मज़दूरों के पास खाने के लिए पैसे नहीं है और केंद्र सरकार रेल किराया भी मांग रही है !


केंद्र सरकार के रेलमंत्रालय ने एक आदेश जारी किया है जिसमें कहा गया है कि लॉक डाउन के दौरान विभिन्न राज्यों में फंसे हुए प्रवासियों, मजदूरों और छात्रों को उनके गृह राज्य में पहुंचाने के लिए जो ट्रैन चलाई जा रही है उसका किराया भी वसूल किया जाएगा।

यही नहीं किराये के अतिरिक्त भी यात्रियों से 50 रुपये वसूल किए जा रहे हैं। जन संगठन केंद्र सरकार के इस फैसले पर सवाल उठा रहे हैं कि मज़दूरों के पास खाने के लिए कुछ नहीं है और उनसे किराया मांग रहे हैं ।


राजस्थान के जन संगठनों ने प्रधानमंत्री और रेलमंत्री को एक संयुक्त ज्ञापन के माध्यम से प्रवासी मजदूरों को सुरक्षित और निःशुल्क उनके घर तक पहुंचाए जाने की मांग की है।

ज्ञापन में जन संगठनों ने लिखा है कि,

भारतीय रेल द्वारा पिछले 6 हफ़्तों से फंसे अंतर्राज्यीय बाशिंदों के लिए विशेष ट्रेन चलाई जा रही है जिसे चलाया जाना बहुत जरुरी था। लेकिन गृह विभाग और रेल मंत्रालय द्वारा कुछ आदेश जारी किये हैं जिनसे हमें बहुत परेशानी है ।

संकट के इस दौर में रेलवे द्वारा सामान्य से भी अधिक किराया लेना और फंसे लोगों को निःशुल्क नहीं ले जाना न्याय सम्मत नहीं है।

भारत सरकार के गृह मंत्रालय के 1 मई, 2020 की आदेश संख्या नंबर 40-3/2020-डीएम-I (A) व भारत सरकार के रेल मंत्रालय के TC-II/2020/Spl Trains-Covid-19 के माध्यम से हमें पता चला है कि रेल मंत्रालय फंसे हुए लोग जिनमें प्रवासी मजदूर, विधार्थी व अन्य लोगों को स्पेशल ट्रेन के जरिये उनके राज्यों तक पहुँचाना शुरू किया है.

इसके लिए उनसे किराया वसूला जा रहा है और बिना किराये के ट्रेन चलाने के लिए रेल मंत्रालय तैयार नहीं है. किराये के अतरिक्त 30 रुपये सुपरफ़ास्ट चार्ज और 20 रुपये अतिरिक्त चार्जेज लिए जा रहे हैं.

लॉकडाउन में किसने कमाया, किसने खिलाया ? आप भलीभांति जानते हैं कि इस समय जो भी लोग फंसे हुए हैं, वे पिछले 40 दिन के लॉक डाउन में कैसे अपने आप को जीवित रख रहे हैं इससे आप अच्छे से वाकिफ हैं ।

उनके पास जो भी पैसा था उससे उन्होंने जीवित रहने के लिए राशन सामग्री खरीद ली और उससे वे जिन्दा रह पाए.

अब इन फंसे हुए प्रवासी मजदूरों के पास कुछ भी नहीं बचा है वैसे ही ना सरकारों ने उन्हें अपनाया, ना उनके नियोक्ता ने, और कई जगह स्थानीय समाज ने भी नहीं ।

वह न राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा के लाभार्थी थे, न उद्योगों ने भारत सरकार के MHA की 29 मार्च के आदेशों की पालना करवाते हुए किसी ने उनको lockdown के दौरान की मजदूरी दिलवाई और कई जगह ना मकान मालिकों ने किराया छोड़ा।

ऐसे समय में जब लोगों के पास कुछ नहीं बचा हो और भारत सरकार का रेल मंत्रालय उन्हें ले जाने से मना करे या राज्य सरकारों को ये कहे कि आप इनका किराया दीजिए नहीं तो हम इन्हें नहीं ले जायेंगे, ये हमारे देश के लिए कितने शर्म की बात है जब कमजोर से कमजोर व्यक्ति भी अपनी क्षमता अनुसार संकट के इस समय में मदद कर रहा हो और ऐसे समय में हमारा रेल मंत्रालय किराये के बिना नहीं ले जा रहा है.

इसलिए संकट के इस समय में फंसे हुए लोगों के लिए निम्न मांगे हमारी तरफ से की जा रही हैं जिन पर तत्काल विचार कर कार्यवाही किये जाने की आवश्यकता है:-

1. एक राज्य से दूसरे राज्य में जाने के लिए राज्यों को उनकी जरुरत के अनुसार ट्रेन उपलब्ध कराई जाये.

2. ट्रेन के प्रस्थान स्थल (स्टेशन जहाँ से ट्रेन चलेगी) तक इनको पहुंचाने के लिए बसें चलाई जाएं और जिस स्टेशन पर ट्रेन छोड़ेगी वहां से उनके गंतव्य (घर) तक भी बसों के द्वारा पहुँचाया जाये.

3. सभी ट्रेन में सभी लोग चाहे वे प्रवासी मजदूर हों, विद्यार्थी हो या अन्य दूसरे लोग जो किसी भी कारण से अपने घर से दूर हैं सभी को निःशुल्क रेलवे द्वारा उनके नजदीक गंतव्य तक पहुँचाया जाये.

4. सभी राज्यों को यात्रा करने वाले सभी लोगों का पंजीकरण किया जाये और उसके आधार पर रेलवे अपना पूरा कार्यक्रम बनाये जिससे लोगों में अधीरता नहीं हो, एक राज्य में कई बिंदु बनाये जाएँ जिससे लोगों को अपने घर पहुँचने के लिए बहुत लम्बा चक्कर नहीं लगाना पड़े.

5. यदि इन सभी से किराया लेकर ही भेजना था तो इतने दिन इंतजार क्यों करवाया गया और उनके सारे संसाधन ख़त्म हो गए अब कुछ बचा नहीं तब रेलवे पैसा ले रहा है ये राष्ट्र के लिए शर्म की बात है.

6. भारत सरकार अंतर्राज्यीय प्रवासी मजदूरों को कम से कम 3000 रुपये महीने की नकद सहायता उनके खाते में उपलब्ध करवाये.


ज्ञापन  देने वालों में निम्नलिखित संगठन शामिल है,

· पीयूसीएल राजस्थान – कविता श्रीवास्तव, अनंत भटनागर, भंवर लाल कुमावत (पप्पू),

· सेंटर फॉर इक्विटी स्टडीज, राजस्थान – कोमल श्रीवास्तव, हेमंत मोहनपुरिया, बाबूलाल व नवीन महिच

· निर्माण एवं जनरल मजदूर यूनियन – हरिकेश बुगालिया

· मजदूर किसान शक्ति संगठन – निखिल डे

· राजस्थान असंगठित मजदूर यूनियन – मुकेश गोस्वामी

· सूचना का अधिकार मंच – कमल टांक

· भारत ज्ञान विज्ञानं समिति – अनिल

· हेल्पिंग हैंड्स जयपुर – नईम रब्बानी, डॉ राशिद हुसैन, नुरुल अबसार, वकार अहमद,

· जमाते इस्लामी हिन्द राजस्थान -मो. नाजिमुद्दीन

· पिंक सिटी हज एंड एजुकेशन वेलफेयर सोसाइटी – अब्दुल सलाम जौहर

· एन ए पी एम राजस्थान – अखिल चौधरी


(फ़ोटो प्रतीकात्मक है)

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