुख्यमंत्री निवास तक जाना भी मुश्किल हो चुका है. उन्होंने अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कोरोना के बाद से अपने निवास पर ही रहते हैं और उन्होंने लोगों से मिलना जुलना भी बंद कर दिया है. जिससे एक तरह से समुदाय के लोगों के लिये मुख्यमंत्री के सरकारी आवास की इंट्री बंद सी हो गई है.

प्रतिनिधि मंडल के सदस्यों ने सचिन पायलट को कांग्रेस की सरकार में भी विभिन्न संवैधानिक पदो पर मुस्लिम समुदाय को प्रतिनिधित्व नही देने की बात भी कही. साथ ही अभी तक मुस्लिम समुदाय से समबन्धित बोर्ड-निगम व आयोग का गठन तक नही किया गया है.

प्रतिनिधि मंडल के सदस्यों ने कहा कि प्रदेश मे मुसलमानों के साथ हो रही मोबलिंचिंग, सांप्रदायिक हिंसा और नाइंसाफी के खिलाफ कोई ठोस कार्यवाही नही हो रही है. उन्होंने यह भी कहा कि सरकार की नीतियों व मुख्यमंत्री की कार्यशैली से मुस्लिम समुदाय में पनप रहे असंतोष से खासतौर पर समुदाय का युवा वर्ग एआईएमआईएम की तरफ आकर्षित हो सकता है जिसका बड़ा नुकसान आने वाले चुनावों में कांग्रेस को उठाना पढ़ सकता है.

प्रतिनिधि मण्डल में शामिल महिलाओं ने भी अपनी बात रखते हुये राजस्थान की कांग्रेस सरकार की मुस्लिम विरोधी नीति पर सवाल खड़े किये. गौरतलब है कि राजस्थान मे दिसंबर 2018 में कांग्रेस सरकार के गठन से लेकर अब तक न्यायालय मे अतिरिक्त महाधिवक्ताओ के मनोनयन, राजस्थान पब्लिक सर्विस कमिशन, कर्मचारी चयन आयोग, लोकायुक्त, सुचना आयुक्त, मानवाधिकार आयोग सहित अनेक संवैधानिक पदो में मुस्लिम प्रतिनिधित्व को नकारा गया है. जबकि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनाने में मुसलमानों का अहम किरदार है.

प्रतिनिधि मंडल में यह लोग शामिल रहे

प्रतिनिधि मण्डल में राजस्थान के मुस्लिम समुदाय के विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिष्ठित लोग शामिल थे. प्रतिनिधि मण्डल की खासियत यह थी कि उसमे राजनीति से जुड़े लोगो के मुकाबले समुदाय के सामाजिक कार्यकर्त्ता, पत्रकार, धार्मिक विद्वान और मुस्लिम महिलाऐं भी शामिल थी.

प्रतिनिधि मंडल में मुजफ्फर भारती ( महासचिव मुस्लिम यूनाइटेड फोरम राजस्थान), मोहसिन रशीद टोंक (सह संयोजक कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग राजस्थान), अल-हज सैयद फकर काज़मी चिश्ती (चीफ खादिम दरगाह ख्वाजा साहब अजमेर), डॉ. अशफाक मजीद खान (एमबीबीएस, एमडी), डॉ समीना अंजुम खान (एमबीबीएस), हाजी सैयद इमरान चिश्ती (गद्दी नशीन दरगाह ख्वाजा साहब अजमेर), सैयद अकील चिश्ती (अंजुमन सैयदज़ादगन अजमेर), सैयद मंजूर अली (राजकीय अधिवक्ता अजमेर), सैयद वकार हुसैन (खादिम दरगाह तारागढ़ अजमेर), सैयद शाकिर हुसैन (शिया विद्वान), हाजी सरवर सिद्दीकी (पूर्व अध्यक्ष दरगाह समिति तारागढ़), जुबैर अहमद (व्याख्याता, सरकारी महाविद्यालय), हाजी चाँद खान (गद्दी नशीन पीर गएब अजमेर), सैयद रागिब चिश्ती (वकील), शाहिद हुसैन (सचिव जिला कांग्रेस कमेटी उदयपुर), अनारदीन खान (अध्यक्ष मुस्लिम तेली समाज नागौर), इमरान खान पठान (अधिवक्ता, सामाजिक कार्यकर्ता, बांसवाड़ा), मोईन उद्दीन खान (वकील, जालोर), मो. इकबाल काज़ी (अध्यक्ष कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग, भीलवाड़ा), इरफान पठान (जयपुर), हबीबुर्रहमान नियाजी ( पूर्व अध्यक्ष, राजस्थान उर्दू अकेडमी), अमीन कायमखानी (अध्यक्ष, राजस्थान उर्दू शिक्षक संघ), नईम रब्बानी (सामाजिक कार्यकर्ता, जयपुर), शोएब खान (पत्रकार,जयपुर), नमीरा अंजुम, अर्सिल नकवी आदि शामिल थे .


 

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