शौर्य मारने का नहीं, बचाने का नाम है,तोड़ने का नहीं बनाने का नाम है

शौर्य क्या है ? अलग अलग मानसिकता वालों के लिए शौर्य का मतलब भी अलग अलग होता है. मान लीजिए पचास लोगों की भीड़ एक निहत्थे अकेले आदमी को गौ-हत्या के नाम पे पीट रही हो तब आप क्या करते हैं? कुछ लोगों के लिए शौर्य का मतलब होगा कि वे हिम्मत और साहस दिखाते हुए उस निहत्थे आदमी की रक्षा करें. वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जिनके लिए शौर्य का अर्थ यह है कि वे भी भीड़ में शामिल हो कर उस निहत्थे आदमी को मारें. शौर्य यह नहीं कि आप झुंड में शामिल हो के किसी इमारत को गिरा दें, किसी ट्रेन को जला दें, किसी के घर को लूट लें या किसी इंस्पेक्टर सुबोध सिंह को जान से मार दें.

धार्मिक कट्टरता और रंजिश आपके सोचने और समझने की शक्ति कम कर देती है. शौर्य मारने का नहीं, बचाने का नाम है !! तोड़ने का नहीं, बनाने का नाम है !! विध्वंस का नहीं, निर्माण का नाम है !!

अभी दो दिन पहले 6 दिसंबर को कट्टर हिंदूवादी विचारधारा के लोगों ने शौर्य दिवस मनाया. क्यों? क्योंकि उनको लगा कि सैंकड़ों की भीड़ बना कर, तलवार, भाले, त्रिशूल, लाठी लेकर किसी मस्जिद को गिरा देना शौर्य है. ये कैसी शूरवीरता है? मज़हबी नफ़रत लिए आप एक पुरानी, जर्जर मस्जिद को गिरा देते हैं और समझते हैं कि आपने बहुत बहादुरी का काम किया. आप सचमुच इतने बड़े हिंदू-हितैषी हैं तो किसी मस्जिद को गिराने की जगह आप किसी पुराने, जीर्ण, खंडहर हो रहे मंदिर को बचाईए, उसका पुनर्निर्माण करिए. मगर नहीं !! आप ऐसा नहीं करेंगे क्योंकि आपका शौर्य तोड़ना जानता है, जोड़ना नहीं.

कुछ शूरवीर ऐसे भी हैं जो समय समय पे सोशल मीडीया पे अपना शौर्य दिखा देते हैं. कभी किसी गुर मेहर कौर को रंडी बोल कर तो किसी शहला राशिद को “रेप थ्रेट” दे कर. अगर कोई लड़की आपकी विचारधारा के खिलाफ है तो उसको गाली देना/ बलात्कार करने की धमकी देना ही आप जैसे शूरवीरों के लिए शौर्य है. झुंड में जाकर किसी संजय लीला भंसाली को पीट देना ही आपके लिए शौर्य है. किसी दीपिका पादुकोन के सिर काट के लाने वालों को 5 करोड़ का इनाम देना ही आपके लिए शौर्य है.

आपको अगर सच में समझना है की शौर्य क्या है तो आप राणा प्रताप को पढ़िए, शिवाजी महाराज के बारे में जानिए या पृथ्वी राज चौहान की शौर्य गाथाएँ सुनिए और उनसे सीखिए. आप दावा तो करते हैं कि आप इन शूरवीरों के वंशज हैं मगर आपके द्वारा की गयी हरकतें कायराना हैं . अगर सच में शिवाजी महाराज, प्रताप या चौहान आपको ऊपर से देख पा रहे होंगे तो वे सब आपकी इस शूरवीरता पे शर्मिंदा होंगे !! और इन सबसे ज़्यादा शर्मिंदा कोई होंगे तो वो होंगे भगवान श्री राम जिनके नाम पे आप ये सब घटिया कुकर्म कर रहे हैं.

कुछ राजनैतिक दलों ने आपको अपने हाथों की कठपुतली बना रखा है और वो सब मिलकर कभी आपसे किसी मस्जिद को गिरवा देते हैं तो कभी किसी के घर को जलवा देते हैं. आप भोले भाले भक्त हैं जिन्हे लगता है यह सब शौर्य है !! जिसे आप शौर्य का काम समझ रहे हैं वह असल में शर्म का काम है !! समझिए कि ६ दिसंबर शौर्य दिवस नहीं बल्कि शर्म दिवस है !! अगर झुंड में आकर किसी मस्जिद को गिरा देना आपके लिए शौर्य है, तो सच में आप बहुत ज़्यादा शूरवीर हैं. यह शर्मनाक हरकत कुछ सियासी सियारों के लिए शौर्य दिवस है मगर ज़्यादातर भारतीयों के लिए ये शर्म दिवस है !!

राहुल मिश्रा

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