शहर का तब्दील होना, शाद रहना और उदास रौनके जितनी यहां है, औरतों के दम से है !”


मुनीर नियाज़ी नामी शायर ने अपने ज़माने में कहा था कि
शहर का तब्दील होना शाद रहना और उदास
        रौनके जितनी यहां है औरतों के दम से है”

शायद शायर का इस शेर को लिखने के पीछे अपना नज़रिया कुछ और रहा होगा लेकिन अगर आप इन दिनों शहर दिल्ली का सफर करें और शाहीन बाग में चल रहे औरतों के धरने तक भी जाएं तो निश्चय ही आप यह बात और ज्यादा महसूस करने लगेंगे जो औरतों के सम्बन्ध में इस शेर में कही गई है।

मुनीर नियाज़ी अगर इस ज़माने के शायर होते तो वह अपनी शायरी में इज़ाफा करते हुए लिखते की ‘एहतिजाज भी औरतों के ही दम से है कायम’ ।

जब से हिंदुस्तान सरकार सिटिजनशिप अमंडमेंट बिल पार्लियामेंट में लेकर अाई, गृह मंत्री अमित शाह ने पूरे देश में एनआरसी लागू करने का ऐलान किया तब ही से इन कानूनों के विरूद्ध विरोध के स्वर ऊंचे होने लगे थे।

सर्वप्रथम राजधानी दिल्ली में स्थित जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के छात्रों ने यूनिवर्सिटी के बाहर बड़ा प्रदर्शन शुरू किया।

इस प्रदर्शन के नेतृत्व में भी लड़कियां आगे आगे रही। आपने वो तस्वीरें और वीडियो देखी होगी जिनमें जामिया की छात्राएं लादीदा फरजाना, आयशा रेना और अन्य लड़कियां अपने पुरुष मित्र को बचाने के लिए पुलिसकर्मियों के सामने आ जाती है।

उससे पहले आप ने वो तस्वीरें भी देखी होगी जिनमें जामिया की वहीं दोनों छात्राएं और एक अन्य छात्रा चन्दा यादव विरोध प्रदर्शन के बिल्कुल केंद्र में ऊंचे स्थान पर खड़ी होकर नारे लगा रही है।

जामिया में पुलिस की छात्रों पर बर्बरता के बाद यह प्रदर्शन बढ़ते चले गए और आज महीने भर बाद भी इनके ख़तम होने का कोई इशारा नहीं है। इन सब प्रदर्शनों कि विशेष बात है कि परम्पराओं से हटकर महिलाएं इन प्रदर्शनों में अधिक संख्या में शामिल हो रही है।


शायद शायर मजाज़ की नसीहत पर अमल करते हुए हिंदुस्तान कि औरतों ने अब अपने माथे के आंचल को परचम बना लिया है।अपने हक और इंसाफ के लिए,मुल्क का अाईन बचाने के लिए,एहतिजाज करने में औरतें मर्दों की बराबरी कर रही है। अब वो अपने प्रदर्शनों की सरपरस्त भी खुद है, वक्ता भी खुद और अवाम भी। नारे भी औरतें लगाती है और उस दहाड़ के साथ की शेर की दहाड़ से भी उनकी आवाज़ आगे निकल जाएं


जामिया में पुलिस की बर्बरता के बाद से इस प्रदर्शन ने शाहीन बाग में बड़ा रूप ले लिया जो खासतौर पर औरतों का प्रदर्शन है। शाहीन ही कि तर्ज पर कलकत्ता के सर्कस पार्क,दिल्ली के खुरेजी में भी ऐसे प्रदर्शन शुरू हुए और बढ़ते बढ़ते महिलाओं के यह प्रदर्शन देश के हर सूबे में पहुंच चुके है। जिनकी सूची लंबी है ।

हमें मिली सूचना के मुताबिक देश के 29 अलग अलग स्थानों पर यह अनिश्चितकालीन धरने जारी है और इनकी संख्या निरंतर बढ़ रही है।

देश में अलग अलग स्थानों पर शाहीन बाग़ के नाम से चल रहे धरनो की सूची :

