नज़रिया:क्या गांधीवादियों ने ही गाँधी को अप्रासंगिक बना दिया है?

नज़रिया:क्या गांधीवादियों ने ही गाँधी को अप्रासंगिक बना दिया है


By:C.b Yadav

मुझे लगता है कि गांधी जी को, गांधी वादियो ने अप्रासंगिक बना दिया, जिन्होंने गांधी के विचारों और दर्शन को आत्मसात करने के स्थान पर उनके पहनावे और आचार व्यवहार को आत्मसात किया!

गांधी दर्शन अपने आप में एक संपूर्ण मानव दर्शन है वह व्यक्ति को सद्गुणों से ओतप्रोत मानव समझता है , दुर्गुण केवल उसके ईश्वरी अंश अर्थात सत्य के चारों ओर आवरण मात्र है
जिसे व्यक्ति के हृदय परिवर्तन द्वारा दूर किया जा सकता है

गांधी कभी व्यक्ति की बुराई को उचित नहीं मानते थे, अपितु बुराई के विरोध पर बल दिया करते थे गांधीवादियों की भाषा में आज सामान्यतः दूसरे विचारों एवं समाज की व्यापक बुराइयों पर ही ध्यान केंद्रित रहता है तथा इसके लिए व्यवस्था को दोष देते हैं

मुझे लगता है कि इसके लिए उनके प्रयासों में कमी एवं स्वयं उनके व्यक्तित्व में गांधी के विचारों को आत्मसात नहीं करना बहुत बड़ा कारण है!

जब गांधी जी एक लाठी के दम पर संपूर्ण अंग्रेज मानव जाति का ह्रदय परिवर्तन कर सकते हैं तो हम हमारे कुछ भटके हुए बंधुओं का हृदय परिवर्तन क्यों नहीं कर पा रहे ? यह हमारी अपनी कमजोरी है जिस पर मंथन करने की आवश्यकता है

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