मेरी प्राथमिकता मज़लूम की लड़ाई है स्वार्थ की जीत नही

अहमद क़ासिम

भारत बंद के समर्थक अगर आप सिर्फ इसलिए हैं कि भाजपा सरकार को इस दौरान जमकर कोसा गया, या आपको ऐसा लगता है कि ये दलित चेतना का अम्बेडकर के चले जाने के बाद पुनर्जन्म हुआ है और इस पुर्नजन्म से ही  2019 के चुनाव की राजनीति में परिवर्तन की वजह उत्पन्न होगी। साथ ही कहीं आप ये देखकर फूले समा रहे हों कि भगवाधारियों का सामना करने कोई तो उतर पड़ा है, और इस उतरने वाले ने दो डंडा भगवा वालों को लगाकर आपके मन को शांति दे दी है,तो याद रखिए आप बेवक़ूफ़ हैं। ओर आप अपनी इस बेवक़ूफ़ मानसिकता के द्वारा अपशब्द ओर जोशीली भाषा का ही इस्तेमाल कर सकते हैं इससे ज़्यादा कुछ नही।

कई बेक़सूर भीड़ द्वारा की गई हत्या का शिकार हुए,चाहे दलित हों या मुसलमान हों,किसी तरह के बन्द की योजनाएं नही बनाई गई,कोई विरोध प्रभावशाली साबित नही हुआ,पीड़ित आज भी इंसाफ के इंतेज़ार में हैं। सुप्रीम कोर्ट ने SC ST एक्ट पर अपना फैसला सुनाया ओर आप सड़कों पर आ उतरे क्यूंकि आप निजी स्वार्थ की चाह से पीड़ित हैं। मैं भारत बंद का विरोधी नही हूँ क्योंकि ये बात अपनी जगह एक स्थान रखती है कि अधिकारों की लड़ाई सविंधान द्वारा प्रदान की गई स्वतन्त्रता है ओर इसका उपयोग होना चाहिए लेकिन मैं इसका समर्थक भी नही हूँ क्यूंकि मेरी प्राथमिकता मज़लूम की लड़ाई है स्वार्थ की जीत नही।

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