अगर ये फोटो देखने के बाद भी आपको नींद आ रही है तो आपकी संवेदनाएं मर चुकी है !


हमनें बचपन से सुना है कि भारत की विविधता हर किसी अपनी ओर खींचती है, हर दिन यहां कुछ नया होता है, हर दिन कुछ नया घटता है। इन्हीं विविधताओं के बीच से कुछ ऐसा निकलकर सामने आता है जो मन को विचलित होने पर मजबूर कर देता है, क्योंकि जब आपको पता चलता है कि मध्यप्रदेश में दो दलित बच्चों को पीट-पीट कर इसलिए मार दिया जाता है क्योंकि वो खुले में शौच कर रहे थे। जी हां, अब आप अचंभा और अफसोस दोनों करने के लिए स्वतंत्र है, जो मन में आए वो करें।

पहले घटना के बारे में थोड़ा जानते हैं, मध्यप्रदेश में एक जिला है शिवपुरी, जहां भावखेड़ी गांव में बीते बुधवार की सुबह पंचायत भवन के सामने वाल्मीकि समाज के दो बच्चे, रोशनी (12 साल) और अविनाश (10 साल) सड़क पर शौच कर रहे थे।

तभी हाकिम यादव और रामेश्वर यादव नामक दो शख्स वहां आते हैं और सड़क को गंदा करने का कहकर लाठियों से बच्चों के बुरी तरह पीटते हैं। अस्पताल ले जाने के बाद उन्हें वहां मृत घोषित कर दिया जाता है। हालांकि पुलिस ने दोनों भाईयों को गिरफ़्तार कर लिया है।

अविनाश के पिता पुलिस को बताते हैं कि उनके घर में शौचालय नही बनने दिया गया था जिसके कारण उनका परिवार बाहर शौच करने जाता है। हमारे घर में शौचालय बनाने के लिये गांव की पंचायत के पास पैसा आया पर “इन लोगों” ने बनने नहीं दिया। अगर आप देस के वर्तमान हालातों से परिचित हैं तो आपतो ये बताने की जरूरत नहीं होगी कि “ये लोग” कौन है ?

हमारे कानून में दलितों के खिलाफ भेदभाव पर रोक लगाने के लिए कई नियम हैं लेकिन इन विशेष जाति समूहों के लोगों के खिलाफ अत्याचार और हिंसा की घटनाएं आना अब आम बात सी हो गई है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा जारी 2016 के आंकड़ों के मुताबिक, जब अनुसूचित जाति के खिलाफ अत्याचार की बात आती है तो मध्य प्रदेश पहले और पड़ोसी राजस्थान दूसरे स्थान पर है।

2 अक्टूबर को मोदी सरकार का एक और जलसा है !

मोदी सरकार की पहली पारी में स्वच्छ भारत मिशन और खुले में शौच मुक्त भारत बनाना खासा चर्चा में रहा, सरकार ने लोगों से इन अभियानों को जन आंदोलन की तरह आगे बढ़ाने की अपील की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी महात्मा गांधी के 150वें जन्मदिन पर  2 अक्टूबर को भारत को खुले में शौच से मुक्त घोषित करने के लिए पूरी तरह तैयार है।

सरकार का कहना है कि देश में उन्होंने 100 मिलियन से अधिक शौचालय बनाए जो कि पहल के तहत $20 बिलियन रखे गए थे। वहीं पीएम मोदी को इस हफ्ते भारत को खुले में शौच से मुक्त करने के लिए और सरकार के प्रयासों के लिए बिल और मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन से एक अवार्ड भी दिया गया है।

मोदी ने इस सम्मान को उन सभी भारतीयों को समर्पित किया, जिन्होंने ‘स्वच्छ भारत मिशन’ को एक जन-आंदोलन में बदल दिया और अपने जीवन में स्वच्छता को सर्वोच्च प्राथमिकता देना शुरू कर दिया।

लेकिन सच्चाई कड़वी है !

2014 में, प्रधानमंत्री ने 2019 तक भारत को खुले में शौच मुक्त करने के लक्ष्य की घोषणा की थी। अक्टूबर 2014 से अक्टूबर 2017 के बीच 4.5 मिलियन से अधिक शौचालयों का निर्माण किया गया। इसके बाद 30 दिसंबर 2018 तक यह बढ़कर 9.12 मिलियन हो गया।

अक्टूबर 2017 तक, 677 जिलों में से 2,43,000 (भारत के 6,50,000) गांवों में से 201 से अधिक और 5 राज्य ओडीएफ हो चुके हैं। यह स्पीड अविश्वसनीय तरीके से बढ़ी और 30 दिसंबर, 2018 तक यह आंकड़ा 1539 गांवों, 580 जिलों और 27 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों का हो गया।

आंकड़ों की सार्थकता जानने के लिए थोड़ा पीछे चलना पड़ेगा, UPA-II सरकार की वेबसाइट यह दावा कर रही थी कि 72% ग्रामीण घरों में शौचालय था। हालांकि, जनगणना से पता चला कि केवल 32% में एक शौचालय था। सरकार ने तुरंत 2012 में एक सर्वे किया, जिसमें पाया गया कि वास्तविक तौर पर शौचालय 36% परिवारों के पास ही है।

अब सवाल यह उठता है कि वर्तमान मोदी सरकार ने कैसे महज चार सालों में 96% ग्रामीणों तक अपने इस अभियान को पहुंचा दिया। आपको बता दें कि 2012 का सर्वे शौचालय वाले घरों के लिए था ना कि यह बताने के लिए कि कितने घर या गांव वास्तविक ओडीएफ हैं या नहीं।

हाल में रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर कम्पैसिनेट इकोनॉमिक्स द्वारा 2018 के अंत में एक सर्वे किया गया जो यह बताता है कि 42% से 57% ग्रामीण लोग (यूपी, बिहार, राजस्थान, एमपी में) दो साल से अधिक उम्र के लोग खुले में शौच करते हैं।

यह आंकड़े सरकार के दावों का खंडन करते हैं कि इन राज्यों में खुले में शौच को समाप्त कर दिया गया है। इसके अलावा यह भी पता चलता है कि लैट्रीन वाले 40% घरों में कम से कम एक व्यक्ति है जो खुले में शौच करता है। हालांकि, अच्छी खबर यह भी है कि चार राज्यों में, खुले में शौच से 2014 में लगभग 70% लोग (उसी घरों में सर्वेक्षण किया गया था) से गिर गया, 2018 में लगभग 44% हो गया।

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