कभी सत्ता के शीर्ष पर रही वसुंधरा, आज किस दौर से गुज़र रहीं है!


आज हम बात करेंगे राजस्थान में भाजपा के दिग्गज नेता वसुंधरा राजे सिंधिया की। वसुंधरा राजे को राजस्थान की पहली महिला मुख्यमंत्री होने का गौरव भी प्राप्त है।

वसुंधरा राजे सिंधिया दो बार प्रदेश की मुख्यमंत्री बनी है पहली बार 9 दिसंबर 2003 से लेकर 10 दिसम्बर 2008 तक वह मुख्यमंत्री के पद पर रही। उसके बाद फिर से 5 साल बाद 13 दिसम्बर 2013 से लेकर 11दिसम्बर 2018 तक वह प्रदेश की मुख्यमंत्री रही।

वसुंधरा राजे का ताल्लुक मध्य प्रदेश के ग्वालियर राजघराने से है। वसुंधरा राजे का जन्म महिला दिवस यानी 8 मार्च को 1953 में मुंबई में हुआ।

उनकी मां राजमाता विजया राजे सिंधिया भाजपा की संस्थापक सदस्य रही है। वसुंधरा राजे का पूरा परिवार राजनीति में सक्रिय है। इनकी मां हमेशा भारतीय जनता पार्टी से जुड़ी रही और पार्टी में कई पदों पर काम किया।

इनकी बहन यशोधरा राजे हाल में ही ग्वालियर से सांसद चुनी गई है और पूर्व में मध्य प्रदेश की सरकार में मंत्री रही है।

इनके भाई माधवराव सिंधिया कांग्रेस के दिग्गज नेता और केंद्रीय मंत्री रहे हैं। कांग्रेस के ही दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया इन के भतीजे लगते हैं।

वसुंधरा राजे का विवाह धोलपुर के जाट राजघराने में हेमंत सिंह के साथ हुआ और उनके पुत्र दुष्यंत सिंह जो कि झालावाड़ संसदीय क्षेत्र से सांसद हैं उनका विवाह गुर्जर राजघराने की निहारिका सिंह के साथ हुआ।

वसुंधरा राजे ने अपने राजनीतिक कैरियर का पहला चुनाव मध्यप्रदेश की भिंड लोकसभा से 1984 में लड़ा लेकिन इंदिरा गांधी की हत्या के बाद पूरे देश में कांग्रेस के लिए सहानुभूति की लहर होने की वजह से वह कांग्रेस के कृष्णा सिंह से 88000 वोटों से हार गई।

इसके बाद राजस्थान में भाजपा के कद्दावर नेता भैरों सिंह शेखावत उनको लेकर राजस्थान में आए। 1985 से लेकर 1987 तक वह राजस्थान में भाजपा युवा मोर्चा की प्रदेश उपाध्यक्ष रही। 1987 में वह राजस्थान भाजपा की प्रदेश उपाध्यक्ष बनी।

अटल बिहारी वाजपेई की सरकार में वसुंधरा राजे केंद्र में विदेश राज्य मंत्री भी बनी। भैरों सिंह शेखावत के उपराष्ट्रपति बनने के बाद वसुंधरा राजे को राजस्थान में भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया।

वसुंधरा राजे अब तक पांच बार झालरापाटन से विधायक बन चुकी है पहली बार 1985 से 1990 तक आठवीं विधानसभा के लिए झालरापाटन से विधायक चुनी गई।दूसरी बार 2003 से लेकर 2008 तक 12 वीं विधानसभा के लिए वह फिर से झालरापाटन से ही विधायक बनी इस बार वसुंधरा राजे को राजस्थान की पहली महिला मुख्यमंत्री बनने का भी गौरव प्राप्त हुआ।

2008 से 2013 तक तेरहवीं विधानसभा के लिए वसुंधरा राजेे फिर से झालरापाटन से ही विधायक चुनी गई लेकिन इस बार उनकी पार्टी को चुनाव में हार का सामना करना पड़ा।

