जनता के लिए जागरूकता अभियान और शहीदों के नाम पर अपना प्रोग्राम,वाह राजस्थान सरकार !


ऐसे कैसे सरकार ? जन जागरूक अभियान के साथ पार्टी का सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ाता कार्यक्रम,
जनता के लिए अभियान और जनता के नाम पर अपना प्रोग्राम, वाह राजस्थान सरकार !

कोरोना महामारी को लेकर गहलोत सरकार ने तमाम प्रयासों और तामझाम के बीच अब जनता को उनके स्तर पर जागरूक करने का आह्वान किया। सरकार ने 22 जून को भारी वर्चुअल माहौल में ‘जन जागरूकता अभियान’ शुरू किया और बताया कि 21 से 30 जून तक यह अभियान चलेगा।

जिसमें कहा गया कि प्रदेशव्यापी जागरूकता अभियान का उद्देश्य आमजन को यह संदेश देना है कि लॉकडाउन समाप्त होने के बाद, भी कोरोना संकम्रण का खतरा टला नहीं है. इसलिए मास्क पहनने, सामाजिक दूरी बनाने, साबुन से हाथ धोने जैसे हेल्थ प्रोटोकॉल पालन करते रहें।
वहीं निर्देश दिए कि, मंत्रियों के जिलों के दौरों के समय स्थानीय स्तर पर भीड़ नहीं जुटाने, सोशल डिस्टेसिंग तथा मास्क पहनने की अनिवार्यता को सख्ती से पालन किया जाए।

सरकार के आदेशों के इतर पार्टी के अपने प्रोग्राम अलग चलेंगे ये कहीं लिखा नहीं था, लेकिन डिप्टी सीएम पायलट वर्चुअल की बोरियत से तंग आकर अपना कथित कुनबा लेकर आज 26 जून को शहीद स्मारक पर भारत-चीन सीमा झड़प में शहीद हुए सैनिकों की श्रृद्धांजलि में ‘शहीदों को सलाम दिवस’ मनाया, जिसका आह्वान प्रदेश कांग्रेस की तरफ से पहले हो चुका था। वैसे अक्सर इस तरह के कार्यक्रमों में कमल वाले झंडे ही दिखते हैं।

इस कार्यक्रम की वीडियो फुटेज, तमाम फोटो देखने के बाद सोशल डिस्टेंसिंग दूर-दूर तक दिखाई नहीं देती है, पायलट के साथ विश्वेन्द्र सिंह, खाचरियावास, भंवर भाटी जैसे नेता थे। अरे हां, विश्वेंद्र सिंह वो ही जिन पर आजकल बागी 4 फिल्म लिखने की तैयारी चल रही है !

आजतक की एक रिपोर्ट में रिपोर्टर ने बताया कि आज यह कार्यक्रम देखकर लगा ही नहीं कि कोरोना कालखंड चल रहा है ?

वहीं इस कार्यक्रम में गहलोत साब ने अपनी आहुति ट्विटर के जरिए एक वीडियो लगाकर दी और कार्यक्रम में नहीं दिखे, अब यहां पर गहलोत-पायलट वाली बहस की धारा अलग से प्रवाहित की जा सकती है, लेकिन करने का मन नहीं है।
राजस्थान सरकार एक तरफ जनता को जागरूक करने के लिए करोड़ों रूपये का अभियान चलाती है, दूसरी तरफ उसी जनता के हिस्से जवानों की शहादत पर एक ऐसा कार्यक्रम करती है जहां महामारी संबंधी सारे प्रोटोकॉल टूटते हैं, बाबा रामदेव के शब्दों में कहें तो शायद ये कोई कम्यूनिकेशन गैप रह गया होगा !
दिक्कत शहादत पर कार्यक्रम करने में कहां है, और भी तो कितने प्रोग्राम वर्चुअल हुए हैं..,लेकिन अपने आप में एक तरह का यह दोगलापन कैसे हजम होगा जब सरकार हर सैकेंड सोशल डिस्टेंसिंग जैसी जरूरी अपील कर रही है, कुल मिलाकर जिस जनता के लिए सारा तामझाम हो रहा है उसी जनता के नाम पर सब अपना राजनीतिक माहौल बनाने में जुटे हैं।

 

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