राजस्थान

राजस्थान: भेदभाव की बढ़ती घटनाओं पर सामाजिक संगठनों ने ACS और पुलिस अधिकारीयों को लिखा पत्र!

By khan iqbal

April 07, 2020

राजस्थान के विभिन्न सामाजिक संगठनों ने 5 अप्रैल को राजीव स्वरुप (अतिरिक्त मुख्य सचिव, गृह विभाग राजस्थान सरकार), भूपेंदर सिंह (पुलिस महानिदेशक, राजस्थान पुलिस), आनंद श्रीवास्तव (पुलिस आयुक्त, जयपुर) और प्रफुल्ल कुमार (पुलिस आयुक्त जोधपुर) को पत्र लिखकर कोरोना महामारी के चलते, मुसलमानों के साथ नफरत और भेदभाव की बढ़ती घटनाओं पर तत्काल हस्तक्षेप करने की मांग की है।

ज्ञापन पत्र में सामाजिक संगठनों ने लिखा है कि,

हमारे प्रसंज्ञान में लाया गया है कि पिछले कुछ दिनों से मुस्लिम समाज को निशाना बनाते हुए उन्हें कोरोना वायरस फैलाने का जिम्मेदार सिद्ध किया जा रहा है। इलेक्ट्रोनिक व प्रिंट मीडिया के एक तबके ने इस मुद्दे को तब्लीगी जमात की घटना के बाद से साम्प्रदायिक रूप दे दिया तथा इसके साथ ही सरकार द्वारा जारी आंकडों की सूची में भी तब्लीग जमात के मामले अलग से प्रदर्शित किये जाने के कारण यह स्थिति बनी है।

हमें ज्ञान है कि जन तथ्य के आंतरिक आंकलन के लिए इसे अलग से देखने की आवश्यकता है किन्तु इन आंकड़ों के बाहर आने से यह आपदा साम्प्रदायिक रूप ले रही हैं।

इस कारण से सामान्य मध्यम वर्ग व निम्न वर्ग जो पहले से ही इस महामारी से डरा हुआ है, और नफरत के इस माहोल में, वह मुस्लिम समुदाय को ही इस महामारी का कारण मानने लगा है।

जयपुर

इस घटनाक्रम का यह प्रभाव पड़ा है कि जयपुर शहर में कुछ लोग मुस्लिम फल व सब्जी वालों को हाऊसिंग कॉलोनी की सड़कों और सार्वजनिक स्थानों पर आने से रोक रहे हैं। इसके साथ ही ठेले वाले का मुस्लिम नाम जानकर उनके फल लौटा रहे हैं या उनसे आधार कार्ड की फोटो कॉपी मांग रहे हैं।

इससे पुलिस की मानसिकता पर भी विपरित प्रभाव पडा हैं और पुलिस वाले द्वारा ठेले वाले को लौटाने की घटना भी हुई है।

जोधपुर

इस प्रकार जोधपुर के नागौरी गेट इलाके में हिन्दू पड़ोसियों ने अपने निकट रहने वाले मुसलमान मजदूरों को यह मानते हुए कि इनके द्वारा बिमारी का संक्रमण हो सकता है, मध्य रात्री में उनके घर का दरवाजा तोड़ दिया और उनके साथ गाली गलौच किया।

उन्होंने अपना दरवाजा बन्द कर लिया तथा ऊपर की मंजिल पर चढकर नागौरी गेट थाने को फोन कर अपना बचाव किया। भाग्यवश पुलिस 15 मिनट में आई और दोनों समूहों को थाने ले गई। अगले दिन उन मुस्लिम प्रवासी मजदूरों पर फिर से हमले की आशंका को देखते हुए अन्य कॉलोनी में विस्थापित किया गया। नागौरी गेट पुलिस ने उनके फोटा पहचान पत्र अपने रिकार्ड में ले लिए हैं।

जब इन मजदूरों को दूसरे क्षेत्र में ले जाया गया तो कुछ लोगों ने स्थानीय थाने को उनके आगमन की सूचना दे दी। स्थानीय थाने ने उनसे पूछताछ शुरू कर दी और उनके पहचान पत्र ले लिए। उसके पश्चात डॉक्टर्स बुलवाकर उनकी स्क्रीनिंग करवाई और पाया कि वे स्वस्थ हैं। वे मजदूर जो कि कुशल कशीदाकार हैं अब मुस्लिम क्षेत्र में हैं और अब अपने को सुरक्षित मानते हुए आगे कार्रवाई नहीं चाहते हैं।

