राजनीति

जानिए क्यों कामरेड अमराराम सीकर नहीं चूरू से लोकसभा उम्मीदवार हो सकते हैं!

By khan iqbal

March 18, 2019

माकपा राज्य सचिव कामरेड अमराराम चूरू लोकसभा क्षेत्र से उम्मीदवार होगे! 15-मार्च को राज्य कमेटी की जयपुर मे बैठक व 24-मार्च को तारानगर मे विशाल कार्यकर्ता सम्मेलन होगा।

राजस्थान माकपा के राज्य सचिव व लगातार चार दफा विधायक बनकर विधानसभा मे जनहित के मुद्दों पर सरकार को घेरने की कला मे दक्ष हो चुके पूर्व विधायक कामरेड अमराराम के चूरु लोकसभा क्षेत्र से उम्मीदवार बन कर चुनाव लड़ने की अटकलों का चूरु व हनुमानगढ़ जिले में बाजार खासा गर्म है।

हालांकि चूरु जिले के तारानगर कस्बे मे 14-मार्च को चूरु व हनुमानगढ़ जिले की माकपा जिला समितियों की संयुक्त बैठक कामरेड अमरा राम की उपस्थिति मे लोकसभा चुनाव को लेकर सम्पन्न हुई। जिसमे अमरा राम के अलावा भादरा विधायक कामरेड बलवान पूनीया व बीकानेर लोकसभा से माकपा उम्मीदवार श्योपत मेघवाल सहित अनेक लोग मोजूद थे।

चूरु लोकसभा क्षेत्र मे चूरु जिले की चूरु, रतनगढ़, सरदारशहर, तारानगर, राजगढ, व सुजानगढ़ विधानसभा क्षेत्रो के साथ दो हनुमानगढ़ जिले की भादरा व नोहर विधानसभा क्षेत्र शामिल है। जिले की राजगढ विधानसभा क्षेत्र से पूर्व मे माकपा के निशान पर मोहरसिंह विधायक रह चुके है और मौजूदा समय में भादरा से माकपा के कोमरेड बलवान पूनीया के चुनाव जीत कर विधायक बनने के अलावा दो महीने पहले हुये विधानसभा चुनावों मे लोकसभा क्षेत्र के अन्य विधानसभा क्षेत्रो मे माकपा उम्मीदवारों ने भी अच्छी तादाद मे मत पाये है। हालांकि माकपा या कामरेड अमरा राम ने अपने आपको चूरु से अभी तक लोकसभा का उम्मीदवार किसी स्तर पर घोषित नही किया है। लेकिन माकपा राज्य कमेटी ने राजस्थान की कुल पच्चीस सीटो मे से सीकर, चूरु व बीकानेर तीन जगह से चुनाव लड़ने का ऐलान जरुर कर रखा है। कुल मिलाकर यह है कि चूरु जिले के तारानगर कस्बे मे 14-मार्च को चूरु व हनुमानगढ़ जिले की माकपा जिला कमेटियों की साझा बैठक मे आगामी 24- मार्च को कार्यकर्ता सम्मेलन करने का तय हुवा है। जिसमे चूरु लोकसभा क्षेत्र से माकपा उम्मीदवार की घोषणा होने का अनुमान लगाया जा रहा है। तब तक कांग्रेस व भाजपा उम्मीदवारों की स्थिति भी साफ होना माना जा रहा है। इसके विपरीत 15-मार्च को प्रदेश कार्यालय जयपुर मे माकपा राज्य कमेटी की एक आवश्यक मीटिंग आयोजित हो रही है। जिसमे आगामी चुनावी रणनीति पर गम्भीर मंत्रणा होना माना जा रहा है।

अशफ़ाक़ कायमखानी

(लेखक राजनीतिक विश्लेषक है)