सफाई कर्मचारियों को आशंका सिर्फ कागज़ो पर ही ना रह जाए मुख्यमंत्री गहलोत की घोषणा !


सोमवार 6 जुलाई को जयपुर स्थित मुख्यमंत्री निवास से राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से नगरीय निकायों के जनप्रतिनिधियों एवं सफाईकर्मियों के साथ संवाद किया। इस संवाद में प्रदेश के 196 नगरीय निकायों के करीब 1600 प्रतिभागीयों ने हिस्सा लिया.

संवाद कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि,

“जिस समर्पण भाव के साथ स्वच्छताकर्मियों एवं नगरीय निकायों के जनप्रतिनिधियों ने काम किया है, उससे कोरोना संक्रमण के फैलाव को रोकने में हम कामयाब हो सके हैं. पिछले करीब चार महीने से राजस्थान कोरोना को नियंत्रित करने में कामयाब रहा है. स्वच्छताकर्मियों ने अपनी जान जोखिम में डालकर शहर, गली-मोहल्ले एवं घर-घर को संक्रमणमुक्त रखने में बड़ी भूमिका अदा की है. सफाईकर्मियों को मास्क, दस्ताने, सैनिटाइजर सहित अन्य सुरक्षा सामग्री के लिए राज्य सरकार ने एक-एक हजार रूपए उपलब्ध कराए ताकि फ्रंटलाइन वर्कर के रूप में काम करते हुए वे संक्रमण से बचे रहें।“

मुख्यमंत्री ने सफाई निरीक्षकों, जमादारों सहित अन्य स्वच्छताकर्मियों से सीधा संवाद करते हुए उनके अनुभव जाने और उनसे उनकी समस्याएं भी पूछी.

मुख्यमंत्री ने सभी जिला कलक्टरों एवं नगर निकाय अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे यह सुनिश्चित करें कि किसी भी स्वच्छताकर्मी को सीवरेज की सफाई के लिए चैम्बर में नहीं उतरना पड़े। यह काम पूरी तरह मशीनों से ही करवाया जाए। सीवरेज की सफाई के लिए चैम्बर में उतरने से मौत की कोई घटना राजस्थान में नहीं होनी चाहिए।

 

मुख्यमंत्री की इस घोषणा पर सफाई कर्मचारीयों के लिए राष्ट्रीय स्तर पर आंदोलन चला रहे विल्सन बेजवाडा का कहना है कि,

“ सफाई कर्मचारियों के लिए प्रधानमन्त्री से लेकर मुख्यमंत्री तक घोषणाएं तो सब कर रहे है लेकिन जब उनके लिए काम शुरू हो जाएगा उसके बाद ही हम उसकी तारीफ कर सकते हैं, प्रधानमन्त्री 3 साल से सिर्फ घोषणाएं ही कर रहे हैं लेकिन अब तक एक भी कार्यवाही नहीं हुई है, राजस्थान सरकार ने भी अभी सिर्फ घोषणा ही की है इससे कितना फायदा सफाई कर्मचारियों को होगा उसके बाद ही इस पर कुछ कहा जा सकता है.”

सफाई कर्मचारी आंदोलन राजस्थान के राज्य कन्वीनर प्रकाश हड़ाले कहते हैं कि,

“ यह अच्छी घोषणा है और यह स्वागत योग्य है क्योंकि पहली बार किसी सरकार ने यह कहा है की किसी भी सफाई कर्मचारी को सफाई करने के लिए सीवर में नहीं उतारा जाएगा, हमारी अपेक्षा है की सरकार इस घोषणा को धरातल पर भी लागु करेगी. हमारी यह मांग है कि जो मशीनरी है जेसे सीवर की जेटिंग मशीन,सीकिंग मशीन , सेफ्टी गियर्स, इक्विपमेंट्स, किट्स यह सब सरकार जल्दी से जल्दी ख़रीदे. फरवरी 2020 की बजट घोषणा में भी सरकार ने सफाई के उपकरण खरीदने की घोषणा की थी वो खरीदने चाहिये क्योंकि अभी भी काफी सारी जगह सीवर में सफाई का काम मैन्युअली ही किया जा रहा है. सरकार ने गवर्मेंट सेक्टर के लिए तो घोषणा कर दी है लेकिन प्राइवेट सेक्टर में भी लोगों से सीवरेज, सेप्टिक टैंक, मेन होल आदि में सफाई का काम करवाया जा रहा है . सरकार को यह घोषणा करनी चाहिए की पूरे राज्य में कंही भी मैन्युअली क्लीनिंग नहीं होगी. हम जल्दी ही मुख्यमंत्री और स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल से मिलकर उन्हें भी हमारी मांगी से अवगत करवाएंगे.

सफाई कर्मचारी भी इन्सान है, इनके जीवन की सुरक्षा के लिए भी सरकार को काम करना चाहिए . कोई दुर्घटना होने पर मुआवजा देना ही कोई समाधान नही है. हमारा उद्देश्य है की किसी की भी जान नही जाना चाहिए.”

पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (पी.यू.सी.एल.) राजस्थान, की अध्यक्षा कविता श्रीवास्तव राज्य सरकार के इस निर्णयों का स्वागत करते हुए कहती है कि,

“राज्य सरकार का यह निर्णय बहुत ही सराहनीय है और सफाई कर्मचारी आंदोलन की बड़ी जीत है. इसमें हम प्रकाश हड़ाले द्वारा राजस्थान में चलाये जा रहे सफाई कर्मचारी आंदोलन को व विल्सन बेजवाडा द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर चलाये जाने वाले आंदोलन की बडी सफलता मानते हैं. लेकिन अगर तुरन्त आदेश इस और जारी नहीं हुआ, तो ये कोरी घोषणा बन कर रह जायेगा और अगर मशीन की खरीद तत्काल नहीं होती तो भी यह केवल कागजी घोड़ा बन कर रह जायेगा. जरूरी है कि सरकार को आदेश और उसका क्रियान्वयन, मशीन खरीद और अन्य सभी व्यवस्थायें और स्थानीय निकायों द्वारा यह आदेश सख्ती से लागू करना होगा. स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल जी, तत्काल इस और कार्य करे. पी.यू.सी.एल. राजस्थान जब तक यह आदेश पूरी तरह से लागू नहीं हो जाता तब तक इस मामले पर सरकार से जवाब मांगती रहेगी.”

जयपुर किशनपोल निवासी राकेश वाल्मीकि संयोजक राज वाल्मीकि विकास मंच संबंध दलित अधिकार केंद्र जयपुर का कहना है कि,

“मुख्यमंत्री जी ने यह बहुत अच्छी घोषणा की है, राजस्थान में सीवर में उतरने की वजह से कई सफाई कर्मी अपनी जान गंवा चुके है जिनमे बहुत से लोगों को तो अब तक कोई मुआवजा भी नही दिया गया है. ऐसा नहीं होना चाहिए कि यह सिर्फ घोषणा ही बन कर रह जाए , जब इसको धरातल पर लागु कर दिया जाएगा तब ही माना जाएगा की मुख्यमंत्री जी की घोषणा सच्ची है .”

राजस्थान नागरिक मंच के सचिव अनिल गोस्वामी का कहना है कि ,

“कई राज्यों में सीवेज चेम्बर में सफाईकर्मी के उतरकर सफाई करने के दौरान मृत्यु हो चुकी थी. इसके लिए सुप्रीमकोर्ट और हाईकोर्ट में दायर याचिका के आदेशों पर राज्य सरकार को कुछ करना था, इसीलिए मुख्यमंत्री ने यह घोषणा की है जो सराहनीय है. लेकिन इसके लिए कोई बजट आवंटन नही किया गया है, यह सफाई मशीने कब तक खरीदी ली जाएंगी और कब से सफाईकर्मी चेम्बर में हाथ की जगह मशीनों से सफाई करेंगे इस हेतु समय सीमा सुनिश्चित की जानी चाहिए. इसके साथ ही जो सफाईकर्मी ठेका प्रथा में काम कर रहे हैं उनकी मांगों को भी राज्य सरकार को शीघ्र पूरा करना चाहिए”

नेशनल कैम्पन फार डिगनिटी एंड राईट सीवेज एंड एलाइड वर्कर्स की कन्वीनर हेमलता कांसोटिया कहती हैं कि,

”हमारा संगठन वर्ष 2007 से सीवेज और सफाई कर्मचारीयों के लिए पूरे देश में काम कर रहा है. मुख्यमंत्री के इस आदेश के बाद जो लोग इस काम मे लगे है उनके रोजगार का सवाल भी है. उनका पुनर्वास भी सरकार तुरंत करें और मशीनों का काम भी इन्हीं लोगों को दिया जाये. सदियों से जो लोग हाथ से सफाई का काम कर रहे है और जब मशीन से काम होगा तो अक्सर मशीनों का ठेका दूसरे को दे दिया जाता है जिससे मज़बूर होकर फिर कॉन्ट्रक्ट पर इन्ही के पड़े लिखें बच्चे काम करते है.”

सफाई कर्मचारी आंदोलन राजस्थान के सह संयोजक पवन नकवाल घोषणा का स्वागत करते हुए कहते हैं कि ,

” यह बहुत ही सराहनीय कदम है, इस गम्भीर विषय पर सरकार ने संवेदनशीलता दिखाकर निर्णय लिया है . इस घोषणा के जमीनी स्तर पर क्रियान्वयन की बहुत चुनोतियाँ हो सकती है लेकिन इसकी अनदेखी नही की जानी चाहिए. अगर सरकार मैनुअल स्क्वेंजर्स एक्ट 2013 (MS Act 2013) Supreme Court Judgment 2014 के क्रियान्वयन को नही देखेगी और सफाई कर्मचारियों को इससे राहत नही मिलेगी तो इस घोषणा का कोई औचित्य नही है”

अभी तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा सीवरेज चैम्बर में सफाई कर्मचारियों से काम करवाने पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा सिर्फ कागजों पर ही नज़र आ रही है क्योंकि पहले की गई घोषणाओं के बाद भी यह चलन रुका नही है.
राजस्थान में सफाई कर्मचारियों की समस्याओं के लिए राज्य सफाई कर्मचारी आयोग भी बनाया हुआ है लेकिन दिसम्बर 2018 में नई सरकार बनने के बाद से अब तक उसका पुनर्गठन नही किया गया है.
राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग की वेबसाइट के अनुसार 1993 से लेकर 5 जुलाई 2019 तक राजस्थान में 38 लोग सीवर में काम करते हुए अपनी जान गंवा चुके हैं. पिछले साल अक्टूबर में भी दो लोगों की प्रदेश में जान जा चुकी है.
राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग की वेबसाइट के अनुसार 1993 से लेकर 5 जुलाई 2019 तक पूरे देश में 814 लोग सीवर में काम करते हुए अपनी जान गंवा चुके हैं. सबसे ज्यादा तमिलनाडु में 206 और उसके बाद गुजरात में 156 लोगों की सीवर में सफाई करते हुए मौत हुई है.

( साभार इंडिया टुमारो )


 

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