जब ममता बनर्जी कांग्रेस की स्टार प्रचारक बनकर राजस्थान आई थी !


पहचानिये ममता बनर्जी के व्यक्तित्व को,

यह शायद 1991 की बात है सुमेरपुर विधानसभा चुनाव में बीना जी कांग्रेस प्रत्याशी थीं, तब ममता बनर्जी कांग्रेस की स्टार प्रचारक की हैसियत से राजस्थान में पाली जिले के सुमेरपुर आईं इनके साथ फ़िल्मी तारिका उपासना सिंह भी थीं । ममता बनर्जी ने अपने सहज ,सामान्य व्यवहार और भाषणशैली से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया ।

सुमेरपुर में मंडी गेस्ट हाऊस में ममता जी व सभी अतिथियों के रात्रि विश्राम की व्यवस्था की गई थी । चुनाव का समय ,नेताओं अधिकारियों का आना जाना रहता ही है । कमरे कम पड़ना स्वाभाविक थे । ममता जी को सबसे बड़ा बेहतरीन कमरा दिया गया । उनके साथ राजस्थान से भाई विजय सारस्वत सहित कुछ नेता भी थे ।

पब्लिक मीटिंग के बाद गेस्ट हाऊस कमरे में ही रात्रि भोजन के बाद हम वहाँ से जाने लगे तो ममता जी ने पूछा ,”आप सभी किधर जा रहे हैं ?”
मैं ने बताया कि कुछ दूर ही दूसरी होटल है , हम वहाँ चले जायेंगे ।

ममता जी ने अपनेपन से कहा , ” इतने बड़े कमरे में मैं अकेली  रुकूँगी और आप होटल में किराया देकर फ़ालतू पैसा खर्च करेंगे , ऐसा नहीं होगा ।”

उन्होंने दरी मंगवाई और फ़र्श पर दरी बिछा कर ख़ुद उस पर सोई और विजय भाई साहिब , एक अन्य कार्यकर्ता और मैं बड़े से पलँग पर सोये । पता नहीं विजय सारस्वत भाई को यह संस्मरण याद है या नहीं ।

ममता बनर्जी स्टेज पर बैठी हुई है और लेखक रिज़वान एजाज़ी माइक पकड़े हुए हैं

एक और उदाहरण देखिये ..

अपनी जमी जमाई बैरिस्टरी छोड़ कर महात्मा गाँधी जब दक्षिणी अफ़्रीका से भारत आये तो गोखले की सलाह पर भारत भ्रमण किया और तब देश कीग़रीबी,वास्तविकता से परिचित हुए । उन्होंने अपना लिबास बिल्कुल साधारण आम भारतीय अपना लिया , दक्षिण अफ्रीका का बेरिस्टर अब अत्यधिक सामान्य वेशभूषा में आ गया । देश ने उन्हें हाथों हाथ अपना लिया और गाँधी जी देश की धड़कन बन गये ।

गांधी जी देश के आम इंसान का प्रतीक बन गये । इस देश में जिस नेता ने अपने आप को आम हिंदुस्तानी समझा,उसके साथ सहज रूप से उठना बैठना ,खाना पीना अपना लिया वह जन जन के मानस पर अंकित होता चला गया ।

राजनीति का भी एक ग्लैमर है ,कोई भी व्यक्ति भावनाओं को उत्तेजित कर एक बार सफलता अवश्य प्राप्त कर सकता है लेकिंन वह चमक अस्थायी रहती है परन्तु जिसने एक सामान्य ,साधारण नागरिक रूप से अपनी छवि जनता के ह्रदय में बसा ली ,उसके संघर्ष को अपना संघर्ष बना लिया ,वह अमर हो गया ।

ममता बनर्जी ने आज तक न तो पेंशन ली ना ही वेतन लिया , साधारण से मकान में रहती हैं ,गेस्ट् हाउस में ठहरती हैं ,इकोनॉमी क्लॉस में सफ़र करती हैं ।स्वरचित लगभग एक सौ किताबों की रॉयल्टी से अपना जीवन निर्वाह करती हैं।

सरकार या जनता पर भार नही हैं राजनीति के झूठे आडंबरों ग्लैमर से दूर इस साधारण सी दिखने वाली सादगी की प्रतीक ,सूती साड़ी और चप्पल पहनने वाली महिला ने क्या कर दिखाया है कि हिंदुस्तान के प्रधानमंत्री ,गृह मंत्री केंद्रीय मंत्रिमंडल के लगभग सभी सदस्यों, अनेक फ़िल्म स्टारों की चमकती छवि ,कई मुख्यमंत्रियों ,मंत्री सांसदों ,विधायकों की फ़ौज चुनाव आयोग का वरदहस्त ,अम्बानियों, अडानियों की छप्पर फाड़ धनवर्षा ,मीडिया की एकतरफ़ी रिपोर्टिंग ,भाजपा ,आरएसएस के हज़ारों समर्पित कार्यकर्ताओं की उपस्थिति के बावजूद ममता बनर्जी ने बंगाल में शानदार जीत हासिल की है ।

एक महिला ने अपनी और अपनी टीम के दम पर सादगी अपनापन ,संघर्षशीलता से इकतरफ़ा जीत हासिल की । कोई भी नेता राजनीतिक रूप से विवाद में रहता है उसके अच्छे बुरे निर्णयों से उसकी छवि बनती है बिगड़ती है ,विवाद उनके साथ चलते हैं परन्तु व्यक्तिगत रूप से मैं ने बहुत से नेताओं की जीवनियाँ व कार्यशैली देखी हैं जिस नेता में त्याग , साधारण जीवनशैली, आक्रामकता है उसने जनमानस को झकझौरा है व लंबे समय तक ह्रदयों और सत्ता पर राज किया है ।

हम ममता बनर्जी की शानदार विजय पर उन्हें हार्दिक बधाई अर्पित करते हैं ।

रिज़वान एजाज़ी


 

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