राजस्थान: “साम्प्रदायिक ताकतों भारत छोड़ो” नारे के साथ जयपुर में धरना प्रदर्शन


बुधवार को राजस्थान की राजधानी जयपुर में दलित आदिवासी अल्पसंख्यक महिला दमन प्रतिरोध आन्दोलन, राजस्थान की ओर से “साम्प्रदायिक ताकतों भारत छोड़ो” के नारे के साथ शहीद स्मारक पर धरना प्रदर्शन किया गया. धरने की अध्यक्षता कामरेड तारा सिंह सिद्धू, मोहम्मद नाजिमुद्दीन, शमा परवीन, मंजू लता और महिपाल सिंह गुर्जर के अध्यक्ष मंडल ने की. धरना-प्रदर्शन में जयपुर मुंबई ट्रेन आतंकी हमले में मारे गए असगर अली के परिजनों ने भी हिस्सा लिया.

यह धरना हाल ही में हुई निम्नलिखित घटनाओं के विरोध में दिया गया था

– महिलाओं, मासूम बच्चियों के साथ लगातार बढ़ रही यौन हिंसा और नृशंस हत्याओं के विरोध में
–दलित,आदिवासी अत्याचारों की बढ़ती घटनाओं के ख़िलाफ़
– मणिपुर में आदिवासीयों और अल्पसंख्यकों पर हमलों के विरोध में
– हरियाणा के मेवात क्षेत्र के नूह जिले और आस-पास के इलाकों में साम्प्रदायिक तनाव और हिंसा के बाद आगजनी, हत्या, धार्मिक समूहों में साम्प्रदायिक टकराव के विरोध में
– केन्द्र की भाजपा सरकार द्वारा चुनावी फायदे के लिए दे रही है बहुसंख्यकीय साम्प्रदायिक ताकतों को संरक्षण और प्रोत्साहन देने के विरोध में
-साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण की घटिया राजनीति के विरोध में
-अल्पसंख्यकों में बढ़ रहा है असुरक्षाबोध और जनाक्रोश के विरोध में
– साम्प्रदायिक ताकतों और दलित,आदिवासियों, अल्पसंख्यकों महिला पर अत्याचारों के ख़िलाफ़
– राज्य में सामंती-जातिवादी उत्पीड़न-अत्याचारों और साम्प्रदायिक ताकतों के विरोध में

राजस्थान में महिलाओं/मासूम बच्चियों के साथ लगातार बढ़ रही यौन हिंसा और नृशंस हत्याओं ,भीलवाड़ा जिले के कोटड़ी गांव में कुछ दिन पहले एक नाबालिग बच्ची के साथ सामूहिक बलात्कार करने के बाद उसे भट्टी में जला देने की हृदय विदारक घटना, करौली में एक दलित युवती की हत्या करके उसके शव को कुएं में फेंक देने, जोधपुर में नाबालिग के साथ गैंग रैप की घटना, बीकानेर के खाजूवाला में दलित महिलाओं के साथ बलात्कार, हिंसा और हत्याओं की निरंतर घट रही घटनाओं , मणिपुर में आदिवासीयों और महिलाओं पर हो रहे अत्याचारों और अन्य कई मुद्दों को लेकर धरना प्रदर्शन में आक्रोश व्यक्त किया गया.

धरना-प्रदर्शन को सम्बोधित करते हुये वक्ताओं ने हरियाणा में मेवात क्षेत्र के नूह जिले और आस-पास के इलाकों में साम्प्रदायिक तनाव और हिंसा के बाद आगजनी, हत्या, धार्मिक समूहों में साम्प्रदायिक टकराव, हरियाणा की भाजपा-आरएसएस सरकार की संदेहास्पद भूमिका की कड़े शब्दों में निन्दा की.

वक्ताओं ने कहा कि हरियाणा सरकार निष्पक्ष रूप से अपनी भूमिका को निभाने में पूरी तरह से विफल रही है. एक धर्मनिरपेक्ष देश में निष्पक्ष होकर साम्प्रदायिक गुंडा तत्वों के ख़िलाफ़ सख़्त कार्यवाही करने के बजाय हरियाणा की भाजपा-आरएसएस सरकार असंवैधानिक रूप से
एक पक्षकार की तरह से व्यवहार कर रही है. इन लगातार घट रही साम्प्रदायिक तनाव की घटनाओं के पीछे एक सुनियोजित और सोची समझी साज़िश नज़र आती है.

पूर्वी राजस्थान के सीमावर्ती अलवर और भरतपुर जिलों में भी साम्प्रदायिक तनाव की स्थिति है. दमन प्रतिरोध आन्दोलन, राजस्थान ने इसकी कड़े शब्दों में निन्दा की.

