हिमा दास जैसी प्रतिभाशाली बेटियों की सफलता क्रिकेट के शोर में क्यूँ दब जाती हैं!


पिछले  साल जुलाई का ही महीना था तारीख़ थी 12 !cricket के मैदान पर जब भारत इंग्लैंड को उसके घर में ही करारी मात दे रहा था, तब ट्विटर पर पहला ट्रेंड ना तो छह विकेट लेने वाले कुलदीप यादव थे, और न ही शतक जड़ने वाले रोहित शर्मा.

बल्कि असम की 18 वर्षीय एथलीट हिमा दास का नाम सबसे ऊपर ट्रेंड कर रहा था. वो इसलिए क्योंकि चंद मिनट पहले ही उन्होंने फिनलैंड के टैम्पेयर शहर में इतिहास रच दिया था.

हिमा ने आईएएएफ विश्व अंडर-20 एथलेटिक्स चैंपियनशिप की 400 मीटर दौड़ स्पर्धा में गोल्ड मेडल जीता है.

यह पहली बार था कि भारत को आईएएएफ की ट्रैक स्पर्धा में गोल्ड मेडल हासिल हुआ है. उनसे पहले भारत की कोई महिला खिलाड़ी जूनियर या सीनियर किसी भी स्तर पर विश्व चैम्पियनशिप में गोल्ड नहीं जीत सकी थी.

हिमा ने यह दौड़ 51.46 सेकेंड में पूरी की. रोमानिया की एंड्रिया मिकलोस को सिल्वर और अमरीका की टेलर मैंसन को ब्रॉन्ज़ मेडल मिला.

अब साल है 2019 और महीना वहीं जुलाई का!
ऐथलेटिक्स में लगातार गोल्ड हासिल करके इतिहास रच रहीं हिमा दास ने एक महीने के भीतर उन्होंने 5 गोल्ड मेडल हासिल किए हैं। हिमा की कहनी भी काफी दिलचस्प है।

18 साल की हिमा असम के छोटे से गांव ढिंग की रहने वाली हैं और इसीलिए उन्हें ‘ढिंग एक्सप्रेस’ के नाम से भी जाना जाता है। 18 साल की हिमा ने दो साल पहले ही रेसिंग ट्रैक पर कदम रखा है। वह एक गरीब किसान परिवार से ताल्लुक रखती हैं।

 

पिता रंजीत दास के पास मात्र दो बीघा जमीन है। इसी जमीन पर खेती करके वह परिवार के सदस्यों की आजीविका चलाते हैं। हिमा किसी भी जीत के समय अपने परिवार के संघर्षों को याद करती हैं और उनकी आंखों से आंसू छळक पड़ते हैं।

हिमा दास ने जिला स्तर की स्पर्धा में सस्ते जूते पहनकर दौड़ लगाई और गोल्ड मेडल हासिल किया। यह देखकर निपुन दास हैरान रह गए। उनकी गति अद्भुत थी। निपुन दास ने उनको धावक बनाने की ठान ली और गुवाहाटी लेकर गए। कोच ने उनका खर्च भी वहन किया।

शुरू में उन्हें 200 मीटर की रेस के लिए तैयार किया गया। बाद में वह 400 मीटर की रेस भी लगाने लगीं।
हिमा दास () ने शनिवार को चेक रिपब्लिक में 400 मीटर की रेस 52.09 सेकंड में पूरी की और भारत के नाम एक और गोल्ड हासिल किया. हिमा ने पहला गोल्ड 2 जुलाई को जीता था.

 

हिमा ने 2 जुलाई को पोलैंड में पोजनान एथलेटिक्स ग्रांड प्रिक्स में 200 मीटर रेस में हिस्सा लिया था. यहां उन्होंने 23.65 सेकंड में उस रेस पूरा कर गोल्ड जीता था.

दूसरा गोल्ड हिमा ने 7 जुलाई को पोलैंड में कुटनो एथलेटिक्स मीट में 200 मीटर रेस को 23.97 सेकंड में पूरा कर जीता था. उन्होंने ने तीसरा गोल्ड 13 जुलाई को चेक रिपब्लिक में हुई क्लांदो मेमोरियल एथलेटिक्स में महिलाओं की 200 मीटर रेस को 23.43 सेकेंड में पूरा कर जीता था.

जबकि उन्होंने चौथा गोल्ड इसी देश में 17 जुलाई को ताबोर एथलेटिक्स मीट में 200 मीटर रेस को 23.25 सेकंड में पूरा कर जीता था
लेकिन इस बार हिमा उसको अपने ही देश वासियों को यह बताने के लिए कि उन्होंने मेडल जीत लिए हैं पाँच मेडल जीतना पड़ा क्योंकि देश क्रिकेट के ग़म में डूबा हुआ था!

धान के खेतों से संघर्ष की कहानी लिख कर निकली हिमा दास ने दुनिया भर में भारतीय तिरंगे को गर्व के साथ हवा में लहराया लेकिन देश के लोग तो क्रिकेट की कुलबुलाहट बाढ़ में डूबे लाखों लोगों को भूल गयी उन्हें ग़रीबी से लड़कर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम ऊँचा करने वाली हीमा दास कहाँ याद रहती!

क्रिकेट के नाम पर हम लोग ख़ूब आँसू बहाते हैं लेकिन संघर्ष और जज्बे की मिसाल हिमा दास जैसी हज़ारो बेटियां अभिजात लोगों के इस खेल के शोर में कहीं गुम हो जाती है!

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