सरकारी आँकड़ों के मुताबिक़ हरियाणा की कुल 25,350,000 आबादी में हिंदू 87.46% हैं जबकि मुस्लिम 7.03% और सिख 4.91% हैं। इसके बावजूद हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर हरियाणा में NRC क्यों लाना चाहते हैं।

नज़रिया

क्यों हरियाणा में NRC लागू करने की बात कहकर मुख्यमंत्री खट्टर चुनावी फसल काट रहे हैं !

By khan iqbal

September 18, 2019

हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर ने हाल में NRC को लेकर एक बड़ा बयान दिया, खट्टर ने कहा आने वाले समय में अगर जरूरत पड़ी तो हरियाणा में भी NRC लागू किया जाएगा. अक्टूबर में हरियाणा में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं ऐसे में मुख्यमंत्री का यह बयान काफी मायनों में अहम माना जा रहा है।

गौरतलब है कि पिछले महीने ही असम में राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर यानी एनआरसी की अंतिम लिस्ट गृह मंत्रालय की तरफ से जारी हुई, इस लिस्ट में 19 लाख 6,657 लोगों के नाम नहीं हैं जबकि इस लिस्ट में अब 3 करोड़ 11 लाख 21 हजार लोगों के नाम हैं।

ऐसे में आइए मनोहर लाल खट्टर के बयान का विश्लेषण करके देखते हैं कि जमीनी हकीकत पर यह बयान कितना फिट बैठता है। आपको बता दें कि हरियाणा का इतिहास रहा है कि यहां हिंदू मुस्लिम समस्या कभी नहीं रही। हरियाणा का सिर्फ मेवात इलाक़ा मुस्लिम बहुल है जहाँ गाँवों में गिनती के मुसलमान रहते हैं।

सरकारी आँकड़ों के मुताबिक़ हरियाणा की कुल 25,350,000 आबादी में हिंदू 87.46% हैं जबकि मुस्लिम 7.03% और सिख 4.91% हैं। इसके बावजूद हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर हरियाणा में NRC क्यों लाना चाहते हैं….और सोने में सुहागा यह है कि हरियाणा कांग्रेस के सबसे बड़े नेता और पूर्व सीएम भूपेन्द्र सिंह हुड्डा ने भी इसका समर्थन किया है।

जल्द ही आप देखेंगे कि असम के बाद हरियाणा में एनआरसी का मुद्दा राष्ट्रीय मुद्दा बन जाएगा। फिर धीरे-धीरे बाक़ी बीजेपी शासित राज्य इसकी घोषणा करने लगेंगे….यह सब चुनाव की फ़सल काटने का इंतज़ाम है।

हरियाणा में जहाँ मुस्लिम आबादी ना के बराबर है, जहाँ कथित बांग्लादेशी घुसपैठियों की समस्या कभी नहीं रही, वहाँ एनआरसी के ऐलान का मतलब क्या है।

हरियाणा में बेरोज़गारी विकराल समस्या है। वहाँ के बच्चे या तो पहलवान या शूटर बनना चाहते हैं या फिर सरकारी नौकरी पाना चाहते हैं। हरियाणा में प्राइवेट सेक्टर की कंपनियाँ नहीं होतीं तो यह समस्या और बड़ी होती।

हरियाणा के जाट युवकों ने जाट आरक्षण आंदोलन चलाया। वह बताता है कि रोज़गार और सरकारी नौकरियों को लेकर हरियाणा की एक बड़ी आबादी के युवा क्या सोचते हैं? उस हरियाणा में खट्टर एनआरसी लाकर किन विदेशियों को बाहर करना चाहते हैं, इस गणित को समझना ज़्यादा मुश्किल नहीं है।

हरियाणा के जिस मेवात इलाक़े में मुस्लिम आबादी रहती हैं। वह घोर ग़रीबी और अशिक्षा का आलम है। मेवात का मुसलमान हाशिये पर पड़ा मुसलमान है। एनआरसी लाकर खट्टर उसे और हाशिये पर ढ़केलकर कोई बड़ा तीर नहीं मार लेंगे। लेकिन इससे प्राइवेट कंपनियाँ जो अपना धंधा शांतिपूर्ण माहौल में चला रही हैं, उनके लिए कई तरह की दिक़्क़तें खड़ी हो जाएँगी। उम्मीद है हरियाणा के लोग और ख़ासकर मीडिया इसे समझेगा।

– यूसुफ किरमानी, (ये लेखक के व्यक्तिगत विचार है।)