भरतपुर : मुस्लिम होने के कारण नहीं हुआ इलाज ! जांच रिपोर्ट जारी..पर ये सवाल अब भी अनसुलझे ?


राजस्थान के भरतपुर में जनाना अस्पताल में मुस्लिम महिला को भर्ती करने से मना करने और नवजात की मौत मामले में हर दिन नए पहलू सामने आ रहे हैं। बीते कल जहां सोशल मीडिया पर पीड़िता की भाभी और पति इरफान के अलग-अलग वीडियो सामने आए, जिसमें कभी भाभी दबाव बनाने की बात कहती है तो कभी अस्पताल की मुसलमान कहने की बात को नकारती है।  

वहीं इस मामले पर पीड़िता के पति इरफान का भी एक वीडियो सामने आया जिसमें वो अस्पताल द्वारा मुसलमान कहने की बात को नकारते हुए कहते हैं, ऐसा मुझे ख्याल आया था। वहीं दूसरी तरफ सोशल मीडिया के जरिए इस घटना पर सबसे पहले आवाज उठाने वाले पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह अपने सभी बयान पर कायम है और सरकार और प्रशासन पर दबाव की बात कह रहे हैं।

जबकि इस पूरे मामले पर कलक्टर द्वारा दिए गए जांच के आदेश के बाद जांच अधिकारी यूआईटी सचिव एडीएम उम्मेदीलाल मीणा ने अपनी जांच रिपोर्ट प्रशासन को सौंप दी है जिसमें बताया गया है कि अस्पताल प्रशासन ने पीड़िता को मुसलमान होने के नाते भर्ती करने से मना नहीं किया गया।

रिपोर्ट में पीड़ित पक्ष की ओर से पीड़िता, उसके पति इरफान और भाभी के बयान दर्ज हैं, इसके साथ ही जनाना अस्पताल प्रशासन के डॉक्टरों के भी बयान हैं जिसमें चिकित्सक मुस्लिम होने के नाते रेफर नहीं करने की बात को नकारते हैं।

जांच रिपोर्ट के बाद विश्वेंद्र सिंह ने क्या कहा ?

पर्यटन मंत्री विश्वेंद्रसिंह ने जांच रिपोर्ट सामने आने के बाद फिर एक बार चिकित्सा राज्य मंत्री सुभाष गर्ग पर निशाना साधते हुए कहा कि “वे मीडिया को कंट्रोल करना जानते हैं। इसलिए इस मामले की हकीकत को सामने नहीं लाना चाहते।

 

उन्होंने आगे कहा कि कोरोना संक्रमण के खिलाफ लड़ रहे डाक्टरों को मेरा सलाम है, लेकिन जैसे एक मछली तालाब को गंदा करती है। वैसे ही कुछ लोग पूरे विभाग को बदनाम करते हैं। यही परवीना के मामले में हुआ।

मंत्री जांच रिपोर्ट को तथ्यों से परे गलत बताते हैं और कहते हैं कि जिला प्रशासन एवं मेडिकल विभाग तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश कर रहा है और यहां तक कि मुख्यमंत्री कार्यालय तक यही गलत जानकारी भेजी जा रही है।

इस पूरे घटनाक्रम के बीच कुछ सवाल हैं जो अभी भी बने हुए हैं जिनके जवाब प्रशासन की रिपोर्ट से भी नहीं मिलते और उधर पर्यटन मंत्री अपने बयानों पर अड़े हुए हैं।

खून की कमी के चलते जयपुर भेजा तो फिर भर्ती कर खून कैसे चढ़ाया गया ?

कलक्टर की रिपोर्ट में बताया गया है कि इऱफान अपनी पत्नी को लेकर सीकरी सामुदायिक स्‍वास्‍थ्‍य केंद्र से शनिवार सुबह 8 बजे जनाना अस्पताल पहुंचा तो मौजूद डॉक्टर रेखा झरवाल ने यह कहकर रेफर किया कि परवीना एनेमिक है और खून बह रहा है।

वहीं विश्वेंद्र सिंह का आरोप है कि महिला को 1 बजे बाद मेरे ट्वीट के बाद भर्ती किया गया था और 12 बजे के आस-पास उसका गर्भपात हुआ था। लेकिन सवाल यह है कि जिस जनाना अस्पताल के डॉक्टरों ने महिला को खून की कमी के चलते जयपुर रेफर किया था तो करीब डेढ़ घंटे बाद उसे वहीं भर्ती कैसे कर लिया और मुफ्त में खून भी उपलब्ध करवा दिया गया ?

गर्भवती को अस्पताल ने एंबुलेंस उपलब्ध क्यों नहीं करवाई ?

जब प्रसूता अपने पति के साथ जनाना अस्पताल पहुंची तो उसकी हालत देखकर डॉक्टरों ने उसे जयपुर रेफर कर दिया ऐसा सरकारी रिपोर्ट में कहा गया है लेकिन एक सवाल यह है कि अगर रेफर किया ही था तो अस्पताल ने सरकारी एम्बुलेंस उपलब्ध क्यों नहीं कराई, क्यों इरफान को खुद किराए पर एंबुलेंस करके जयपुर रवाना होना पड़ा?

इऱफान के बार-बार बदलते बयान

प्रसूता के पति इरफान से जब घटना के तुरंत बाद पूछा गया तो उसने कहा हां मुस्लिम होने के नाते हमारे साथ गलत व्यव्हार और अस्पताल प्रशासन मेरे बच्चे की मौत का जिम्मेदार है लेकिन घटना के एक दिन बाद जब इरफान का बयान सामने आया तो वह अपनी कही बात से मुकर गया…अब इरफान ने कहा कि सीधे तौर पर ऐसा मुस्लिम हो नहीं कहा गया…वो तो मेरे मन में ऐसा ख्याल आया कि हां इसी वजह से हमें जयपुर भेजा होगा ?

सवाल यह है कि इरफान ने जांच से पहले और बाद में अलग-अलग तरह के बयान क्यों दिए, क्या वो किसी के दबाव में था ?

पर्चे और जांच रिपोर्ट में अंतर कैसे ?

दैनिक भास्कर की एक खबर के मुताबिक जांच रिपोर्ट में करीब सवा 3 महीने पहले हुई सोनोग्राफी की रिपोर्ट को आधार मानते हुए पीडि़ता का गर्भ 7 महीने बताया गया है लेकिन सीकरी सीएचसी ने अपने पर्चे पर 8 माह का गर्भ बताया है ?

ऐसे तमाम सवालों के जवाब अभी भी मिलना बाकी है, बरअहाल कलक्टर ने अपनी रिपोर्ट मेडिकल शिक्षा सचिव को भेज दी है।

– अवधेश पारीक

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