वसुंधरा जन रसोई के जरिए राजस्थान में सक्रिय हुए राजे समर्थक, गरमाई भाजपा की राजनीति !


पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के समर्थक वसुंधरा जन रसोई के मार्फत जरुरतमंद लोगों को भोजन उपलब्ध करवाने के नाम पर प्रदेश भर मे सक्रिय होने से प्रदेश में भाजपा की राजनीति गरमा गई है। वसुंधरा जन रसोई के पोस्टर पर भी उनके समर्थकों ने सिर्फ वसुंधरा राजे का ही फोटो लगाया है। मोदी, शाह के अलावा प्रदेश अध्यक्ष और राष्ट्रीय अध्यक्ष को भी पोस्टर पर जगह नहीं मिली है।

राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री व भाजपा नेता वसुंधरा राजे को पार्टी स्तर पर अलग थलग करने या समय की नाजुकता अनुसार राजे अपने आपको कुछ समय निष्क्रिय रखने के बावजूद अब कोरोना काल मे राजे के समर्थक उनके नाम से जनता की खिदमत करने के लिये अपने अलग अलग क्षेत्रों मे वसुंधरा जन रसोई अभियान चलाकर जरूरतमंदों को भोजन उबलब्ध करवा कर सहारा दे रहे है।

वसुंधरा राजे के नजदीकी पूर्व मंत्री यूनुस खान डीडवाना में वसुंधरा जन रसोई की शुरुआत करके जरुरतमंद लोगो को भोजन देने की पहले ही शुरुआत कर चुके है। उसके बाद पूर्व भाजपा जिलाध्यक्ष राजवीर शेखावत झूंझुनू मे जन रसोई की शुरुआत कर चुके है। इसके अलावा सीकर मे भी भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष मनोज सिंघानिया ने वसुंधरा जन रसोई की शुरुआत कर दी है।

झालावाड़ भाजपा नेता कृष्ण पाटीदार भी झुग्गी वासी गरीब परिवारों को वसुंधरा जन रसोई के मार्फत सांसद कार्यालय के नजदीक भोजन पैकेट वितरित करने की शुरुआत कर चुके है।

राजस्थान भर मे वसुंधरा राजे समर्थक भाजपा नेता अपने अपने क्षेत्रो मे कोराना काल में जरुरतमंद लोगो को अपने निजी खर्चे से जन रसोई कायम करके भोजन उपलब्ध करवाने का सिलसिला शुरू किया है। इस कदम से उनके समर्थकों की काफी दिनो बाद अचानक सक्रियता का अहसास होता है।

राजस्थान मे गहलोत सरकार आने के बाद एवं भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष पद पर सतीश पुनिया की तैनाती के बाद वसुंधरा राजे की सक्रियता कमजोर होने के साथ साथ उनके समर्थक पदाधिकारियों की एक एक करके छुट्टी होने से उनको प्रदेश मे कमजोर होना माना जाने लगा था।

लेकिन बंगाल चुनाव के बाद एवं गहलोत सरकार का आधे से अधिक समय गुजर जाने के पर राजे समर्थक किसी ना किसी रूप में अचानक सक्रिय होते नजर आ रहे है।

कुल मिलाकर यह है कि संगठन स्तर पर राजे समर्थक नेताओं की एक एक करके छुट्टी करने व उपचुनावों मे राजे का चुनाव प्रचार से दूर रहने के कारण प्रदेश मे चर्चा चल पड़ी थी कि राजस्थान भाजपा मे राजे की लीडरशिप का जमाना अब लद चुका है।

लेकिन यह भी तक सत्य है कि राजस्थान भाजपा मे वर्तमान मे राजे का ही पूरे प्रदेश मे जनाधार है। जनाधार व समर्थकों के हिसाब से उनके समान भाजपा मे उनके मुकाबले दुसरा अन्य नेता अभी राजस्थान में उभर नही पाया है। लेकिन बंगाल चुनाव के बाद राजे समर्थक किसी ना किसी रूप में प्रदेश भर मे अचानक सक्रिय होते नजर आ रहे है इससे प्रदेश की भाजपा की राजनीति में हलचल शुरू हो गई है।

अशफ़ाक कायमखानी


 

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