सांगोद में भाजपा के नगरपालिका अध्यक्ष ने मृत गाय ले जा रहे दलित की बुरी तरह से पिटाई की !


तुम्हारी माँ हैं न यह पशु,तो संभालो इसे !!

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक राजस्थान के कोटा सांगोद में भाजपा के नगरपालिका अध्यक्ष ने मृत पशु के ठेकेदार राजकुमार वाल्मीकि की सरेआम माँ बहन की भद्दी गालियां देते हुये बुरी तरह से पिटाई की है ।

भाजपा नेता देवकीनंदन राठौड़ जो ओबीसी की तेली कम्युनिटी से है और देश के पीएम का हमजात है,वह इस बात से खफा हो गया कि मृत पशु उठाने वाला वाल्मीकि मरी गाय को घसीट क्यों रहा था ? अपने सिर पर उठा कर उस मरे मांस के लौथड़े को क्यों नहीं ले जा रहा था । इस तरह से सड़क पर घसीटे जाने से गौमाता का अपमान हो गया और सांगोद का नाम कलंकित हो गया।जिसकी सजा राजकुमार वाल्मिकी को भीड़ के सामने दे दी गई।

जब भाजपा नेता राठौड़ दलित वाल्मीकि युवक की मृत गाय के लिए गालियां देते हुए पिटाई कर रहा था,तब उसके सैंकड़ो समर्थक वीडियो बना कर इसे वायरल कर रहे थे और जालिम बीजेपी नेता को उकसाने का काम कर रहे थे और यह गौभक्त नेता एक दलित पर अपनी मर्दानगी दिखा रहा है।

हालांकि घटना की एफआईआर दर्ज हो चुकी है,हर तरफ भाजपा नेता के इस कृत्य की निंदा हो रही है,प्रदेश के सफाई कर्मी,वाल्मीकि समाज और दलित बहुजन संगठन भयंकर आक्रोश में है,इस घटना के ख़िलाफ़ लोग उठ खड़े हुये हैं।

चेतावनी दी गयी है कि आरोपी के विरुद्ध कड़ी कार्यवाही नहीं की गई तो राज्य भर की सफाई व्यवस्था ठप्प कर दी जायेगी, दूसरी तरफ पीड़ित पर मामले में समझौता कर लेने का भी जबरदस्त दबाव बनाया जा रहा है,ऐसी खबर अभी अभी मिली है।

सवाल यह उठता है कि आखिर एक मरे हुए जानवर के सम्मान के लिए जिंदा दलित की गरिमा को क्यों बार बार तार तार किया जा रहा है ? गांवों में मृत पशु घसीट कर ही फैंके जाते रहे हैं,शहरों में ट्रैक्टर ट्रॉली में ले जाये जाते हैं,पर सांगोद के इस ठेकेदार के पास ट्रॉली की व्यवस्था नहीं होने के चलते वह घसीटते हुये ले जा रहा था

,इस दृश्य को देख कर पशुप्रेमी गौपुत्रों की दलितों के प्रति नफरत और जानवर भक्ति जाग उठी ।पहले से सब इकट्ठा हुये और फिर नगरपालिका के अध्यक्ष को बुलवा कर इस दलित युवक की सरेआम पिटाई करवा दी।

इस तरह की घटनाएं देश भर में हो रही है,झज्जर में मरे पशु की चमड़ी निकलते पांच दलित ज़िंदा जला दिए गए थे,उनकी हत्या पर अफसोस जताने के बजाय विहिप के तत्कालीन नेता गिरिराज किशोर ने कहा था कि ‘हमारे लिए मरी हुई गाय जीवित दलितों से ज्यादा पवित्र है’.

यह जो जानवरो को इंसानों से अधिक पवित्र मानने की संस्कृति है,यह खतरनाक विचार है,यह अमानवीय तो है ही, मानव होने की न्यूतम योग्यता से भी नीचे गिरने वाला विचार है।आखिर एक जीवित मनुष्य से कोई भी जानवर कैसे अधिक पवित्र,पूज्य और महत्वपूर्ण हो गया है ?

