राज्यसभा चुनाव: बीजेपी ने कांग्रेस के रास्ते में कौनसे कांटे बिछाकर इतनी खलबली मचा दी है !


राजस्थान राज्यसभा चुनाव

कोरोना संकट के बीच राजस्थान के सियासी गलियारों में एक बार फिर राजनीतिक उठापटक की हवा चलने लगी है, 19 जून को राजस्थान की 3 सीटों पर होने वाले राज्यसभा चुनावों को लेकर अब क़वारन्टीन सेंटरों के बीच विधायकों के लिए रिसोर्ट खोले जाने लगे हैं।

राजस्थान की इन 3 राज्यसभा सीटों पर विधानसभा से 4 उम्मीदवार मैदान में हैं, जिनमें से क्रमशः 2-2 बीजेपी और कांग्रेस से है। 200 सीटों के हिसाब से तो हर प्रत्याशी को जीतने के लिए 51 वोट चाहिए, जिसमें कांग्रेस का रास्ता साफ है लेकिन फिर भी बीजेपी ने कौनसे कांटे बिछा दिए, जिसके बाद इतनी खलबली मची है, आइए समझने की कोशिश करते हैं।

मैदान में कौन-कौन है ?

दरअसल राजस्थान की राजनीति में मची खलबली के सारे जवाब विधानसभा में दलों के संख्या बल यानि विधायकों की संख्या, और राज्य सभा चुनाव के सियासी गणित में छिपे हैं। राज्यसभा की जिन 3 सीटों पर चुनाव हो रहे हैं उन पर पहले 3 प्रत्याशी थे, तब तक खेल एकदम सीधा था और संख्या बल के हिसाब से 2 सीट कांग्रेस और एक बीजेपी के पाले में जानी तय थी।

लेकिन बीजेपी ने निर्विरोध चुनाव में अड़ंगा डालते हुए अपनी ओर से 2 प्रत्याशी मैदान में उतार दिए, जिसके बाद अब 3 सीट और 4 प्रत्याशी होने से खेल उलझ गया, कैसे उलझा वो आगे बताएंगे।

अब कांग्रेस की तरफ से केसी वेणुगोपाल और नीरज डांगी तो वहीं बीजेपी की तरफ राजेंद्र गहलोत और ओंकार सिंह लखावत मैदान में हैं।

3 सीट पर 4 प्रत्याशी हुए और खेल उलझ गया !

वोटों के गणित के हिसाब से अब 4 प्रत्याशियों के मैदान में होने के बाद 1 सीट पर जीत के लिए 51 वोट की जरूरत है। इस लिहाज से कांग्रेस के 2 उम्मीदवार तो 102 वोट लेकर आसानी से जीत जाएंगे क्योंकि सरकार के पास 107 विधायकों का संख्या बल है।

वहीं दूसरी ओर बीजेपी के पास कुल 75 विधायक हैं, तो उनका पहला उम्मीदवार 51 वोट लेकर जीत जाएगा लेकिन उसके बाद 24 वोट बचेंगे तो अगर पार्टी उन 24 वोटों को खराब ना करके 27 और वोट जुगाड़ लेती है तो बैठे-बिठाए उनका दूसरा प्रत्याशी भी राज्यसभा पहुंच जाएगा।

कांग्रेस में सेंधमारी का डर

वर्तमान हालातों की बात करें तो राजस्थान कांग्रेस सरकार को अभी निर्दलीय 13 विधायकों में से 12 समर्थन दे रहे हैं।

ऐसे में बीजेपी के लिए 27 वोट जुगाड़ कर पाना आसान ना देखते हुए कांग्रेस को सेंधमारी का डर है जिसके डर के कारण बाड़ाबंदी का खेल चल रहा है।

खुद मुख्यमंत्री गहलोत बीजेपी पर करोडों रुपये देकर विधायकों की खरीद का आरोप लगा रहे हैं, वहीं कांग्रेस के मुख्य सचेतक महेश जोशी ने एसीबी को खरीद-फरोख्त की शिकायत करते हुए पत्र लिखा है।

ऐसे में इस पूरे घटनाक्रम के बाद ऐसा माना जा रहा है कि कांग्रेस की अंदरूनी उठापटक का फायदा बीजेपी उठा सकती है।

अवधेश पारीक


 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *