हिन्दू का मुसलमान के नाम ख़त,तुम पर हुए ज़ुल्म और अत्याचार की हर एक आह और चीख़ ने मेरे दिल को भेद दिया है

पिछले कुछ वर्षो से भारत का एक अल्पसख्यंक समुदाय , एक ऐसी विचारधारा वाली पार्टी के सत्ता मे आ जान सेे डरा-डरा , सहमा-सहमा सा रह रहा है जो इस हिन्द की धरती पर सिर्फ हिन्दुओं का ही निवास चाहती है लेकिन आज जब आसिफा वाले मामले पर सारे हिन्दुस्तान के हिन्दुओं ने एक साथ मिलकर आवाज उठायी तो ऐसा लगा की मानो वह उस अल्पसख्यंक समुदाय से क्षमा मांगते हुए कह रहा हो कि अभी मैं जिन्दा हुं धर्म की पट्टी आंखो पर पड जाने से मैं अंधा जरूर हो गया था जो तुम्हारे आंसू न देख पाया लेकिन मैं मरा नही हुं तुम पर हुए जुल्म और अत्याचार की हर एक आह और चीख ने मेरे कानों से होते हुए मेरे दिल को भेद दिया है और अब मेरे दिल से भी वही अाह और चीख निकल रही है जो तुम्हारे दिल से निकल रही थी

मैं तुम पर जुल्म और सितम नही सह सकता क्योंकि मैं हिन्द का वासी हुं और हमारे लिए धर्म से बढकर यह वतन,हमवतन और तिंरगें की ही शान है। कुछ गद्दारो की वजह से सन् 1947 में जब तुम्हे मजहब और वतन मे से किसी एक को चुनने पर मजबूर किया गया तब तुमने मजहब से बढकर इस वतन-ए-हिन्द से मोहब्बत की जो मिसाल कायम की उसी मोहब्बत का एक छोटा सा ऋण चुकाने 2019 मे आपके साथ खडा होगा आपका यह वतन-ए-हिन्द का भाई ।

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