वक्ताओं ने राजस्थान सरकार से अतिरिक्त सतर्कता बरतते हुए समय रहते आवश्यक कदम उठाने की मांग की है. हरियाणा के मेवात में फैलायी जा रही साम्प्रदायिक तनाव की आग राजस्थान को भी न झुलसा दे, इसके लिए दमन प्रतिरोध आन्दोलन राजस्थान द्वारा राज्य के अलवर और भरतपुर जिलों में साम्प्रदायिक सद्भाव और भाईचारे के शीघ्र ही कार्यक्रम करने का आह्वान किया है.

वक्ताओं ने जयपुर -मुम्बई सुपर फास्ट ट्रेन में साम्प्रदायिक उन्माद से ग्रसित रेलवे सुरक्षा बल के एक पुलिसकर्मी द्वारा अपने एक अधिकारी और तीन निर्दोष मुस्लिम यात्रियों की निर्मम हत्या पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुये इन घटनाओं को आरएसएस द्वारा देश में फैलाईं जा रही साम्प्रदायिक घृणा का परिणाम बताया.

उन्होंने कहा कि इन घटनाओं की आड़ में देश और राज्य के अन्य हिस्सों में भी साम्प्रदायिक तनाव और हिंसा फैलाकर साम्प्रदायिक ताकतों द्वारा राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश की जा रही है.

वक्ताओं ने मणिपुर में पिछले लगभग तीन महीने से जारी राज्य प्रायोजित साम्प्रदायिक और जातीय हिंसा पर गंभीर चिंता प्रकट करते हुये ,मणिपुर में आदिवासियों पर हो रहे अमानुषिक अत्याचारों पर चिंता प्रकट करते हुये इसकी कड़े शब्दों में निन्दा की.

वक्ताओं ने कहा कि केन्द्र और मणिपुर की भाजपा सरकारों की भूमिका संदेहास्पद है. अतः माननीय सर्वोच्च न्यायालय से किसी ठोस कदम उठाए जाने की अपील की.

वक्ताओं ने उत्तर प्रदेश के वाराणसी में गांधीवादी प्रतिष्ठानों पर यूपी की भाजपा-आरएसएस द्वारा हमला और क़ब्ज़े करने का भी कड़ा विरोध किया.

वक्ताओं ने देश में कुछ साम्प्रदायिक राजनीतिक सामाजिक संगठन, दल और व्यक्ति अपने क्षुद्र राजनीतिक स्वार्थों के लिए देश की एकता और अखंडता,सामाजिक-समरसता, आपसी भाईचारे को भी दांव पर लगाने की कोशिशों के खिलाफ आगाह किया.

राज्य में दलितों, आदिवासियों, अल्पसंख्यकों और महिलाओं के ख़िलाफ़ हो रही हिंसा को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने की मांग की गई.
16 अगस्त को दमन प्रतिरोध आन्दोलन की पुनः बैठक होगी जिसमें राज्य कन्वेंशन की तारीख तय की जाएगी. यह साम्प्रदायिक ताकतों और दलित,आदिवासियों, अल्पसंख्यकों महिला पर अत्याचारों के ख़िलाफ़ राज्य स्तरीय कन्वेंशन होगा. कन्वेंशन में राज्य में सामंती-जातिवादी उत्पीड़न-अत्याचारों और साम्प्रदायिक ताकतों के मुकाबले की रणनीति तैयार की जायेगी.

धरना-प्रदर्शन को सम्बोधित करने वाले वक्ताओं में तारा सिंह सिद्धू ,मोहम्मद नाजिमुद्दीन, मंजू लता, महावीर सिहाग, डॉ.गजेंद्र सिंह,निशा सिद्धू, कपिल, ममता जेटली, मोहम्मद इमरान, सबीहा परवीन, कामरेड सईदा, मोहर सिंह आदि शामिल थे. धरना-प्रदर्शन में मंच संचालन डॉ . संजय माधव ने किया.

दमन प्रतिरोध आन्दोलन, राजस्थान ( दलित, आदिवासी, अल्पसंख्यक, महिला) में समग्र सेवा संघ, अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति, जमाते इस्लामी हिंद, ऐपवा, एनएफआईडब्ल्यू , एसआईओ, एसएफआई, यूथ फोरम, पीयूसीएल, संवैधानिक विचार मंच, एप्सो, राजस्थान बौद्ध महासभा, दलित शोषण मुक्ति मंच, आदिवासी जनाधिकार एका मंच, राजस्थान, भारत की जनवादी नौजवान सभा, एपीसीआर राजस्थान, राजस्थान नागरिक मंच, अखिल भारतीय किसान सभा, भारत की कम्युनिस्ट पार्टी(मार्क्सवादी), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, सपा आदि कई संगठनों के लोग शामिल हैं.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *