प्रदेश की राजधानी जयपुर के सीतापुरा इंडस्ट्रियल एरिया में कई राज्यों के लाखों मजदूर कपड़ा, ज्वेलरी, फैक्ट्री आदि में काम करते हैं। लॉक डाउन के बाद इनके मालिकों ने जहां अपने दरवाजे बंद कर लिए तो अपने गांव जाने की कोई भी व्यवस्था ना होने के कारण अब ये सड़कों पर रात बसर करने को मजबूर हैं।

जनमानस विशेष

जयपुर : लॉकडाउन के बाद सीतापुरा इंडस्ट्रियल एरिया में पलायन को मजबूर हज़ारों दिहाड़ी मजदूर !

By khan iqbal

March 28, 2020

देशभर में कोरोना के कहर को मद्देनजर केंद्र सरकार की तरफ से 21 दिनों का कर्फ्यू (लॉकडाउन) चल रहा है, इसी बीच देश के तमाम हिस्सों से हज़ारों-लाखों की तादाद में दिहाड़ी और प्रवासी मजदूरों के पलायन की खबरें और तस्वीरें हर किसी को व्यथित कर रही है।

राजस्थान के तमाम जिलों के मजदूर जो दिल्ली, गुजरात, महाराष्ट्र जैसे शहरों में काम करते हैं वो अब सड़कों के रास्ते सैकड़ों किलोमीटर दूरी तय कर पैदल अपने घरों की ओर निकल गए हैं और पिछले 3 दिनों से लगातार चल रहे हैं, हालांकि कुछ जगह राज्य सरकारों ने इन्हें वाहन उपलब्ध करवाएं हैं लेकिन हालात अभी भी जस के तस हैं।

प्रदेश की राजधानी जयपुर के सीतापुरा इंडस्ट्रियल एरिया में कई राज्यों के लाखों मजदूर कपड़ा, ज्वेलरी, फैक्ट्री आदि में काम करते हैं। लॉक डाउन के बाद इनके मालिकों ने जहां अपने दरवाजे बंद कर लिए तो अपने गांव जाने की कोई भी व्यवस्था ना होने के कारण अब ये सड़कों पर रात बसर करने को मजबूर हैं।

इंडस्ट्रियल एरिया के एंट्री पर इंडिया गेट नामक जगह पर ये मजदूर इकठ्ठा हैं, जिनके रोटी और रहने का फिलहाल कोई ठिकाना नहीं है।

बिहार के बलिया के रहने वाले एक मजदूर ने जनमानस राजस्थान को बताया कि,

“हम लॉक डाउन के बाद से यहां फंसे हुए हैं, हम सरकार के इस फैसले के साथ हैं लेकिन सरकार को हमारी रोजी-रोटी के बारे में भी सोचना चाहिए। अब हम राज्य सरकार से बस यही मांग करते हैं कि कैसे भी करके हमें हमारे गांव पहुंचा दें”

वहीं 45 साल की कानपुर की रहने वाली एक प्राइवेट कंपनी में काम करने वाली महिला कहती है कि, “हमें बस हमारे बच्चों के पास गांव जाना है, यहां रहे तो कोरोना से बाद में पहले भूख से मर जाएंगे”।

आपको बता दें कि कुछ लोग यहां से ही सड़क के रास्ते पैदल यूपी, बिहार में अपने गांव की ओर निकल पड़े हैं। वहीं लोगों का साफतौर पर कहना है कि हमें अगर 2-3 दिन का भी समय मिला होता या हमारे रीको के कर्मचारी और अधिकारी आते और उनको आश्वस्त करते तो शायद परिस्थितियां इतनी नहीं बिगड़ती।

हालांकि कुछ सामाजिक और नागरिक संगठनों की तरफ से यहां बीते शुक्रवार को लोगों में खाने के पैकेट बांटे गए। वहां मौजूद MKSS के मुकेश निर्वासित कहते हैं कि, इस एरिया में ऐसे लोगों की तादाद हज़ारों में है, हमारे द्वारा बांटे गए खाने के पैकेट कब तक कारगर साबित होंगे। सरकार को जल्द से जल्द यहां सूखा राशन बांटने की व्यवस्था करनी होगी”।

राजस्थान सरकार की तमाम घोषणाओं के बावजूद जमीनी स्तर पर इन लोगों तक पर्याप्त सूचना का अभाव और कुछ ना पहुंच पाने की वजह से यहां भय का माहौल बन गया है, ऐसे में सरकार को इनके लिए समुचित व्यवस्था के साथ-साथ जागरूकता की अपील सहित सुरक्षा का आश्वासन देना चाहिए।