मान लेते हैं कि गाय इस देश के बीजेपी हिंदुओं की माताजी है,तो फिर उसका पालन पोषण और रख रखाव तथा मर जाने पर उसका हिन्दू रीति रिवाज से क्यों नहीं अंतिम संस्कार करते हैं ये लोग ?

आखिर क्यों इनकी माताजी दिन भर आवारा घूमते हुए गंदगी में मुंह मारती है,मानव मल और प्लास्टिक खाती है ? इनकी अनदेखी ने इस ‘गौमाता’ को ‘विष्ठा खाने वाली माता’ बना दिया है,पर फिर भी मानेंगे कि माँ है हमारी,परम पूज्य,कामधेनु,जिसके शरीर में तेंतीस करोड़ देवी देवताओं का वास है।

वाल्मीकि समाज का बहुत हिदुत्वकरण किया गया है,इनकी बस्तियों में खूब शाखाएं लगाई जाती है,सेवा भारती के प्रकल्प चलते है,वंचित बस्ती संघी भाजपाई गौभक्तों की सबसे बड़ी प्रयोगशाला बन जाती है।

अब सांगोद जैसी घटनाओं से दलित वाल्मीकियों को अपनी औकात समझ आ जानी चाहिए कि उनका स्थान एक मरे जानवर से भी कमतर है,वे खुद को गर्वीला हिन्दू माने अथवा और कुछ भी मान लें ,पर इन जालिमों के लिए एक मरी गाय एक ज़िंदा वाल्मीकि दलित से ज्यादा महत्वपूर्ण और सम्मानीय है।

सांगोद की घटना साबित करती है कि हिंदुत्व के परनाले से उपजने वाले नेता मूलतः,स्वभावतः दलित विरोधी ही होते है,वे जानवरों से भी नीचे उनको मानते है,इनका चरित्र इससे उजागर होता है।

जिस तरह का लिंचिंग वाला समाज बनाया गया और दलित चुप रहे कि मुसलमान गाय के नाम पर मारा जा रहा है,हमारा क्या ? आज हालात यह है कि वे ज़िंदा गायों के नाम पर लिंच किये जा रहे हैं और दलित दलित मरी गायों के लिये ! पर सर्वत्र चुप्पी हैं।अब तो बोलो,अब भी समझ नहीं आया तो फिर कौन समझायेगा ?

वाल्मीकि समाज को महर्षि वाल्मीकि का नाम देकर उनके कार्य को आध्यात्मिक कह कर उन्हें वैसी ही परिस्थितियों में जीने मरने को छोड़ देने की चालाकी को भी समझना होगा.

हमने आखिर वाल्मीकियों को दिया ही क्या है ?भंगी से हरिजन और अब वाल्मीकि की शब्दावली मात्र ,बाकी तो हाथ में झाड़ू और माथे पर टोकरी तो जस की तस है, शहरी क्षेत्रों में सफाई कर्मी के रूप में ठेकेदारों के अंडर शोषित होने की सौगात, सिर पर मैला उठाने की ज़िल्लत,मृत पशु उठाने की ठेकेदारी ,सीवर में उतर कर मरने की गारण्टी,बासी रोटियां ..क्या दिया है हमने इस समाज को हमने ? अपने आप से पूछिए,खुद को अपराधी महसूस करेंगे !

सांगोद की घटना का सर्वत्र विरोध होना चाहिए,जो मुकदमा दर्ज हुआ है एट्रोसिटी एक्ट में ,उस पर त्वरित कार्यवाही हो ,भाजपा नेता देवकीनंदन राठौड़ की तुरंत गिरफ्तारी हो,बीजेपी उसे पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निलंबित करे और पीड़ित युवक को मुआवजा मिले।

जब तक यह न हो हमें संवैधानिक तरीके से आंदोलन चलाना होगा, गंदगी करने वाले समाज को सफाई करने वाले समाज का मजबूत जवाब जाना चाहिए,जिनकी माता है गाय,उनको ही उसे संभालना चाहिए,हम क्यों उठाएं किसी की मरी हुई मांओं को ?

-भंवर मेघवंशी
( संपादक -शून्यकाल डॉटकॉम )

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