कानून व्यवस्था पर गहलोत सरकार फेल, महिलाओं पर अत्याचार के 66 फीसदी मामले बढ़े !


महिलाओं का सशक्तिकरण, हर नारी को मिलेगा सम्मान, अपराधों पर लगेगी लगाम, जी हां कुछ ऐसे ही नारे आपने राजस्थान विधानसभा चुनावों (rajasthan assembly election) में सुने होंगे, जिनकी बदौलत कांग्रेस (congress) ने एक बार फिर प्रदेश की सत्ता में वापसी की, लेकिन सरकार के करीब 10 महीने बीत जाने के बाद अब गहलोत सरकार (ashok gehlot) अपने वादों से भटकती दिखाई पड़ रही है।

ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि राजस्थान पुलिस (rajasthan police) को “पब्लिक फ्रेंडली” बनाने से लेकर प्रदेश में अपराध की घटनाओं को रोकने के लिए विशेष अभियान चलाने तक के कागजी वादे करने वाली गहलोत सरकार ताजा जारी आंकड़ों में एकदम फिसड्डी साबित हुई है।

हाल में राजस्थान पुलिस (rajasthan police) विभाग के आंकड़ें सामने आएं हैं जिनसे प्रदेश में कानून  व्यवस्था की एक भयावह तस्वीर सामने आई है।

राजस्थान में पुलिस विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले साल की तुलना में इस साल जनवरी से जुलाई तक महिलाओं के खिलाफ दर्ज अपराधों में 66 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई है।

आंकड़ों के मुताबिक, महिलाओं के खिलाफ पिछले साल दर्ज किए गए 15,242 मामलों की तुलना में इस साल जनवरी और जुलाई के बीच दर्ज मामलों की कुल संख्या 25,420 है।

यदि हम जुलाई 2019 की बात करें तो इस महीने महिला अत्याचार 4,898 मामले दर्ज हुए जबकि जुलाई 2018 में यह आंकड़ा 2614 था।

जनवरी और जुलाई 2019 की के बीच, 3,677 बलात्कार के मामले दर्ज किए गए जो की पिछली साल 2,587 थे।

वहीं जनवरी से जुलाई 2019 तक छेड़छाड़ के 5,329 मामले सामने आए हैं जो कि 2018 में 3,171 थे। अपहरण के मामले 2019 में अभी तक 3,762 दर्ज हुए हैं जो कि बीते साल 2,687 थे।

इसके अलावा घरेलू हिंसा के मामले भी 2018 में 5,884 से 2019 में 11,459 तक दर्ज किए गए, जबकि 2019 में दहेज के लिए हत्या के 273 मामले सामने आए।

अपराध के 25,420 मामलों में से 8,032 यानि 47.22% मामलों में, पुलिस ने अंतिम रिपोर्ट (एफआर) दायर की, जिसमें कहा गया कि जांच के बाद ये मामले झूठे पाए गए। 8,946 मामलों में कोर्ट में चुनौती दी गई और 8,412 मामले अभी लंबित पड़े हैं।

जयपुर कमीश्नरेट ने 2018 के मुकाबले 2019 के जनवरी और जुलाई के बीच महिलाओं के खिलाफ अपराधों में 105.74% की बढ़ोतरी देखी गई है, इसके बाद जोधपुर रेंज में 79.23% और अजमेर रेंज में 70.66% बढ़ोतरी हुई है।

कई मामलों में पुलिस ने करवाई फजीहत

कुछ महीने पहले अलवर जिले में 6 पुरुषों द्वारा एक दलित महिला का बलात्कार कांग्रेस सरकार के लिए एक बड़ी शर्मिंदगी बन गया था। इस मुद्दे के राजनीतिक रूप से तूल पकड़ने के बाद गहलोत सरकार की काफी फजीहत हुई। यह घटना 29 अप्रैल को घटी जबकि आरोपियों के खिलाफ एफआईआर 7 मई को दर्ज की गई थी। भाजपा ने इस दौरान आरोप लगाया कि कांग्रेस ने चुनाव को देखते हुए इस घटना को दबाने की कोशिश की। गौरतलब है कि राजस्थान में 29 अप्रैल और 6 मई को लोकसभा चुनाव दो चरणों में हुआ।

वहीं एक और मामला जिसमें चूरू की एक दलित महिला का जिसने दावा किया कि सरदारशहर पुलिस के पुलिसकर्मियों ने थाने में उसके साथ बलात्कार और अत्याचार किया। इसके अलावा राजधानी जयपुर में एक कथित बलात्कार पीड़िता ने वैशाली नगर पुलिस थाने में खुद को आग लगाने की कोशिश की क्योंकि वह पुलिस द्वारा आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने से कथित तौर पर परेशान थी।

चौंकाने वाले अपराध के मामलों के सामने आने के बाद, कांग्रेस सरकार को महिला अधिकार कार्यकर्ताओं, विपक्षी भाजपा और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के साथ-साथ राष्ट्रीय महिला आयोग ने भी फटकार लगाई। भाजपा सरकार को इस मसले पर काफी समय से घेर रही है। भाजपा की नेता सुमन शर्मा का कहना है कि गहलोत सरकार ने अभी तक राज्य महिला आयोग बनाने की जहमत नहीं उठाई है। महिलाओं के पास यहां कोई मंच नहीं है जहां उनकी सुनवाई हो।

(सभी आंकड़े राजस्थान पुलिस की वेबसाइट से लिए गए हैं।)

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