समाज

भाई बहन के प्यार का पर्व : रक्षाबन्धन

By khan iqbal

August 17, 2018

-खान शाहीन

रक्षाबन्धन सुनने मे कितना प्यारा पर्व है ना की एक भाई अपनी बहन की हर बुरी चीज़ों से रक्षा का वचन लेता है और बहन उसके लिए लम्बी उम्र की कामना करती है।लेकिन क्या इस हर बहन सुरक्षित है? क्या भाई अपना वचन पूरा करता है? या बस इसी पर्व पर इसी दिन किसी औपचारिकता की तरह यह पर्व शाम ढलते ही सारे वादों को खत्म कर देता है? क्योंकि आज का भारत तो ऐसा ही नज़र आता है । ना यहाँ किसी की बहन सुरक्षित है ना किसी की बेटी ना ही बहु। आये दिन हम सैकड़ो दुष्कर्म के मामले सुनते और अखबारो मे पढ़ते है,, ‘बलात्कार’ यह शब्द लिखते हुए एक दर्द रिसता है मन के भीतर, आत्मा कराह उठती है दरिंदगी की हदें पार देखकर। मंचों से महिला-स्वतंत्रता का जब ढोल पीटा जाता है तब मासूम बच्चियों से लेकर तमाम पीड़िताओं की आवाज कहां दब जाती है, कौन जानता है? जाने कितने दर्दो मे बटी उनकी आवाज़ों को दबा दिया जाता है। देशभर मे जितने भी दुष्कर्म के मामले आये वो किसी भी सभ्य इंसान और व्यवस्था को सिहरा देने के लिए काफी है। नेशनल क्राइम रिपोर्ट ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार 18 साल से कम उम्र की बच्चियो के साथ दुष्कर्म के मामले ज़्यादा सामने आये है और 2011 मे नाबालिगो के साथ 7,228 मामले सामने आये , जबकि 2016 मे ये मामले 16,863 मामले दर्ज हुए। 2012 से 2018 के बीच करीब साढे पांच साल मे बलात्कार की कम से कम 1.5 लाख घटनाएं दर्ज की जा चुकी है। देश भर मे रोजाना औसतन 46 नाबालिग दुष्कर्म का शिकार होती है यानि हिसाब लगाये तो हर 18 मिनट पर एक बलात्कार इस देश में हो रहा होता है। जितनी देर में यह लेख लिखा जा रहा होगा और जब आप इसे पढ़ रहे होंगे तब भी कोई न कोई लड़की कहीं बलात्कार की शिकार हो रही होगी लेकिन हर मामला हमारे सामने नही आता है। हाँ , जब कोई बड़ा मामला सामने आता है निर्भया या 11 साल की मासूम बच्चियो का तब एक भीड़ उठती है और प्रदर्शन करके खामोश बैठ जाती है। लेकिन क्या सच मे हमारी अंतरात्मा हमे इस बात पर मजबूर करती है की इस गुस्से को बैठने ना दिया जाये! अगर हाँ तो फिर किसी ये हमारी ही ज़िम्मेदारी है की किसी बहन की रक्षा करने के वचन को हम पूरा करे क्योंकि हर चीज़ हर काम प्रशासन के हाथो मे नही होता, हम कब तक प्रशासन को कोसते रहेगे क्योंकि जब तक एक भाई अपनी ज़िम्मेदारी नही समझेगा तब तक इन दुष्कर्मो को रोका नही जा सकता। एक साल पहले भी एक लेख के द्वारा मैने विनती की थी और आज भी ये एक विनती है हर भाई से… रक्षाबन्धन की शुभकामनाये

(लेखिका खान शाहीन राजस्थान के सीकर की रहने वाली हैं, विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में इनके लेख छपते रहते हैं)