ग़रीब और बेसहारा लोगों की आवाज उठाने वाला वक़ील ‘शाहिद आज़मी’

आज एडवोकेट शाहिद आज़मी की हत्या को 10 साल हो गए है । आज ही के दिन शाहिद आज़मी की उनके मुंबई के कुर्ला स्थित ऑफिस में 4 अज्ञात हमलावरों द्वारा गोली मार के हत्या कर दी गयी थी। मगर अफ़सोस जिस शख़्स की ज़िंदगी बेगुनाहों की जान बचाने में चली गयी, जो पूरी ज़िंदगी सिस्टम के ख़िलाफ़ लड़ता रहा उसकी खुद की मौत के 10 साल बाद भी हत्यारों के ख़िलाफ़ ट्रायल अब तक नहीं चल सका है।

मूल रूप से आजमगढ़ के इब्राहीमपुर गांव के रहने वाले शाहिद आज़मी का जन्म मुंबई की एक कच्ची बस्ती में हुआ, शाहिद अपने 5 भाइयों में तीसरा था। बचपन से ही शाहिद की ज़िंदगी मुश्किलों भरी थी। कम उम्र में ही उसे 1993 में हुए मुंबई दंगों की वजह से जेल में रहना पड़ा जिसके बाद उसने कुछ वक़्त कट्टरपंथी संघटनों के साथ गुजारा। वहां से आने के बाद शाहिद को गिरफ्तार कर लिया गया । 7 साल तक शाहिद ने अपनी जिंदगी का एक अहम वक़्त दिल्ली की तिहाड़ जेल में बिताया।

जेल में रहने के दौरान भी शाहिद ने अपनी पढ़ाई जारी रखी और फिर रिहा होने के बाद वकील बनने की ठानी।
शाहिद ने सिर्फ उन्हीं लोगों के केस लड़े जिन पर आतंकवाद का झूठा मुकदमा चल रहा था और जिनकी मदद को कोई तैयार नहीं था।

शाहिद ने ज्यादातर उन मुस्लिम युवाओं के केस ही लड़े जिनको बग़ैर किसी ठोस सबूत के भी आतंकवाद के झूठे आरोपों में जेल में सड़ाया जा रहा था। इन्हीं में से एक केस 26/11 आतंकी हमलों में पकड़े गये फ़हीम अंसारी का भी था। इन्हीं सब वजहों से वो दक्षिणपंथी संघटनों के निशाने पर आ गए थे और उन्हें जान से मारे जाने की धमकियां मिलने लगी थी।

फ़हीम अंसारी केस में फ़ैसला आने से पहले ही उनकी गोली मार के हत्या कर दी गयी थी।

शाहिद ने जिस तरह ग़रीबी में बचपन बिताया, दंगों के दर्द झेले, एक बार भटकने के बाद खुद को संभाला, इतने साल जेल में यातनाएं सहने के बाद भी ख़ुद को ग़लत रास्ते पे चलने से रोका वो क़ाबिले तारीफ़ है।

शाहिद ने अपने 6 साल के छोटे से कैरियर में 17 ऎसे लोगों को रिहा करवाया जिन पर आतंकवाद के झूठे मुकदमे चल रहे थे। भारतीय न्याय व्यवस्था, जो न्याय में देरी के लिये मशहूर है उसमें इस तरह का कोई दूसरा उदाहरण हमें नहीं मिलता।अपनी इन्हीं सब खूबियों की वजह से एक साधारण सा इंसान आज ग़रीबों और बेसहारा लोगों की आवाज उठाने वाले हीरो के तौर पर याद किया जाता है।

~Mohammed Asif

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *