किरोड़ी बिके, तिवाड़ी बिके, बिके सारे बिकाउ माल, न झुकेगा, न बिकेगा, हनुमान बेनीवाल!


प्रिय किसान भाइयों,

मेरे प्रिय नौजवान बेरोजगार साथियों,

युगों- युगों से जाति और धर्म व्यवस्था से प्रताड़ित जनों!

आपको यह जानकर अत्यंत हर्ष होगा कि आज दिनांक 4 अप्रैल 2019 को सुबह 10 बजे श्रीमान बेनीवाल जी ने ‘राजनीतिक आत्महत्या’ करने का प्रयास किया। मुझे ज्यादा फर्क नहीं पड़ता ऐसी अच्छी घटनाओं से क्योंकि हमारे एक साथी कहते हैं कि शेखावाटी के नौजवानों को मुँह में गाली और हाथ मे डंडा देने के सद्प्रयासों में इनका लम्बा योगदान रहा है। भला मैं ऐसे किसी भले इंसान को याद रखकर भारतीय जनता की परंपरा को कलंकित कर सकता हूँ।

10 बजे वाली घटना का विवरण देते हुए मेरे हाथ कांप रहे हैं। फिर भी मैं आपको मेरी भरी पूरी जवानी में संसार के माया मोह से ऊपर उठकर इस लोमहर्षक घटना की कड़ियाँ जोड़ते हुए बेनीवाल जी की देशहित में की गई कार्यवाही का विवरण देता हूँ।

दरबार सजा हुआ था। मंच पर कुछेक कुर्सियों के आगे पड़ी एक टेबल पर दलाल मीडिया के कुछ माइक अपनी ही प्रशंसा में हँस-हँस कर खबरों का गुड़ गोबर कर दे रहे थे। थोड़ी देर में फुसफुसाहट के साथ किसानों के मसीहा, बेरोजगारों के भाईसाहब और दलितों के हितैषी श्रीमान बेनीवाल जी भारतीय जुमला पार्टी के कुपढ मंत्री श्री जावड़ेकर प्रसाद मोदी के साथ जैसे ही मंचासीन हुए; कि किसान भाइयों आपके खेतों में धन की जगह जवाहरात की वर्षा होने लगी,

मेरे मासूम नौजवान बेरोजगार भाइयों की जेबों के दो- दो पव्वे नमकीन के साथ आने लगे, दलित भाइयों और बहनों ने मंदिर का घण्टा बजा- बजा कर ब्रह्मा जी का सिंहासन मसीहा जी के लिए खाली करवा लिया। सुनने में तो यह भी आ रहा है कि मारवाड़ में मेरे समस्त प्यारे- प्यारे मुसलमान भाइयों के गंधाते घरों इत्र छिड़क गए।

इस ह्रदयविदारक घटना से हिन्दू ह्रदय सम्राट कुचक्री, मन्दिरेंद्र, जुमलेंद्रप्रसाद नाटकबाज; जिसने देहभक्ति में पल पल अपना चाल- चरित्र-चेहरा सुंदरता के साथ दिखाया ताकि भक्तों के भविष्य की मिट्टी पलीद हो सकें और वे विकास की राह पर आगे बढ़ते हुए अपने आका की चाटने की योग्यता हासिल कर सकें; के भक्तों में देशभक्ति का सन्नाटा दौड़ गया।

पिछले दो कार्यकालों में राजस्थान की मसीही कर्ती-धर्ती कु-कुमारी अटल इरादों से उत्पन्न महोदया जो हर रोज रात 8 बजे के बाद प्रतिदिन सीएम पद से इस्तीफा देने के लिए सुविख्यात थी, के आवास से हवा का एक गन्धाता झोंका आया और मसीहा जी के नथुनों को पवित्र कर गया, जबकि उनकी जिव्हा वर्षों से महारानी की तारीफों में गालियाँ देने के कारण चंदन की खुशबू उत्पन्न कर रही थी।

मेरा ह्रदय आगे की घटना का वर्णन करने से टूक टूक हुआ जा रहा है। मेरे प्यारे किसान भाइयों आपके जाट मुख्यमंत्री, आपके किसान मुख्यमंत्री, आपके दलित मुख्यमंत्री, आपके मसीहा मुख्यमंत्री एक साजिश का शिकार हो गए।

जैसे ही उन्होंने माइक अपनी और खींचकर बोलने प्रयास किया डिजिटल इंडिया के प्रकोप से उनके मुँह से पाकिस्तान, चीन और बालाकोट बजने लगा। आपका चना और सरसों जब धान मंडी के खुले प्रांगण में पड़ा है तो मुझे पता है आप उसको छोड़कर नहीं आ पाओगे, पर श्रद्धांजलि तो देनी पड़ेगी। आपके पुत्रों का ह्रदय निकालकर मसीहा जी ने श्रद्धांजलि स्वरूप रख लिया है कांग्रेस के बनाये वेल्टीलेटर पर….

जब भी आपको समय मिले… मसीहा जी को जूतों की माला पहनाकर कृतार्थ करें।

ओम प्रकाश सुंडा

(शोधार्थी, हिंदी विभाग, राजस्थान केंद्रीय विश्वविद्यालय)

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