भरतपुर

भरतपुर में एक गर्भवती मुस्लिम महिला को प्रसव के समय स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध नहीं करवाई गई, फलतः उसके बच्चों की मौत हो गई, जैसी अक्षम्य घटना हुई हैं। हम आश्वस्त हैं कि बच्चे की मौत तथा महिला की जान को खतरे में पहुँचाने जैसी घटना पर आपराधिक कार्रवाई की जाएगी।

इसी तरह के अनेक घटनाओं की प्रतिदिन जानकारी प्राप्त हो रही है। हमें चाकसू, टोंक और कोटा से भी साक्ष्य प्राप्त हुए हैं। हमने कुछ ही घटनाओं का उल्लेख यह बताने के लिए किया हैं कि किस तरह साम्प्रदायिकता के बीज कोरोना वायरस की घटना के कारण बोए जा रहे है। इसके वर्तमान व निकट भविष्य में भंयकर दुष्पपरिणाम देखने को मिलेंगे।

हमारा मानना है कि इस महामारी से जारी लॉक डाउन के कारण, भूख, आजीविका का संकट बढ़ा है तथा आम व्यक्ति के सेहत सुविधाओं का अभाव भी भंयकर संकट में हैं, इसके बीच इस समस्या को साम्प्रदायीकरण से बचाना चाहिए।

हमें डर है कि यह घटनाक्रम लिंचिंग की दिशा में ले जाएगा। सोशल मीडिया पर बहुसंख्यक समुदाय के लोगों द्वारा मुस्लिम समुदाय के लोगों को रोग का वाहक, फूलों पर थूकने वाला आदि जिस तरह से प्रचारित किया जा रहा है, वह भयानक है।

हमारी पुरजोर मान्यता है कि यह सब लिंचिंग तथा मुस्लिम समुदाय को चोट व नुकसान पहुंचाने का कारण बन जाए उसके पहले हमें मुस्लिम समुदाय को घृणा से बचाने के उपाय तुरन्त करने चाहिए।

हमारा कहना है कि

फल, सब्जी व दवाई लेने के लिए निकले लोगों पर पुलिस प्रताड़ना की कार्रवाई भी आपके संज्ञान में लाना चाहते हैं।

प्रशासन द्वारा पके हुए खाने तथा राशन वितरण की प्रक्रिया में ढीलेपन के कारण लोगों को घर से बाहर निकलने को मजबूर होना पड़ता हैं।

पुलिस द्वारा महिला, बुजुर्ग को भट्टा बस्ती थाना में मारने की फोटो आई हैं, इसी प्रकार सामाजिक कार्यकर्ता निशा सिद्ध एन.एफ.आई.डब्ल्यू. तथा सुमित्रा चोपड़ा महासचिव सी.पी.आई. को भी पुलिस की मार की धमकी सहनी पड़ी जबकि पुलिस मार की शिकार एक महिला को वे पूछने गई थी।

चांदपोल क्षेत्र में एक व्यक्ति जो प्रतिदिन हमारे से भोजन ले रहा था वह जब भोजन लेने बाहर निकला तो पुलिस मार से उसकी हडडी टूट गई। पुलिस को इस दिशा में संवेदनशील होने की जरूरत हैं।

हम उपरोक्त सभी घटनाओं की कड़ी निंदा करते है और यह कहना चाहते हैं की हम पुलिस राज में नही रह रहे हैं। यह लोकतंत्र है और डंडा मार कर लोगों को घर में नहीं धकेला जा सकता है । आपको समझाइश करनी पड़ेगी। पुलिस के विरुद्ध हम आप द्वारा इन मसलों में कार्यवाही की अपेक्षा करते हैं।

ज्ञापन देने वालों में निम्नलिखित संगठन शामिल हैं

पीयूसीएल राजस्थान – कविता श्रीवास्तव, भंवर लाल कुमावत (पप्पू), अखिल चौधरी सेंटर फॉर इक्विटी स्टडीज, राजस्थान – कोमल श्रीवास्तव, हेमंत मोहनपुरिया, बाबूलाल व जयप्रकाश निर्माण एवं जनरल मजदूर यूनियन – हरिकेश बुगालिया- मजदूर किसान शक्ति संगठन – निखिल डे राजस्थान असंगठित मजदूर यूनियन – मुकेश गोस्वामी- सूचना का अधिकार मंच – कमल टांक भारत ज्ञान विज्ञानं समिति – अनिल हेल्पिंग हैंड्स फाउंडेशन जयपुर – नईम रब्बानी, डॉ राशिद हुसैन, नुरुल अबसार, वकार अहमद,

जमाते इस्लामी हिन्द राजस्थान- मो. नाजिमुद्दीन ओमा फाउंडेशन – डॉ. सुनीता शर्मा पिंक सिटी हज एंड एजुकेशन वेलफेयर सोसाइटी – अब्दुल सलाम जोहर