कर्नाटक लोकसभा चुनाव में भारी जीत दर्ज करने वाली भाजपा निकाय चुनाव में धराशायी कैसे हो गई?

हाल ही में ईवीएम मशीनो से हुये लोकसभा चुनाव मे कर्नाटक की 28 सीटो में से 25 सीट भाजपा ने जीतकर एक तरह से प्रदेश से कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन का सफाया होने का संकेत देने के बावजूद एक सप्ताह बाद बेलट पेपर से कर्नाटक में हुये निकाय चुनाव में भाजपा को बुरी तरह पछाड़ते हुये कांग्रेस व जेडीएस के अलग अलग चुनाव लड़ने के बावजूद कांग्रेस ने भारी जीत दर्ज की है।

29-मई को कर्नाटक में 56 स्थानीय निकाय के कुल 1221 वार्डो में हुए चुनाव में कांग्रेस ने 509 वार्ड में, भाजपा ने 366 और जेडीएस ने 174 वार्डों मे जीत दर्ज की है। इनके अलावा 160 वार्डों मे अन्य व निर्दलीयो ने जीत दर्ज की है।

माना जाता है कि शहरो के अधिकतम मतदाताओं पर भाजपा का प्रभाव होता है। जबकि ग्रामीण मतदाताओ पर कांग्रेस व जेडीएस का असर होना पाया जाता है। लेकिन स्थानीय निकाय चुनाव मे कांग्रेस ने बड़ी जीत लेकर अधिकतम नगर परिषद व नगर पालिकाओ पर कब्जा करके शहरी मतदाताओं पर अपने प्रभाव का असर दिखा दिया है।

कुल मिलाकर यह है कि उनतीस मई को कर्नाटक मे हुये स्थानीय निकाय चुनाव के इकतीस मई को आये परिणाम मे कांग्रेस के एक तरफा जीत दर्ज करने के बाद कर्नाटक ही नही पूरे भारत मे ईवीएम मशीनों से होने वाले चुनाव पर शक गहराने लगा है।

मतदाताओं का मानना है कि अगर लोकसभा चुनाव बेलट पेपर से होते तो हो सकता है कि कर्नाटक मे बेलट पेपर से हुये स्थानीय निकाय चुनाव के परिणाम की तरह कोई अलग परिणाम आने की चर्चा काफी गरम है।

-अशफ़ाक़ कायमखानी

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