बोहरा ने मोदी सरकार की आदर्श ग्राम योजना के तहत सांगानेर विधानसभा में आने वाला गांव भापुरा गोद लेने के बाद एक मॉडल शहर बनाने के तमाम वादे-कसमें खाई गई।

Janamanas Investigation

Ground Report : क्यों रामचरण बोहरा के आदर्श गांव भापुरा में “विकास” को ढूँढ़ रहे हैं लोग !

By khan iqbal

April 16, 2019

2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के अलावा एक लहर राजस्थान की जयपुर शहर लोकसभा सीट ओर भी देखने को मिली, जी हां, भाजपा से रामचरण बोहरा ने 8 लाख 63 हजार 358 वोट हासिल कर देश में सबसे ज्यादा वोट हासिल करने वाले सांसद का रिकॉर्ड बनाया।

अब जब चुनाव में वोटों के सारे रिकॉर्ड टूटे तो जनता को विकास के कामों की भी लाइन लगने की उम्मीद थी, जो 5 साल तक खोखले वादों में उलझ कर रह गई।

बोहरा ने मोदी सरकार की आदर्श ग्राम योजना के तहत सांगानेर विधानसभा में आने वाला गांव भापुरा गोद लिया। गोद लेने के साथ ही भापुरा को एक मॉडल शहर बनाने के तमाम वादे-कसमें खाई गई।

जनमानस राजस्थान की ग्राउंड रिपोर्ट में यह पता चला है कि गोद लिए गांव की हालत 5 साल बाद आज भी बेहद खराब है। गांव के लोग आज मूलभूत सुविधाओं के लिए भी तरस रहे हैं।

● अस्पताल की जमीन का फीता काट गए बोहरा

जमीनी हकीकत तलाशने जब जनमानस की टीम गांव पहुंची तो गांव वालों ने बताया कि गांव के लोगों ने मिलकर खुद अस्पताल के लिए जमीन सरकार को उपलब्ध करवाई जिसके बाद बोहरा जी ने जमीन का फीता काटने के बाद गांव में नहीं दिखे।

पांच साल गुजरने के बाद गांव में अस्पताल की इमारत तक खड़ी नहीं हो पाई। ग्रामीणों का आरोप है कि आज भी इमरजेंसी में हमें SMS अस्पताल भागना पड़ता है।

● स्कूल की इमारत कमरों के लिए चीख रही है!

गांव के ही छात्रों का कहना था कि शिक्षा व्यवस्था के नाम पर गांव की हालत 5 सालों में बद से बदतर हो गयी। आज गांव की सीनियर सैकेण्डरी स्कूल में छात्रों के बैठने के लिए पर्याप्त कमरे तक नहीं है।

● 5 साल पहले दिखाया मॉडल तालाब का सपना

ग्रामीणों ने पानी की समस्या से जूझने की भी शिकायत की, जिस तालाब को मॉडल तालाब बनाने के डींगे हांके गए, आज 5 साल बाद भी तालाब की हालत जस की तस है।

इसके अलावा ट्रांसपोर्ट, बिजली जैसी सुविधाओं के लिए भी गांव वालों को अपने सांसद बोहरा से कई शिकायतें हैं।

आपको बता दें कि सासंद आदर्श ग्राम योजना के तहत देश के हर एक सांसद को गोद लिए गांव में अस्पताल, रोजगार, पानी, ट्रांसपोर्ट जैसी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाना था, जो 5 साल बाद केवल कागजों में धूल फांक रही है।

– अवधेश पारीक

(तमाम जानकारी जनमानस की ग्राउंड रिपोर्ट पर आधारित है)