कल यानी 30 जनवरी 2020 को जामिया मिलिया इस्लामिया के विद्यार्थियों ने जामिया मिलिया इस्लामिया से राजघाट तक एक गाँधी शांति मार्च निकालने का निर्णय किया था!
यह मार्च सी ए ए एन आर सी और NPR के ख़िलाफ़ चल रहे आंदोलन के तहत एक कार्यक्रम था!
मार्च जैसे ही आगे बढ़ा एक युवक छात्रों के सामने आ गया उसके हाथ में पिस्तौल थी और उसने गोली चला दी!
उसकी फ़ेसबुक प्रोफ़ाइल से पता लगता है कि वह अपने आपको रामभक्त कहता है तथा यह हमला करने से पहले उसने फ़ेसबुक पर कई पोस्ट्स लिखीं इसमें वह शाहीन बाग़ को ख़त्म करने की बात कर रहा है!
इस हमले में जो छात्र घायल हुआ है वह जामिया मिलिया इस्लामिया में और मास कॉम का छात्र शादाब है!
शादाब ने उसे रोकने की कोशिश की तो युवक ने गोली चलायी और शादाब के हाथ में गोली लगी उसके बाद उसे होली फ़ैमिली अस्पताल और बाद में एम्स दिल्ली में भर्ती करवाया!
लेकिन अपने आपको रामभक्त कहने वाला गोपाल से ज़्यादा राम को और हिन्दुस्तान की संस्कृति को जाने वाला शादाब है
वह कभी रामझांकी यात्रा में नाचता है तो कभी राम बने किसी युवक के साथ ख़ुनुमा अंदाज़ में फ़ोटो खिंचवाता है!
शादाब का यह काम बताता है कि राम किसी को कट्टर नहीं बनाता था राम किसी पर गोली नहीं चलाता बल्कि राम एक समावेशी समाज की कल्पना का नाम है!
पत्रकार मोहम्मद अनस अपनी फ़ेसबुक वॉल पर लिखते हैं
“गोविंदपुरी, दिल्ली में रामलीली की झाँकी निकल रही थी। कश्मीर का रहने वाला और जामिया मिल्लिया इस्लामिया से जनसंचार एवं पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाला शादाब नजर उस रामझाँकी में जिस तरह से झूम कर नाच रहा है, उसके बाद भी आप जामिया में गोडसे की औलाद द्वारा गोली चलाए जाने के पक्ष में खड़े हैं तो आप सिवाय मनोरोगी के कुछ और नहीं है”
“यही शादाब है जिसके हाथ में कल गोडसे के कायर समर्थक की चलाई गोली लगी है। आप किसी से असहमत हैं तो हथियार के बज़ाए तर्कपूर्ण बहस कीजिए।
डिबेट का स्पेस रखिए। भावनाओं के बुखार में तपेंगे तो ऐसे ही देसी कट्टा कमर में खोंस कर किसी के ऊपर भी तान देंगे। इस देश की मिट्टी की समझ होगी तो किसी शादाब की तरह सीना ताने खड़े हो जाएंगे और कहेंगे,’ ई जो तुम कर रहे हो न बेट्टा, इसको बकलोली कहते हैं। इससे तुमको वो नहीं मिलेगा जो तुम चाहते हो।”‘