अहमदाबाद में घोड़ी पर बैठा दलित तो कर दी हत्या यूँ बहते बहते कहाँ आ गये हम!

गुजरात । भावनगर जिले के टीबा गाँव में 21 वर्षीय प्रदीप राठौड़ की निर्मम हत्या, प्रदीप का दलित होना और घोड़ी पर बैठना उसका जुर्म था और जातिवाद की न्याय व्यवस्था का न्याय उसकी हत्या थी।

———-/पुरानी घटनाये/अत्याचार/बलात्कार————–
ऊना काण्ड- जिसमे चार दलितों को कार से बाँध कर मारा गया इन पर आरोप था कि ये गौ हत्या करते हैं जबकि ये जानवरो की खाल से चमड़ा निकालने का काम करते थे।
बलात्कार- एक 8 वर्षीया बच्ची का बलात्कार होने पर उस और इसलिए ध्यान नहीं दिया गया क्योंकि वो दलित समुदाय की थी।
अत्याचार- दबंगों ने एक 22 वर्षीया दलित लड़की को किडनेप किया और उसके सर के बाल उखाड़ दिए और उसकी अंगुली काट कर सड़क पर फेंक दी।
आग में झोंका- उन्का गोहाली नाम के व्यक्ति से कर्ज के लेन देन को लेकर सिर्फ कुछ दिन की देरी पर उसको जला कर मार दिया गया।
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जमाना आज 21वी सदी में दौड़ रहा हैं और हमारा भारतीय समाज आज भी वर्ण व्यवस्था या यूँ कहे जातिवाद पर अटका पड़ा हैं, दलितों को आज भी उसी तरह से देखा जाता हैं जैसे सदियों से देखा जा रहा है।

प्रदीप के पिता कालू राठौड़ खेती से अपना घर खर्च चलाते थे, प्रदीप को घुड़सवारी का शौक था और इसी के चलते उन्होंने 30000 रूपये में प्रदीप के लिए घोडा खरीदा।

प्रदीप का घोड़े पर बैठना अगड़ी जातियों को रास न आया और घोड़े खरीदने के दिन से उन्हें धमकियां मिलने लगी।
कालू राठौड़ ने धमकियों से परेशान होकर घोडा बेचने की सोचा किन्तु प्रदीप को घोडा पसन्द होने के कारण बात टाल दी और उन्हें लगा की मामला शांत हो जाएगा यानि सुलझ जाएगा।

29 तारीख की शाम जब प्रदीप राठौड़ खेत से आ रहे थे तब अगड़ी जाति के लोगो ने उसको परेशान करना शुरू किया।
उससे सवाल जवाब किया और अंत में धारदार तलवार हथियारों से उस पर हमला बोल दिया और बड़ी बेरहमी से उसका कत्ल कर दिया।
अभी तक गाँव के दो व्यक्तियों के ऊपर मामला दर्ज हुआ है।

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