युवा क़लम

राजस्थान यूनिवर्सिटी के छात्रनेता मुकेश चौधरी के नाम खुला खत

By khan iqbal

June 25, 2019

माननीय मुकेश चौधरी जी,

राजस्थान यूनिवर्सिटी से आप एनएसयूआई छात्र संगठन से 2019 के छात्रसंघ चुनाव में अध्यक्ष पद की दावेदारी कर रहे हैं, यूनिवर्सिटी के 30 हजार छात्रों का प्रतिनिधित्व करने की बात कह रहे हैं, ये वाकई बहुत अच्छी और चुनौती वाली बात है।

हर छात्र नेता चुनावों से पहले जमकर मेहनत करता है। आशा करता हूं आपने भी अपने लेवल पर दिन-रात एक कर रखे होंगे।

22 जून की सुबह, आपका नाम एक ऐसी घटना से जुड़ गया जो किसी भी नए छात्र नेता के लिए चुनाव से ठीक पहले खतरनाक साबित हो सकती है।

50-60% वोटिंग वाली यूनिवर्सिटी में ऐसी घटनाओं से छात्रों का मानस आसानी से इधर-उधर हो जाता है।

घटना की पूरे दिन मीडिया कवरेज हुई, अखबारों ने छापा, सोशल मीडिया पर चला…इन सब ने हो सकता है आपको व्यथित किया जिसके बाद आपने फेसबुक लाइव के जरिए अपनी बात रखी।

मैंने राजस्थान के 5-7 मीडिया स्त्रोतों से मामले के बारे में पढ़ा तो बात कुछ ऐसी निकली-

किसी ने ये बताया – 22 जून सुबह 10.30 बजे त्रिवेणी नगर पेट्रोल पम्प पर डीजल लेने के लिए गए थे जिस जीप में वो आए थे उस पर मुकेश चौधरी लिखा था। इस दौरान रुपयों को लेकर पेट्रोल पंप कर्मचारियों से कुछ कहासुनी हो गई और विवाद हो गया।

जीप में बैठे लड़कों ने खुद को मुकेश चौधरी का समर्थक बताते हुए पेट्रोल पंप कर्मचारियों से मारपीट की और उनके पीछे अपनी जीप दौड़ाई, दौड़ाती हुई जीप को सीसीटीवी ने भी कैद किया।

तो किसी ने यह कहा –

सुबह करीब साढ़े 10 बजे बाइक सवार तीन लड़के पेट्रोल भरवाने आए। पेटीएम से भुगतान होने पर आईडी नंबर बताने की कहने पर झगड़ा हो गया। बाइक सवार लड़कों ने कॉल कर अपने साथियों को बुलाया। कुछ ही देर में थार जीप में छात्र नेता मुकेश चौधरी का भाई रमेश अपने आधा दर्जन साथियों के साथ वहां आ पहुंचा। लाठी-सरियों से लैस युवकों ने पेट्रोल पम्प कर्मचारियों पर हमला बोल दिया और रमेश चौधरी ने पेट्रोल पंप में गाड़ी के फेरे लगाकर कर्मचारियों को कुचलने का प्रयास किया।

विरोध में पेट्रोल पंप कर्मचारियों ने भी लाठी-डण्डों के बल पर सामना किया। इसी दौरान छात्र नेता मुकेश चौधरी भी स्कोर्पियों गाड़ी में आधा दर्जन साथियों को लेकर पेट्रोल पम्प पर पहुंच गया।

अब देखिए घटनाक्रम के बारे में सभी मीडिया वालों का अलग-अलग ब्यौरा है। मैं घटनाक्रम पर नहीं जाकर आपने घटना के बाद जो अपनी बात रखी उस पर जाना चाहूंगा।

आपने करीब 18 मिनट के लाइव वीडियो में मोटा मोटी कहा कि मेरा इस घटना से कोई लेना-देना नहीं है, मुझे पुलिस ने गिरफ्तार नहीं किया, मैं इस घटना में लिप्त नहीं था। आखिर तक आप यही बोलते रहे।

चलिए एक बार के लिए मान लिया जाए आप वहां नहीं थे, लेकिन….

