राजनीति

रामगढ़ में प्रचार के लिए नहीं पहुंचा भाजपा का कोई बड़ा नेता!

By khan iqbal

January 31, 2019

राजस्थान के रामगढ से कांग्रेस उम्मीदवार सफीया की जीत कांग्रेस के लिए संजीवनी बूटी साबित होगी। राजस्थान की कुल दो सो सीटों के लिये चुनावी घोषणा के बाद जारी क्रार्यक्रम के मध्य अलवर जिले की रामगढ विधानसभा क्षेत्र से बसपा उम्मीदवार लक्ष्मणसिंह की मृत्यु के कारण सात दिसंबर से स्थगित होकर अठाईस जनवरी को मतदान होने के बाद आज आये परिणाम मे रामगढ विधानसभा से कांग्रेस की उम्मीदवार सफीया के विजय होने से कांग्रेस को चाहे बहुमत से एक सीट कम सही, पर सफीया के जीतने से कांग्रैस को संजीवनी बूटी जरुर मिली है।

हालाकि सात दिसम्बर को हुये विधानसभा चुनाव के परिणाम मे 199 मे से 99 सीट कांग्रेस ने जीत कर अशोक गहलोत के नेतृत्व मे सरकार बनाने के बाद आज सरकार के पास अपनी कांग्रेस पार्टी की दोसो में से सौ सीटों पर कब्जा हो गया है। इसके अतिरिक्त तेराह निर्दलीय व छ बसपा विधायकों का भी कांग्रेस सरकार को समर्थन मिला हुवा है।

राजस्थान के रामगढ के चुनाव मे भाजपा उम्मीदवार खुसवंतसिंह के प्रचार मे नेता प्रतिपक्ष एवं पूर्व गृह मंत्री गुलाब चंद कटारिया के अलावा भाजपा का कोई भी बडा नेता प्रचार मे नही गया था। लेकिन कांग्रेस के मुख्यमंत्री व उपमुख्यमंत्री सहित अनेक दिग्गज नेता चुनावी प्रचार मे जाकर सफीया को जिताने के लिये सभाऐ की एवं कांग्रेस के राष्ट्रीय महामंत्री भवंर जितेंद्र सिंह ने तो पूरे समय डेरा ही डाल रखा था।

आखिरकार परिणाम उम्मीद के मुताबिक सत्ता पक्ष के हक मे आया ओर सफीया बारह हजार से अधिक मतो से चुनाव जीत गई।

दूसरी तरफ नजर डाले तो पाते है कि कांग्रेस से कुल 15 मुस्लिम उम्मीदवारो ने चुनाव लड़ा ओर उनमे से आठ मुस्लिम उम्मीदवार चुनाव जीत गये।मंत्रीमंडल के अब तक बने पच्चीस सदस्यों की गणना के अनुसार हर चोथा विधायक मंत्री बनने के फोरमुले के अनुसार कुल आठ मुस्लिम विधायकों मे से कम से कम दो मुस्लिम विधायकों को मंत्री बनाने का नैतिक दवाब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर अब जाकर पूरी तरह बन आया है।

2013 के विधानसभा चुनावों मे चूरु क्षेत्र से बसपा उम्मीदवार की मृत्यु के कारण चूरु विधानसभा क्षेत्र की मतदान तिथि के स्थगित होने के बाद 199 विधानसभा सीटो पर एक साथ मतदान होने के बाद आये परिणाम मे बहुमत मिलने पर भाजपा सरकार गठित होने के बाद हुये चूरु चुनाव मे रामगढ चुनाव के परिणाम की तरह तत्तकालीन भाजपा सरकार के पक्ष मे राजेन्द्र राठौड़ की जीत के रुप मे आया था।

2013 के आम विधानसभा चुनाव मे भाजपा को 163 सीटो का भारी बहुमत मिलने पर चूरु की एक सीट का कोई खास महत्व ना होकर संख्या बल मे एक अंक बढना मात्र था। लेकिन अब रामगढ से कांग्रेस उम्मीदवार सफीया के जीतने से एक सीट का मोजुदा गहलोत सरकार के लिये बडा महत्व रखता है।

कुल मिलाकर यह है कि अलवर जिले की रामगढ विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस उम्मीदवार सफीया की जीत गहलोत सरकार के लिये संजीवनी बूटी की तरह काम आयेगी। पर कांग्रैस मे मुस्लिम विधायकों की तादाद बढकर आठ होने के कारण मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर नैतिक दवाब बन गया है कि संख्या के अनुपात मे कम से कम दो मुस्लिम विधायकों को मंत्रीमण्डल मे जगह जरुर दे।

-।अशफाक कायमखानी।

(लेखक राजनीतिक विश्लेषक है, विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में इनके लेख छपते रहते हैं)