राजस्थान के जनसंगठनों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर आगाह किया है कि शराब, पान, गुटका, तम्बाकू आदि की दुकाने खोलने का निर्णय, इन पर स्थायी प्रतिबंध सहित सम्पूर्ण नशाबंदी के आये अवसर को खोना है।
प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में जनसंगठनों ने लिखा है कि,
राजस्थान नागरिक मंच की ओर से दिनांक 26.4.2020 को आपको लिखे पत्र में सम्पूर्ण नशाबंदी के मिले अवसर की महत्ता बताते हुए आपसे इस अवसर का लाभ उठाकर समाज में नशाखोरी के फैले नासूर को जड़ से खत्म करने की अपील की थी।
परन्तु कल जारी गृह मंत्रालय के आदेश से शराब, पान, गुटका, तम्बाकू की दुकानें खोलने की अनुमति दे दी गयी है।
हम अपने पूर्व पत्र के सन्दर्भ की ओर आपका ध्यान आकर्षित करते हुए फिर से कहना चाहते हैं कि निश्चित ही कोविड-19 की महामारी पूरे विश्व के लिए एक बहुत बड़ी त्रासदी है। परंतु यह मानव जीवन की बेहतरी के लिए कुछ और नए महत्वपूर्ण अवसरों को भी पैदा कर रही है।
हमें प्रकृति के साथ तालमेल कर मानवीय जीवन को नशाखोरी से मुक्त और बेहतर समाज बनाने का अवसर दे रही है।
26 अप्रैल को आपके द्वारा “मन की बात” में थूकने की बुरी आदत को त्यागने का आह्वान देशवासियों से किया गया था।
हमने उसी को मूर्तरूप देने के लिये सूझाव देते हुए अपने पत्र में लिखा था कि किसी बीमारी वश या व्याधि के चलते थूकना तो इंसान की मजबूरी हो जाती है।
परन्तु हमने देखा है कि हमारे देश में यहां वहां सड़क पर थूकने वालों में 99% लोगों में गुटका पान, तंबाकू, खैनी, जर्दा आदि या कोई और व्यसन के आदी होते हैं।
यह कैंसर सहित अनेक रोगों के कारक होने के साथ शरीर में अनेक तरह की बीमारियों को पैदा करने के साथ परिवेश व परिवार को भी गंदगी के शिकार बनाकर क्षति पहुंचाते है।
इसी तरह शराब व कई तरह के नशे नशेड़ी के शरीर को खोखला करते ही हैं साथ ही परिवार के आर्थिक ढांचे को भी तहस-नहस कर सामाजिक बुराइयों को ग्रहण कर अपराध के कारक बन जाते हैं।
कोविड-19 की महामारी के बचाव के कारण हुए लॉक डाउन के दौरान महीने भर से ज्यादा समय से दूसरी चीजों के साथ यह नशाखोरी की चीजें भी बंद रहने से जहां घर परिवारों में अमन चैन रहा है वहीं नशाखोरी से होने वाली अकाल मौतें, दुर्धटना, अपराध और घरेलू महिलाओं पर हिंसा जैसे अपराध भी घटे हैं।
ज्यादा विस्तार में न जाकर हम नागरिक आपसे आग्रह करते हैं कि एक महत्वपूर्ण अवसर प्रकृति ने हमें दिया है जिससे हम अपनी नशाखोरी कि गलत और अपराधिक आदतों से पिंड छुड़ा लें।
इसके साथ ही रोजगार को बनाए रखने के लिए वैकल्पिक जीवन रक्षक पेय पदार्थों से सम्बद्ध रोजगारों को उत्प्रेरित करना भी उतना ही जरूरी है वैकल्पिक तौर पर फ्रूट जूस काढ़ा, नींबू चाय, कॉफी, कहवा और दूध से जुड़े पेय आदि को प्रस्तुत किया जा सकता है।
अब तक के अनुभवों से यह बात भी साफ है कि शराबबंदी और नशाबंदी किसी एक प्रदेश में सफल नही हो सकी है क्योंकि पड़ोसी राज्यों से उसकी तस्करी होने लगती है।
गुजरात और बिहार में हुई शराबबंदी इसलिए विफल रही है। वहाँ शराबबंदी के बावजूद गली मोहल्लों के ठेलों तक में शराब सहज सुलभ है। इसलिए जरूरी है कि शराबबंदी सहित सम्पूर्ण नशाबंदी पूरे देश में एक साथ लागू हो।
सारे राज्यों के बीच आपसी सहमति बनाकर इसे लागू करवाया जाए और जब तक यह पूरी तरह से लागू न हो शराब और नशे से जुड़े तमाम व्यस्नों की दुकानें खोलने की इजाजत न दी जाए।
प्रधानमंत्री को पत्र लिखने वालों में निम्नलिखित संगठन के लोग शामिल हैं,
डॉ.वीरेंद्र सिंह- इंडियन अस्थमा केयर सोसायटी,
सवाई सिंह- राजस्थान समग्र सेवा संघ,
हेमलता कंसोटिया- नेशनल कम्पेन डिग्निटी एंड राइट सीवरेज एंड एलाइड वर्कर्स,
धर्मवीर कटेवा- राजस्थान प्रदेश नशाबन्दी समिति,
सीमा कुमारी- सवैधानिक अधिकार संघठन,
डॉ मोहम्मद इकबाल सिद्दीकी- नशामुक्त भारत आंदोलन राजस्थान,
बसन्त हरियाणा, अनिल गोस्वामी, राजस्थान नागरिक मंच,
राजेश यागिक, मधु गुप्ता- बंधुवा मुक्ति मोर्चा राजस्थान,
राजन चौधरी- तम्बाकू रहित राजस्थान अभियान जयपुर