घर में लाशें पड़ी हों और कोई आके ठहाके लगवा दे ऐसे लतीफ़ेबाज़ से मिलना चाहिए

दुनिया में इतने बड़े बड़े नेता पड़े हैं,मगर यकीन जानिये किसी से मिलने की आज तक इच्छा नहीं हुई।

इसलिए क्योंकि बड़े नेता बहुत धीर-गंभीर और एक तरह से बोरिंग भी होते हैं। बहुत से लोग ताकत के दीवाने होते हैं।

किसी को ताकत मिल जाए तो ये उसके पीछे ऐसे पड़ते हैं जैसे गुड़ पर मक्खी। अपनेराम पावर सीकर नहीं हैं। किसी नेता के पास कितना भी पावर क्यों ना हो, उसके आगे पीछे दुम हिलाने की बात अशोभनीय लगती है।

मगर सऊदी प्रिंस मोहम्मद बिन सुलतान से मिलने की हसरत दिल में पैदा हुई है, तो उनके पावर या पैसे की वजह से नहीं, बल्कि उनकी लतीफे सुनाने की कला को लेकर।

यह तो आप जानते ही होंगे कि हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के पचास से ज्यादा सैनिकों की शहादत को लेकर बहुत दुखी हैं और खुद उन्होंने कहा कि उनके दिल में बदले की आग जल रही है।

देश की चिंता रहती है, सो अलग। ऐसे प्रधानमंत्री जब सऊदी अरब से मिले तो हंसने लगे, ठहाके मारने लगे।

सोचिए कि जिस घर में लाशें पड़ी हों, उस घर का मुखिया यदि ठहाके लगा रहा हो, बहुत खुश दिख रहा हो, तो कोई बात तो सऊदी के सुलतान में ज़रूर होगी।

सऊदी के सुलतान यदि अपने देश में आम आदमी के रूप में पैदा हुए होते, तो कपिल शर्मा से बड़ी सेलिब्रेटी होते।

मगर अफसोस कि वे अरब में पैदा हुए और उससे भी बड़ा अफसोस यह कि वे प्रिंस हैं। केवल प्रधानमंत्री को हंसा सकते हैं, शहीदों के परिवार वालों को नहीं।

अरब के लोग रसिक होते हैं। खाने में तो वे नानवेज पसंद करते ही हैं, मुमकिन है जोक में भी वेज से परहेज करते होंगे।

हम केवल अंदाजा ही लगा सकते हैं कि हमारे महान प्रधानमंत्री को उन्होंने कौनसे ऐसे चुटकुले सुनाए होंगे, जो वे खिलखिलाकर, ठहाका मार कर हंसने लगे।

कुछ जलने वाले लोगों का कहना है कि पुलवामा हमले के समय से ही प्रधानमंत्री बहुत खुश हैं कि चुनाव के समय पर जंग छेड़ने का बहाना मिल गया और अब फिर से जीत पक्की है।

मुझे तो ऐसा नहीं लगता। मुझे लगता है सऊदी प्रिंस में कुछ तो खास बात है। खैर…उनसे मिलने की हसरत रह ही गई।

दीपक असीम

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