“राजस्थान कांग्रेस विकल्पहीनता के कारण ज़िंदा है!

 


राजस्थान कांग्रेस विकल्पहीनता के कारण ज़िंदा है, राजस्थान में उसकी कोई विचारधारा नहीं है, वह आरएसएस की बांई भुजा है.

26 मार्च को राहुल गांधी की मौजूदगी में आरएसएस को अपनी आत्मा बताने वाले और 26 जून 2018 को अंग्रेजी के डीएनए अख़बार के मुताबिक यह कहने वाले केि मेरा जन्म आरएसएस में हुआ है और मैं आज भी स्वयंसेवक हूं. ब्राह्मण नेता घनश्याम तिवाड़ी कांग्रेस में शामिल हो गए.

राजस्थान में आरएसएस के प्रचारक रहें और इस सूबे में आरएसएस, जनसंघ और बीजेपी को फैलाने वाले शुरूआती लोगों में शामिल रहें घनश्याम तिवाड़ी का कांग्रेस में शामिल होने का यह मतलब है कि वे कांग्रेस में आरएसएस का काम करते रहेंगे.

राजस्थान कांग्रेस में एक आदमी ने सवाल नहीं उठाया कि आरएसएस का स्वयंसेवक कांग्रेस में नहीं चलेगा.आरएसएस की विचारधारा को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता.

घनश्याम तिवाड़ी ने विधानसभा चुनाव 2018 में राजस्थान में बहुजन ताकतों को तितर-बितर करने और उन्हें बर्बाद करने का काम बखुबी किया था, इसलिए अब कांग्रेस ने उन्हें ईनाम दिया है.

राजस्थान कांग्रेस विचारधारा के मामले में मर चुकी है, उसने अपने सबसे पुख़्ता वोट बैंक मुसलमान समुदाय से आखिरी सांसद 1991 में दिया था, आज़ादी के सत्तर साल बाद भी राजस्थान ने महज़ दो बार 1984 और 1991 में झुंझुनूं लोकसभा सीट से अयूब ख़ाँ. कुल 317 सांसदों में से महज 2 सांसद.

राजस्थान आज भी आरएसएस की विचारधारा से त्रस्त है, यहां आरएसएस, बीजेपी और कांग्रेस मिलकर किसी भी अन्य दल को आगे नहीं बढ़ने देना चाहती.

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