1. शाहीन बाग़, दिल्ली
2. खुरेजी दिल्ली
3. सीलमपुर जाफराबाद दिल्ली
4. पार्क सर्कस, कोलकात्ता पश्चिम बंगाल
5. क़ाज़ी नजरुल बाग,आसनसोल
6. मनिका बाग ,इंदौर मध्यप्रदेश
7. इकबाल मैदान, भोपाल
8. मंसूर अली पार्क,इलाहबाद यूपी
9. मोहम्मद अली पार्क कानपुर यूपी
10. इस्लामिया कॉलेज बरेली यूपी
11. ईदगाह मैदान देवबंद यूपी
12. सब्जी बाग, पटना बिहार
13. रखियाल, अहमदाबाद गुजरात
14. शांति बाग़, गया बिहार
15. औरंगाबाद महाराष्ट्र
16. आज़ादी स्क्वेयर कोचीन केरला
17. कोंढावा,पुणे
18. घोंडा दिल्ली
19. कोटा राजस्थान
20. कलेक्टर ऑफिस ,नांदेड़ महाराष्ट्र
21. सविंधान चौक, नागपुर
22. मोतिहारी, बिहार
23 गोपालगंज बिहार
24. सिवान, बिहार
25. मलमल मधुबनी, बिहार
26. टोलिचौक, हैदराबाद
27. जामिया गेट नंबर सेवन दिल्ली
28. अल्बर्ट हॉल, जयपुर
29. घंटाघर, लखनाऊ

उत्तरप्रदेश में विरोध प्रदर्शनों के दौरान पुलिस के लाठी चार्ज और फायरिंग से बीस ज्यादा प्रदर्शनकारियों कि मौत हो चुकी है। यू. पी. पुलिस के इस बर्बर रवैए से भी न डरते हुए लखनऊ के घंटाघर पर महिलाएं अपना प्रदर्शन जारी रखे हुए है।

यूपी पुलिस महिला प्रदर्शनकारियों के सामान और ढकने के कम्बल तक छीनकर ले जा चुकी है।मशहूर शायर मुनव्वर राणा की बेटियों सहित केई महिला प्रदर्शनकारियों पर पुलिस द्वारा दंगा भड़काने जैसा आरोप लगाकर एफआईआर भी दर्ज की जा चुकी है परन्तु प्रदर्शन थमने का नाम नहीं ले रहा है।

Kota,Rjasthan

इधर राजस्थान का कोटा शहर जो लोकसभा स्पीकर ओम बिरला का गृह नगर है,स्पीकर महोदय के घर से कुछ ही दूरी के फासले पर एक स्थानीय नेत्री शिफा खालिद के नेतृत्व में धरना जारी है।

इन प्रदर्शनों में बहुत कुछ ऐसा देखा है जो शायद देश ने कभी नहीं देखा था। एक तरफ हमने दिल्ली पुलिस द्वारा जामिया की लाइब्रेरी तक में घुसकर छात्रों पर की गई बर्बरता देखी है। दूसरी तरफ हमने देखा कि उसी विश्वविद्यालय जामिया के छात्र पुलिस को फूल बाट रहें हैं।

शाहीन बाग की प्रदर्शनकारी बूढ़ी औरतों को या यूं कहें कि शाहीन बाग की दादियों को एनडीटीवी इंडिया के शो बेबाक राय रखते हुए देखा।
हमने ये भी देखा की हिजाब पहने हुए लड़कियां प्रदर्शनों का नेतृत्व कर रही है और कुछ तो यूथ आइकन बन चुकी है।

शायद शायर मजाज़ की नसीहत पर अमल करते हुए हिंदुस्तान कि औरतों ने अब अपने माथे के आंचल को परचम बना लिया है।अपने हक और इंसाफ के लिए,मुल्क का अाईन बचाने के लिए,एहतिजाज करने में औरतें मर्दों की बराबरी कर रही है। अब वो अपने प्रदर्शनों की सरपरस्त भी खुद है, वक्ता भी खुद और अवाम भी। नारे भी औरतें लगाती है और उस दहाड़ के साथ की शेर की दहाड़ से भी उनकी आवाज़ आगे निकल जाएं

देश के कोने कोने में बने शाहीन बाग की औरतें अगर शेर कहना जानती और शेर कहती तो वो वही कहती जी फरहत जाहिद ने कभी कहा था

“औरत हूं मगर सुरते कोहसार खड़ी हूं
इक सच के तेहफुज्ज के लिए सब से लड़ी हूं”

– शोएब अंसारी (मांगरोल,राजस्थान)

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