2013 से 2018 तक चौदहवीं विधानसभा के लिए वसुंधरा फिर से झालरापाटन से विधायक बनी और एक बार फिर प्रचंड बहुमत के साथ उन्हें राजस्थान की मुख्यमंत्री बनने का दूसरा अवसर मिला।

दिसंबर 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में वसुंधरा राजे ने एक बार फिर झालरापाटन से जीत दर्ज की इस बार उन्होंने कांग्रेस के मानवेंद्र सिंह को भारी मतों से हराया।

वसुंधरा राजे पांच बार विधायक रहने के साथ ही पांच बार सांसद भी रह चुकी है। वसुंधरा राजे पहली बार 1989 से लेकर 1991 तक झालावाड़ संसदीय क्षेत्र से लोकसभा सांसद चुनी गई।

दूसरी बार फिर से 1991 से लेकर 1996 तक उन्होंने झालावाड़ संसदीय क्षेत्र का लोकसभा में प्रतिनिधित्व किया। 1996 से लेकर 1998 तक वसुंधरा ने एक बार फिर झालावाड़ लोकसभा सीट पर जीत दर्ज की। चौथी बार 1998 से लेकर 1999 तक वसुंधरा राजे फिर से झालावाड़ क्षेत्र से ही सांसद बनी।

1999 से लेकर 2003 तक वसुंधरा राजे पांचवीं बार झालावाड़ संसदीय क्षेत्र से सांसद चुनी गई।

2003 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा को मिले प्रचंड बहुमत के बाद उन्हें राजस्थान का मुख्यमंत्री बनने का अवसर मिला।

वसुंधरा के मुख्यमंत्री बनने के बाद अब झालावाड़ लोकसभा सीट से लगातार चार बार उनके पुत्र दुष्यंत सिंह सांसद का चुनाव जीते हैं। अभी वर्तमान में भी दुष्यंत सिंह झालावाड़ बारां लोकसभा सीट से सांसद है।

वसुंधरा राजे जब से राजनीति में आई है राजस्थान प्रदेश की राजनीति उन्हीं के इर्द-गिर्द घूम रही है। राजनीतिक गलियारों में अक्सर इस तरह की चर्चाएं होती रही है कि वसुंधरा और राष्ट्रीय नेतृत्व के बीच सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है।

यह बात देखने को तब मिली जब राष्ट्रीय नेतृत्व ने केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह को राजस्थान का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया, लेकिन वसुंधरा राजे ने इस पर कड़ा एतराज जताया और अपने समर्थक विधायकों को लेकर दिल्ली पहुंच गई। जिसके बाद प्रदेश नेतृत्व को अपना वह निर्णय टालना पड़ा और वसुंधरा की जिद पर स्व. मदन लाल सैनी को भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया गया।

राजस्थान प्रदेश की राजनीति में टिकट बंटवारे से लेकर मंत्रिमंडल बंटवारे तक हर जगह वसुंधरा राजे की चलती आई है। लेकिन इस बार हुई विधानसभा चुनाव में हार के बाद वसुंधरा राजे को राष्ट्रीय नेतृत्व ने भले ही राष्ट्रीय उपाध्यक्ष तो बनाया है लेकिन ऐसा लग रहा है कि प्रदेश की राजनीति में उनकी पकड़ अब कुछ कमजोर हो गई है।

वसुंधरा राजे के रिश्ते राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से भी कुछ ठीक नहीं बताए जाते हैं। बीच बीच में मीडिया में कुछ इस तरह की खबरें भी आती रही है कि वसुंधरा राजे राष्ट्रीय नेतृत्व द्वारा उनकी बात नहीं मानने पर कभी भी पार्टी छोड़कर अलग पार्टी भी बना सकती है।

मोदी सरकार में अपने पुत्र दुष्यंत को मंत्री नहीं बनाए जाने को लेकर भी वसुंधरा राजे राष्ट्रीय नेतृत्व से नाराज बताई जा रही है।

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