● 30 हजार छात्रों के प्रतिनिधित्व की बात करने के बावजूद आपने एक बार भी पेट्रोल पंप पर हुई तोड़फोड़ और हिंसा (cctv कैमरे में आपके नाम की गाड़ी और तोड़ फोड़ साफ तौर पर देखी जा सकती है) की एक बार भी निंदा नहीं की। आने वाले समय में आप सार्वजनिक जीवन में उतरने जा रहे हैं ऐसे में घटना की कड़ी निंदा करके आप छात्रों को ऐसी घटनाओं के खिलाफ एक मजबूत संदेश दे सकते थे ?

● तोड़ फोड़ चाहे व्यकिगत कारणों से हुई हो पर नाम आपका उछला है ऐसे में आप खुद को इससे अलग भावनात्मक होकर नहीं कर सकते हैं, आप एक छात्रनेता है, हज़ारों छात्र आपको फ़ॉलो करते हैं, आपके रहन-सहन और बोलने के अंदाज़ से प्रभावित होते हैं ?

● लाइव वीडियो में आप पेट्रोल पंप के मालिक को समझा रहे हैं कि मेरे गांव में मेरे पीछे 5000 हजार लोग हैं, आप उन लोगों का क्या करेंगे, अगर पेट्रोल पंप पर हुई घटना में आप खुद को यूनिवर्सिटी छात्र नेता के तौर पर रख रहे हैं तो आपके गांव के कितने भी लोग हों, उनसे एक आम छात्र को क्या मतलब ?

● आपने पेट्रोल पंप पर काम करने वाले लड़कों पर सवाल उठाते हुए उन पर जाति विशेष टिप्पणी की और उन्हें बाहर का बताया, वो चाहे कहीं के भी हों मायने नहीं रखता, आप यूनिवर्सिटी के छात्र नेता हैं, इस बात से यूनिवर्सिटी के हर छात्र को फर्क पड़ता है ?

● आपने मीडिया के रोल पर सवाल उठाए, वीडियो में आप मीडिया को उसका काम सिखा रहे हैं, उसको बता रहे हैं कैसे लिखा जाना चाहिए, मुकेश जी, अगर आपको मीडिया की बातों से वाकई आपत्ति थी तो आप लाइव वीडियो में खुद पूरा घटनाक्रम बता सकते थे, जो आपने नहीं किया ?

● आप पूरे वीडियो में घटना को टुकड़ों में अस्पष्ट तरीके से बताते हैं आखिर में ये भी कह देते हैं कि “मुकेश लिखी हुई हजार गाड़ियां घूम रही है राजस्थान में” मतलब कहीं ना कहीं आपने यह भी कह दिया कि गाड़ी आपकी थी ही नहीं, और शुरुआत में आप कहते हैं कि मैं छात्रनेता हूं कोई दोस्त गाड़ी मांग लेता है तो मना नहीं किया जाता ? ये तो अपने आप में बहुत बड़ा विरोधाभास हो गया ?

आखिरी बात, आपने फेसबुक लाइव में कहा कि लिखने से पहले सोचो…मैं आपको बताना चाहता हूं घटना का पता चलने के बाद, सभी मीडिया स्त्रोतों से घटनाक्रम के बारे में पढ़ने के बाद और आपका पूरा लाइव वीडियो देखने के बाद ही मैंने यह लिखा है।

उम्मीद है मैंने जो पॉइंट्स रखे हैं वो आपको सोचे हुए ही लगेंगे और आप किसी भी बात को दिल पर ना लेते हुए और जी-जान से चुनाव की तैयारी करेंगे, चुनाव के लिए आपको अग्रिम शुभकामनाएं।

– अवधेश पारीक

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं और यूनिवर्सिटी के किसी छात्र राजनीतिक संगठन से कोई ताल्लुक नहीं है।)