‘आयत’ की कविता “दिल करता है के पानी की तरह बह जाऊं”

दिल करता है के पानी की तरह बह जाऊं,

थोडी खुद में रहूँ थोड़ी तुझ में रह जाऊं…

एक अरसे से कुछ बातें दबा रखी है दिल में,

जी करता है के आज वो हर एक बात कह जाऊं…

यूँ तो खुशियां कभी दी नहीं ज़िन्दगी ने मुझे,

तो इसके दिए ग़मों को ही थोड़ा और सह जाऊं…

तेरी मोहब्बत के सैलाब में मैं इस ही लम्हा,

किसी कमज़ोर इमारत की तरह डह जाऊं…

दिल करता है के पानी की तरह बह जाऊं,

थोडी खुद में रहूँ थोड़ी तुझ में रह जाऊं…

-“आयत”

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