वर्ष 2021 में 9 महीनों में देश के 20 राज्यों में ईसाइयों पर 305 हमले, 30 मामलों में ही हुई FIR


साल 2021 में 9 महीनों में देश के 20 राज्यों में ईसाइयों पर 305 हमले हुए, केवल 30 मामलों में ही दर्ज हुई FIR !

ईसाइयों और अन्य अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों को लेकर मंगलवार को जयपुर के पिंक सिटी सेंट एन्सैल्म्स स्कूल में एसोसिएशन फोर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स (एपीसीआर) द्वारा एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेन्स का आयोजन किया गया।

एसोसिएशन फोर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स (एपीसीआर) के प्रदेशाध्यक्ष एडवोकेट सैयद सआदत अली ने कहा कि “यह देश धर्म निरपेक्ष है और यहाँ सभी को अपने धर्म एवं आस्था के अनुरूप आचरण करने और उसका प्रचार-प्रसार करने का पूरा अधिकार है, परन्तु कुछ लोग चाहते हैं कि नागरिकों से उनका यह अधिकार छीन लिया जाए।”

उन्होंने कहा कि “पिछले दिनों लगातार धर्म परिवर्तन का आरोप लगा कर ईसाई समुदाय पर हमले किये गए जो अत्यंत निन्दनीय हैं। देश के सभी शान्तिप्रिय नागरिकों को एकजुट हो कर पीड़ितों की रक्षा के लिए आगे आना चाहिये,”

इस अवसर पर जयपुर ईसाई धर्मप्रान्त के अध्यक्ष बिशप ओस्वाल्ड लुइस ने कहा कि हम सब भारत में सदियों से मिल-जुल कर प्रेम से रहते आए हैं और अपने अपने धर्म का पालन करते आए हैं, परन्तु पिछले कुछ समय से कुछ लोग देश में नफरत का वातावरण बना रहे हैं जो दुःखद है। हमें देश में प्रेम का वातावरण बनाते हुए देश को विकास के पथ पर ले जाना चाहिये।

जमाअते इस्लामी हिन्द के प्रदेशाध्यक्ष मुहम्मद नाज़िमुद्दीन ने कहा कि देश की आज़ादी के बाद से ही कुछ समूह लगातार इस बात से नाराज़ रहे हैं कि महात्मा गांधी सहित हमारे उस समय के नेताओं ने भारत को एक धर्म निरपेक्ष राष्ट्र बनाना पसंद किया और यहाँ बसने वाले सभी नागरिकों को समान अधिकार देना तय किया।

उन्होंने कहा कि आज़ादी के बाद से अब तक हमारा देश हज़ारों साम्प्रदायिक दंगों का दंश झेल चुका है जिनमें दसियों हज़ार जानें जा चुकी हैं और अरबों रुपयों की व्यक्तिगत और राष्ट्रीय सम्पत्ति तबाह हो चुकी है, इसी क्रम में ईसाइयों पर होने वाले हमले भी आते हैं और असम और त्रिपुरा सहित देश भर में मुसलमानों पर हुए हमले भी शामिल हैं।

उन्होंने कहा कि आज़ादी के बाद से ही देश में एक समूह नफ़रत का वातावरण तैयार करता रहा है। ईसाई समुदाय पर समय-समय पर व्यक्तिगत और सामूहिक हमले होते रहे हैं, जिनमें पादरी ग्राहम स्टेन्स की बर्बर हत्या को शायद देश कभी नहीं भूल पाएगा।

इस अवसर पर भारतीय बोद्ध महासभा के प्रदेशाध्यक्ष टी.सी. राहुल ने कहा कि हमारा देश बहुधर्मी है, देश में ग़ैर हिन्दू लोग हज़ारों वर्षों से रहते आए हैं परन्तु जैसा नफ़रत का वातावरण आज बनाया गया है किसी भी धार्मिक समुदाय पर हमले देश की एकता और अखण्डता के लिए घातक है।

