राजस्थान में उर्दू और मदरसा पैरा टीचर्स के मुद्दे पर बंद हुई दांडी यात्रा एक बार फिर से उसी जगह से शुरू कर दी गई है जहां से उसको रोका गया था। 21 नवंबर 2020 को जब उदयपुर में दांडी यात्रा को रोका गया था तब एक समझौता पत्र पर सरकार के नुमाइंदे वक्फ बोर्ड चैयरमेन खानू खान बुधवाली की मौजूदगी में सारी मांगें मान ली गई थी।
तब यह घोषणा भी की गई थी की 30 सितंबर 2021 तक मदरसा पैरा टीचर्स को नियमित कर दिया जाएगा। अब सरकारी वादे की तारीख़ निकल चुकी है इसलिए 2 अक्टूबर 2021 को गांधी जयंती से शमशेर भालू खान एक बार फिर से दांडी यात्रा शुरू कर चुके हैं।
शमशेर भालू खान का कहना है कि मदरसा पैरा टीचर्स को धोखा मैंने नहीं सरकार ने दिया है। सभी संविदा कर्मियों को नियमित करने का वादा कांग्रेस ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में किया था। उसके बाद 20 नवंबर 2021 को मेरे साथ हुई समझौता वार्ता में लिखित में 30सितंबर तक नियमित करने का वादा सरकार ने किया था और उसको ही वादा पूरा करना था। सरकार ने अपना वादा नहीं निभाया इसलिए सरकार को उसका वादा याद दिलाने के लिए ही हम एक बार फिर से सड़कों पर आ गए हैं।
उन्होंने बताया कि हम गांधीजी के अहिंसा के पद चिन्हों पर चलते हुए ही सरकार से अपनी मांग मनवा कर रहेंगे। इस बार नियमितीकरण के आदेश लिए बिना हम घर वापस नहीं जायेंगे। हमारे साथ इस यात्रा में मदरसा पैराटीचर्स, राजीव गांधी पाठशाला पैराटीचर्स व शिक्षाकर्मी भी है।
दांडी यात्रा फिर से वही से शुरू हुई है जहां से इसको रोका गया था। गांधी जयंती के दिन 2 अक्टूबर से दांडी यात्रा उदयपुर के सरदार पटेल सर्कल से शुरू हुई थी और गुजरात के दांडी तक जाएगी।
पहले दिन कुल 30 km की पैदल यात्रा की गई। पहले दिन की दांडी यात्रा में 250 से 300 मदरसा पैराटीचर्स, राजीव गांधी पाठशाला पैराटीचर्स व शिक्षाकर्मियों ने भी शमशेर भालू खान के साथ पैदल यात्रा की। इस बार दांडी यात्रा में शमशेर भालू खान के साथ मदरसा पैरा टीचर्स संघ के प्रदेश अध्यक्ष आज़म खान पठान भी कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे हैं।