धरमवीर जाखड़ जिन्होंने 1 जनवरी 2016 को स्कूल शुरू किया, जहां उन्होंने भीख मांगने वाले हर बच्चे के हाथ में पेंसिल थमाने का संकल्प लिया। वह चाहते हैं कि ये बच्चे भी किसी दिन मुख्यधारा में पहुंचें और राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान दें।

राजस्थान

राजस्थान : चुरू का यह पुलिसवाला बना हीरो, भीख मांगने वाले 450 बच्चों के लिए खोला फ्री स्कूल

By अवधेश पारीक

November 06, 2019

देश में जहां एक तरफ वकील और पुलिस वालों की भिडंत की हर तरफ चर्चा है वहीं राजस्थान के चूरू जिले में एक पुलिस वाला कुछ और ही कारणों से हर किसी की जुबां पर छाया है। जी हां, यह पुलिस वाला ‘अपनी पाठशाला’ नाम से स्कूल चलाकर गांव वालों का हीरो बन गया है

नाम है धरमवीर जाखड़ जिन्होंने 1 जनवरी 2016 को स्कूल शुरू किया, जहां उन्होंने भीख मांगने वाले हर बच्चे के हाथ में पेंसिल थमाने का संकल्प लिया। वह चाहते हैं कि ये बच्चे भी किसी दिन मुख्यधारा में पहुंचें और राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान दें।

धरमवीर ने पहली बार बच्चों को उनकी ड्यूटी के घंटों के दौरान देखा जब वे पुलिस स्टेशन के बाहर सड़कों पर भीख मांगते थे। धरमवीर के शब्दों में, “जब मैंने इन बच्चों से बात की, तो उन्होंने मुझे बताया कि उनके माता-पिता या कोई अन्य रिश्तेदार नहीं हैं। शुरू में, मुझे लगा कि वे झूठ बोल रहे होंगे, लेकिन मैं उनकी झुग्गियों में गया और उन्हें पता चला कि वे सच बोल रहे थे।

आगे उन्होंने कहा कि उस दिन मैंने सोचा अगर मैं इनकी मदद नहीं करूंगा तो इनका पूरा जीवन भीख माँगने में निकल जाएगा और इसके बाद उन्होंने हर दिन एक घंटे के लिए उन्हें पढ़ाना शुरू किया।

धरमवीर ने आगे बताया कि वो दो महिला कांस्टेबलों और कुछ युवा स्वयंसेवकों की मदद से बच्चों को पढ़ाते हैं। आज उनकी स्कूल में लगभग 450 बच्चे हैं।

स्कूल के बारे में बताते हुए धरमवीर कहते हैं कि “यह सब एक रात भर की उपलब्धि नहीं थी, हमें यहां तक ​​पहुंचने में 4 साल लग गए और अब हमारे स्कूल में 450 से अधिक बच्चे हैं। हमने 200 छात्रों को सरकारी स्कूलों में दाखिला दिलाया और लगभग 90 बच्चे 6ठवीं क्लास में पढ़ रहे हैं।”

वहीं बच्चों को स्कूल ले जाने के लिए एक वैन की व्यवस्था की गई है और बाद में उन्हें झुग्गियों में वापस छोड़ दिया जाता है। इसके अलावा, कपड़े, भोजन, जूते और अन्य सभी पढ़ने की सामग्री भी मुफ्त प्रदान की जाती हैं।

बहुत से परिवार ऐसे हैं जो यूपी और बिहार से यहां काम करने आते हैं। धरमवीर ने बच्चों को अपने गांव वापस जाने और पढ़ाई करने और न रुकने के लिए प्रेरित किया है।

वहीं ‘अपनी पाठशाला’ के सुचारू रुप से चलाने के लिए धरमवीर फेसबुक और अन्य सोशल मीडिया पोर्टलों द्वारा आयोजित विभिन्न अभियानों के जरिए फंड लेते हैं।

इस पुलिसवाले का यह मानना ​​है कि सरकारी मशीनरी देश के जरूरतमंदों और असहायों की मदद के लिए बहुत कुछ कर सकती है। “पुलिस, समाज और शिक्षा विभाग की मदद से, हम उनके जीवन को बदल सकते हैं।