खान मजदूर कल्याण बोर्ड की मांग को लेकर खान मंत्री भाया को ज्ञापन सौंपा ।


राजस्थान प्रदेश की खानों में 25 लाख खान मजदूर काम करके अपनी आजिविका कमाते हैं, वहीं राजस्व की दृष्टि से खनन प्रदेश का प्रमुख स्त्रोत है, परन्तु यह दुर्भाग्यपूर्ण हैं कि खान मजदूर दशकों से अपनी व्यवसायिक पहचान बनाने में असफल रहा हैं

परिणामस्वरूप कई तरह की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ उसे नहीं मिल पाता। यहां तक की कोविड महामारी में अपनी व्यवसायिक पहचान के अभाव में श्रमिकों को मिलने वाली सरकारी योजनाओं के लाभों से भी वंचित रहना पड़ा।

खनन से अर्जित राजस्व राज्य सरकार के पास जिला खनिज फाउण्डेशन ट्रस्ट (डीएमएफटी) में पिछले कई वर्षों से जमा हो रहा हैं, इस कोष का इस्तेमाल खनन प्रभावित लोगों के कल्याण हेतु किया जाना तय किया गया परन्तु खनन से सबसे अधिक प्रभावित वर्ग खान मजदूर का कल्याण सुनिश्चित नहीं किया गया जिसका प्रमुख कारण है खान मजदूरों की पहचान न होना।

खान मजदूरों की पहचान एवं उनके कल्याण का एकमात्र विकल्प खान मजदूर कल्याण बोर्ड ही हैं जिसे माननीय मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत की सरकार ने अपने गत चुनावी घोषणा पत्र में जगह भी दी हैं परन्तु सरकार के 3 वर्ष से अधिक समय हो जाने के बाद भी बोर्ड का गठन नहीं हुआ।

इसी मुद्दे को लेकर खान मजदूर सुरक्षा अभियान एवं ट्रेड यूनियन ने आज जयपुर में खान मंत्री श्री प्रमोद भाया की जनसुनवाई के दौरान सरकार की चुनावी घोषणा के तहत खान मजदूर कल्याण बोर्ड के गठन को जल्द से जल्द करने की बात रखी। इसी अवसर पर माननीय खान मंत्री प्रमोद भाया ने अपने कर कमलों से खान मजदूर सुरक्षा अभियान के वार्षिक कैलेन्डर का विमोचन किया।

संस्था ने माननीय खान मंत्री को बताया कि खनिज की स्थान पर खनन नीति बनाया जाए ताकि खनन से जुड़ी प्रत्येक ईकाई जैसे खान मजदूर, सरकार एवं सभी हितधारकों के कल्याण को सुनिश्चित किया जाए और संपूर्ण देश के सामने एक आदर्श उदाहरण प्रस्तुत किया जाए। इसी संदर्भ में एमएलपीसी ने गत 28 दिसंबर को एक संगोष्ठी कर विशेषज्ञों से सुझाव लिए जिन्हें सरकार के समक्ष विचार विमर्श हेतु प्रस्तुत किया गया।

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