समाज

किसी भी धर्म के पैगंबर, देवता, महापुरुष का कार्टून बनाना कला नहीं खुराफात है- राजीव शर्मा

By admin

November 01, 2020

राजस्थान के झुंझुनू ज़िले में छोटे से गाँव कोलसिया के रहने वाले राजीव शर्मा ने पवित्र क़ुरान का मारवाड़ी में अनुवाद किया है, यह अनुवाद अपने आप में इसलिए खास है क्योंकि पिछले चौदह सौ सालों के इतिहास में कहीं भी कुरान के मारवाड़ी अनुवाद का जिक्र नहीं मिलता है. इससे पहले वह साल 2015 में पैग़म्बर मोहम्मद साहब की जीवनी का भी मारवाड़ी अनुवाद लिख चुके हैं.

राजीव शर्मा ने जनमानस को बताया कि, ” जब मैने कुरआन का अध्ययन करना शुरू किया तो मुझे उसमें ऐसी कई-कई आयतें मिलीं जो सदाचार, शांति और नैतिकता की बातें कहती हैं. एक आयत में तो यह भी कहा गया था कि अगर किसी ने एक बेगुनाह की हत्या की तो उसका यह पाप पूरी मानवता की हत्या के बराबर है. यदि उसने किसी एक की जान बचाई तो यह पूरी मानवता की रक्षा करने के बराबर है. कुरान की इस आयत में छुपे संदेश ने मुझे इतना प्रभावित किया कि मेंने इस्लाम की इस पवित्र पुस्तक क़ुरआन का मारवाड़ी में अनुवाद कर दिया.”

अभी कुछ दिन पहले फ्रांस में एक टीचर द्वारा स्टूडेंट्स को क्लास में पैगम्बर मोहम्मद साहब का कार्टून दिखाने पर एक स्टूडेंट ने उस टीचर की हत्या कर दी थी. जनमानस से बात करते हुए इस घटना पर राजीव शर्मा का कहना है कि “फ्रांस में जो घटना हुई वह बहुत दुखद है इसकी शुरुआत एक पत्रिका ने हजरत मोहम्मद (स. अ. व.) साहब के कार्टून बनाने से की. मेरा मानना है कि ऐसा काम पत्रकारिता नहीं है, यह कला नहीं है, यह खुराफात है. किसी भी धर्म के पैगंबर देवता महापुरुष का कार्टून बनाना और उनका मजाक उड़ाना बिल्कुल गलत बात है. लेकिन इसके बाद जो हुआ वह भी गलत है, ऐसे समय में बहुत सावधानी और समझदारी से जवाब दिया जाना चाहिए. मैं समझता हूं कि बुराई का जवाब भलाई से दिया जाना चाहिए. नबी सल्ललाहो अलैहि वसल्लम ने अपनी पूरी ज़िन्दगी में यही सिखाया है कि बुराई का जवाब बुराई से नहीं बल्कि भलाई से दो, अगर आग से आग को बुझाएंगे तो वो और भड़केगी. हमें पैगम्बर की शिक्षाओं को समझने और जीवन में उतारने की जरूरत है. अगर फ्रांस में या दुनिया के किसी भी देश में इस घटना का विरोध भलाई के काम से किया जाता तो कार्टून बनाने वाले खुद की हरकतों पर खुद ही शर्मिंदा होते.”

ईद मिलादुन्नबी के अवसर पर मानवता की सेवा का संदेश

ईद मिलादुन्नबी के मौके पर राजीव शर्मा का कहना है कि, ” आदरणीय अल्लामा सैयद अब्दुल्लाह तारिक साहब, बहन सुमु तारिकजी एवं विभिन्न विद्वानों और सोशल मीडिया से जुड़े अनेक साथियों द्वारा यह अपील कि 12 रबी उल अव्वल (compassion day) को हम सब कोई एक काम ऐसा जरूर करें जिससे मानवता की सेवा हो, दया और करुणा के संदेश का प्रसार हो — के बाद मैं भी चाहता ​था कि ऐसा कोई काम जरूर करूं, पर यह तय नहीं कर पा रहा था कि क्या करूं ?

न मेरे पास ज्ञान है, न इतने संसाधन और न कोई खूबी — आखिर करूं तो क्या करूं? फिर याद आए बीते दिनों के कठोर अनुभव, नबी (सल्ल.) की प्यारी बातें और क़ुरआन की वो आयतें जिनमें फिजूलखर्ची से सख्त मना किया गया है.

इसके बाद मैंने मेरे एक नन्हे दोस्त को बुलाया जिसका नाम ज्योतिष कुमार है. उसे एक गुल्ल​क और एक कलम भेंट किया; साथ में 100 रुपए भी. मैंने ज्योतिष को यह समझाया कि जीवन में हमेशा अच्छी बातों को अपनाना, बुरी आदतों और फिजूलखर्चियों से दूर रहना, मेहनत से पढ़ाई करना और ईमानदारी को अपनाते हुए इस गुल्लक को भरना.

गुल्ल​क इसलिए ताकि तुम फिजूलखर्चियों व बुराइयों से बचो और कलम इसलिए ताकि ज्ञान प्राप्त करो। हे ईश्वर, इस बच्चे की गुल्लक पूरी भरने में मदद करना और मुझे इतनी शक्ति देना कि मैं ऐसे लाखों बच्चों तक एक गुल्लक और एक कलम जरूर पहुंचा सकूं। और हां, गुल्लक खाली नहीं…!”