फोरम फोर डेमोक्रेसी एण्ड कम्यूनल एमिटी के प्रदेशाध्यक्ष सवाई सिंह ने कहा कि जो लोग नफरत फैलाते हैं वे धर्म का ज्ञान नहीं रखते, धर्म संसद के नाम पर अधर्म फैलाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि ये लोग गांधी पर भी हमले कर रहे हैं परन्तु जो गांधी उनकी गोली से नहीं मरे वे उनकी गालियों से क्या मरेंगे। उन्होंने कहा कि ये वोटों के लिए हिन्दू धर्म के नाम पर नफ़रत फैलाते हैं, इन्हें रोकने के लिए आम जनता को आगे आना होगा।

इस अवसर पर एक फेक्ट फाईडिंग रिपोर्ट का भी विमोचन किया गया जिसमें एसोसिएशन फ़ोर प्रोटेक्शन ऑफ़ सिविल राइट्स, युनाइटेड अगेन्स्ट हेट और युनाइटेड क्रिस्चियन फोरम की एक संयुक्त टीम द्वारा तैयार किया गया।

वर्ष 2021 में 9 महीनों में देश के 20 राज्यों में हुए 305 हमलों का ब्योरा है जो व्यक्तियों पर भी हुए और धार्मिक स्थलों पर भी। रिपोर्ट में आश्चर्य व्यक्त किया गया कि इन 305 घटनाओं में केवल 30 मामलों में ही एफआईआर दर्ज की गई। रिपोर्ट के अनुसार उत्तरी राज्यों में हिंसा की सबसे अधिक घटनाएं घटी हैं।

उत्तर प्रदेश में 66, छत्तीसगढ़ में 47, झारखण्ड में 30, बिहार में 19, गुजरात में 9, पंजाब में 5, हरियाणा में 5, उत्तराखण्ड में 5, दिल्ली में 3, पश्चिमी बंगाल में 2, राजस्थान में 2, आसाम में 1 और हिमाचल प्रदेश में 1 घटना ईसाइयों पर हमले की हुई है।

दक्षिणी राज्यों में ईसाइयों पर हमले की सर्वाधिक 32 घटनाएं अकेले कर्नाटक में हुईं, वहीं ओडिशा में 15, महाराष्ट्र में 13, तमिल नाडु में 12, आन्ध्र प्रदेश में 5। ये हिंसा की वे घटनाएं हैं जो फेक्ट फाइण्डिंग टीम द्वारा सत्यापित की गईं। ये घटनाएं 305 से अधिक भी हो सकती हैं।

रिपोर्ट में बताया गया कि इन 305 घटनाओं में लगभग 1,331 महिलाएं, 588 आदिवासी और 513 दलित घायल हुए हैं जिनमें से कई को गम्भीर चोटें भी आईं। लगभग 23 धर्म स्थलों में तोड़-फोड़ की गई और 85 घटनाओं में ईसाई समुदाय के लोगों के धार्मिक क्रियाकलापों पर पाबन्दी लगाई गई। कई मामलों में ईसाई धर्मावलम्बियों को सामाजिक बहिष्कार किया गया और कई में सार्वजनिक हेण्ड पम्प या नलों से पानी लेने तक पर रोक लगाई गई।

दूसरी रिपोर्ट आसाम में पिछले दिनों हुई हिंसक घटनाओं पर आधारित थी। जिन लोगों को एनआरसी के माध्यम से संदिग्ध वोटर क़रार दे दिया गया था उनसे गाँव ख़ाली कराने के दौरान पुलिस ने हिंसा का रास्ता अपनाया और कई मासूम जानें चली गईं। इनमें वे लोग भी थे जो एनआरसी में देश के वास्तविक नागरिक माने गए थे। सभी मामलों में पुलिस ने अनावश्यक और बिना चेतावनी के फाइरिंग की जिसमें निर्दोष लोग मारे गए या घायल हुए। सैयद सआदत अली के अनुसार यह वास्तव में उस नफ़रत का नतीजा था जो कई सालों से एक समूह द्वारा फैलाई जा रही थी।


 

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