समाज

हर साल सड़क सुरक्षा सप्ताह धूमधाम से तो मनाया जाता है, मगर दुर्घटनाओं का सिलसिला रुकता क्यों नहीं है!

By khan iqbal

February 07, 2019

सड़क परिवहन एवं राज मार्ग मंत्रालय की ओर से 4-10 फरवरी तक राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा सप्ताह मनाया जा रहा है।  इस सप्ताह का आयोजन कर लोगों को यातायात नियमों के प्रति जागरूक करने एवं सड़क सुरक्षा के साधनों की जानकारी प्रदान करने का लक्ष्य है। भारत में सड़कों का जाल है, इन सड़कों पर कई कारणों से रोज हादसे होते रहते हैं। देश में लगभग 5 लाख लोग हर साल  सड़क दुर्घटना के शिकार होते हैं जिनमें लगभग 1.5 लाख लोग सड़क हादसे में मारे जाते हैं। विश्व के सबसे ज्यादा सड़क वाले देशों में भारत दूसरे नंबर पर आता है। यहां लाखों किलोमीटर सड़कें बनाई गई, करोड़ों रुपए सड़क बनाने पर हर साल खर्च किये जाते हैं, लेकिन इनकी गुणवत्ता और रखरखाव पर कोई खास ध्यान नहीं दिया जाता।  भारत में सड़क हादसों में हताहत होने वालों की बढ़ती संख्या काफी चिंताजनक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 2009 में सड़क सुरक्षा पर अपनी रिपोर्ट में सड़क दुर्घटना को “सबसे बड़े कातिल” के रूप में पेश किया था।

सड़क हादसों से जुड़े कुछ तथ्य उभरकर सामने आए हैं जो काफी चौंकाने वाले हैं। विश्व में हर रोज 3000 लोग सड़क दुर्घटना में मारे जाते हैं। इनमें 60% 15-29 आयु वर्ग के युवा होते हैं।एक रिपोर्ट के अनुसार 10 करोड़ से भी अधिक लोग आजादी के बाद भारत में केवल सड़क हादसों के कारण मारे गए जो चिंता का विषय है।

सड़क दुर्घटना के कारणों में शराब पीकर और मोबाइल पर बात करते हुए गाड़ी चलाना, अवयस्क वाहन चालक, सीट बेल्ट न लगाना,  हेलमेट का प्रयोग न करना, असुरक्षित वाहन एवं खराब सड़कें मुख्य कारण होते हैं। अगर यातायात नियमों के अनुरूप वाहन चलाया जाय तो दुर्घटनाओं को काफी कम किया जा सकता है।

सड़क सुरक्षा सप्ताह एक ऐसा अवसर है जब हम जीवन  की सुरक्षा का महत्व समझ सकते हैं और यह जान पाते हैं कि यातायात नियमों का पालन कर ना सिर्फ हम अपनी जान बचाते हैं बल्कि दूसरों की रक्षा भी कर सकते हैं। सरकार ऐसे कार्यक्रम आयोजित कर लोगों को जागरूक करती है लेकिन उससे पहले सुरक्षा उपायों पर ईमानदार प्रयास करने की जरूरत है।

हर सड़क दुर्घटनाओं के लिए पब्लिक को जिम्मेदार ठहरा कर सरकार अपनी जिम्मेदारियों से नहीं बच सकती। सड़क सुरक्षा सप्ताह जैसे अन्य कार्यक्रमों के आयोजन के साथ साथ देश की बदतर सड़कों का हाल सुधारने पर भी खास ध्यान देने की जरूरत है। अभी भी ऐसे राष्ट्रीय राजमार्ग हैं जो राज्यमार्ग से भी बदतर हैं। हाई कोर्ट के माननीय न्यायधीश महोदय को जब एनएच पर चलते हुए रेगिस्तान का अनुभव हो तो सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि सड़कों की क्या हालत होगी। सड़क में गढ्ढे नहीं, बल्कि गढ्ढे में सड़क हो तो दुर्घटनाओं को कौन रोक सकता है?  क्या खराब सड़कों को कोई राजनीतिक दल मुद्दा बनाती है? मुद्दा तो मंदिर मस्जिद, जाति धर्म जैसे उठाये जाते हैं जो सत्ता प्राप्त करने का आसान जरिया होते हैं। सड़क सुरक्षा तो बेहद जरूरी है मगर सरकार सड़कों को दुरुस्त कर दे तो दुर्घटनाओं में कमी जरूर आ सकती है। सड़क निर्माण में ढील, रखरखाव संबंधी योजनाओं में अनियमितता, क्रियान्वयन की कमी से खराब सड़कों का निर्माण होता है जो दुर्घटनाओं का कारण बनता है। यातायात नियमों की अवहेलना करने पर जिस तरह जुर्माने का प्रावधान है उसी तरह खराब सड़कों के लिए भी निर्माण कंपनियों पर जुर्माने की सजा निर्धारित की जानी चाहिए।

सड़क सुरक्षा सप्ताह की सार्थकता तभी है जब हम सब यातायात नियमों का पालन कर अपनी व दूसरों के जीवन की रक्षा करें। सरकारें भी ईमानदारी से सड़कों का निर्माण कराए और सुरक्षा संबंधी तकनीक विकसित करे वरना हर साल सड़क सुरक्षा सप्ताह धूमधाम से तो मना लिया जाएगा मगर दुर्घटनाओं का सिलसिला यूँ ही चलता रहेगा।

ज़फर अहमद, बिहार