राजस्थान विश्वविद्यालय में भी हो रही है उर्दू के साथ नाइंसाफी !

“राजस्थान विश्वविद्यालय के संघठक कॉलेज राजस्थान महाविद्यालय में उर्दू के विद्यार्थियों के साथ छल किया जा रहा है”

ये कहना है विश्वविद्यालय के ही एक छात्र इब्राहिम खान का।

कारण जानने पर वो बताते हैं की उर्दू SFS ( Self Financed Study ) को पूरी तरह खत्म कर दिया गया है।

डे शिफ्ट के विद्यार्थियों को तीस सीट का हवाला देकर प्रवेश से वंचित रख दिया जा रहा है जबकि उर्दू डे शिफ्ट की 60 सीटें होती हैं और 20 प्रतिशत बढ़ोतरी के प्रवधान के साथ ये 72 हो जाती हैं लेकिन राजस्थान महाविद्यालय प्रशासन ने उर्दू विषय के 52 ही विद्यार्थियों की सूची जारी की है और इस सूची में कई विद्यार्थियों के नाम दो दो बार लिखे हुए हैं।

 

प्रशासन का कहना है कि प्रवेश लेने के लिए 12वीं कक्षा में उर्दू का होना आवयश्क है जबकि दूसरे विषयों की प्रवेश परीक्षा में ऐसा कोई प्रवधान नही है।

छात्रों ने कई बार वीसी से मिलने की कोशिश भी की और वीसी कार्यलय का घेराव भी किया लेकिन वीसी साहब छुट्टी पर चले गए हैं।

मुद्दा ये भी है की प्रवेश की अंतिम तिथि 21 सितम्बर रखी गयी है जबकि राजस्थान विश्वविद्यालय के कई छात्र इस मुद्दे को लेकर मुख्यद्वार पर विरोध भी जता रहे हैं।

उनकी मुख्य मांगे हैं कि

1. SFS की लिस्ट जारी हो।

2.उर्दू विषय के टीचर्स की व्यवस्था की जाए,गेस्ट फेकल्टी की व्यवस्था की जाए।

3.आर एन शर्मा को प्रवेश प्रक्रिया से हटाया जाए।


इस विषय में हमारी चर्चा पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष विनोद जाखड़ से हुई, उन्होंने कहा कि ये छात्रों के साथ अन्याय है और हम इस सम्बंध में वीसी से चर्चा करेंगे और इसे वापस लागू करवाएंगे।

छात्र नेता रोशन मुंडोतिया का कहना है की हमने इस सम्बंध में वीसी से मुलाकात की है और हमारा यही मानना है की नियम समान रूप से लागू होने चाहिए किसी एक विषय की सीट घटाना अन्याय है, हम इस मुद्दे में सभी छात्रों के साथ हैं।


जनमानस राजस्थान ने इस विषय में विश्वविद्यालय प्रशासन से भी बात करने की कोशिश की लेकिन वहां से कोई प्रतिक्रिया नही मिल सकी है, हम जल्द प्रशासन से जानकारी लेने का प्रयास करेंगे और छात्रों की समस्याओं से अवगत कराएंगे।

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