गाँव के एक चौकीदार की कहानी!

गाँव में चोरों का आतंक बढ़ने लगा तो गाँव वालों ने आपसी सलाह मशवरे से एक चौकीदार रखने की ठान ली, कहीं से तलाश करके एक आदमी को चौकीदार रख लिया, गाँव वाले बड़े ख़ुश थे की अब चौकीदार रहेगा तो चोरों की गाँव में आने की हिम्मत नहीं होगी, सब रात को यही सोचते हुए ख़ुशी ख़ुशी सो गए…

सुबह जब नींद खुली तो देखा की पुरे गाँव में शोर मचा हुआ है, चोरों ने इस बार बहुत बड़ी चोरी की थी और बहुत सारा क़ीमती सामान चुरा कर ले गए थे, लोग थोड़े इस सदमे से सम्भले तो ख़याल आया की जो चौकीदार रखा था वो कहाँ है..???

आपस में एक दूसरे से पूछ ही रहे थे की तभी दूर से चौकीदार अपने दोनों हाथों में कुछ लिए आता नज़र आया, पास आया तो देखा की उसके हाथों में कुछ हड्डियाँ हैं ।

गाँव वालों ने रात की घटना उसे सुना कर सवाल किया की वो कहाँ था जब चोर आए…??? चौकीदार ने जवाब दिया की जिन लोगों ने चोरी की थी मैं उनको मार कर उनकी हड्डियाँ लाया हूँ !!!

गाँव वाले अचरज से एक दूसरे की तरफ़ देखने लगे, “चोरों को मार दिया था तो चोरी का सामान लाने के बजाए उनकी हड्डियाँ किसलिए ले कर आया” और इन हड्डियों का क्या करें..???

अभी इस पर बात कर ही रहे थे की गाँव का एक आदमी जो मरे हुए जानवरों की हड्डियाँ और चमड़ा निकाल कर बेचा करता था वो आया और कहने लगा “भाइयों चोरों ने गाँव के सामान के साथ साथ वो हड्डियाँ भी चुरा ली जो कल एक मृत गधे के शरीर से मैंने निकाली थी”

बात ये है की पुलवामा में आतँकी हमला होता है और हमारे तीन दर्जन से ज़्यादा जवान शहीद कर दिए जाते हैं, सवाल किया जाता है की हमला कैसे हुआ जवाब में ये झूठ परोसा जाता है की “सर्जिकल स्ट्राइक” करके तीन सो आतँकी ढेर कर दिए हैं…!!!

फिर पूछा जाता है की ये तो बताओ की हमला कामियाब कैसे हुआ इतने सारे “चौकीदारों” के रहते हुए..???
फिर ये झूठ परोस दिया जाता है की दुश्मनों का विमान गिरा दिया गया है…!!!

सवाल अब भी सारे जवाब तलब हैं लेकिन चौकीदार के पास जवाब के तौर पर केवल झूठ है ।

“शैख़ चिल्ली” के गुब्बारे की तो हवा निकल गई है अब बस ये देखना है की सपनों को दुनिया में मस्त “मुंगेरियों” की नींद कब खुलती है ।

-मुत्तलिब मिर्ज़ा

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