आज गांधीवादी गहलोत मुख्यमंत्री होते तो गांधीवादी तरीके से हो रहे विरोध को जरूर सुनते!


राजस्थान में भाजपा सरकार का ज़ुलम बढ़ता जा रहा है। उर्दू के साथ सौतेला ब्यौहार किया जा रहा है। पद समाप्त किये जा रहे हैं। बच्चों को मातृभाषा से वंचित किया जा रहा है। कोई आदमी गांधीजी के पदचिन्ह पर चलते हुए डांडी यात्रा निकाल रहा है तो इससे भी भाजपा सरकार के कान पर जूं नहीं रेंग रही। ये सरकार गांधीजी की शिक्षाओं को बहुत ही हल्के में ले रही है। अभी इसी हफ्ते कोई हिंसा पर उतारू होकर पटरी पर बैठ गया था तो सरकार ने उसकी मांगो पर सहमति बनाकर उन्हें सम्मान के साथ पटरी से उठवा दिया था। और इधर गांधीवादी तरीके पर चल रहे शिक्षकों का कोई भेल्यू ही नहीं है।

आज अगर गहलोत जी होते हमारे मुख्यमंत्री तो ऐसी दशा कतई ना होती उर्दू की, और ना ही प्रदेश की.. गहलोत जी मारवाड़ के गांधी कहलाए जाते हैं। गांधीवादी तरीके से हो रहे विरोध को वे जरूर सुनते। लेकिन परदेस में गोडसेवादियों का शासन आ गया है जिन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता चाहे जैसा अहिंसात्मक आन्दोलन कर लो। भाजपा सरकार सब सुन रही है, मगर ध्यान नहीं दे रही। अल्लाह इतनी निर्लज्ज सरकार रवाण्डा वालों को भी ना दे। आमीन….

राजस्थान की भाजपा सरकार को लग रहा है कि “उर्दू उन लोगों की भाषा है”.. इसीलिए ये सरकार एक ऐसी भाषा पर प्रहार कर रही है जो भाषा भारत मे हिंदी के बाद सबसे ज्यादा प्रयोग हो रही है। जबकि उर्दू केवल उन लोगों की भाषा नहीं है, ये इन लोगों की भी भाषा है। इक़बाल अशअर लिख गए हैं –

उर्दू है मेरा नाम, मैं ख़ुसरो की पहेली
मैं मीर की हमराज़ हूं, ग़ालिब की सहेली

क्‍यूं मुझको बनाते हो तआस्‍सुब का निशाना
मैंने तो कभी ख़ुद को मुसलमां नहीं माना
देखा था कभी मैंने भी ख़ुशियों का ज़माना
अपने ही वतन में हूं मगर आज अकेली

लेकिन भाजपा की ज़ालिम सरकार ये बातें नहीं समझेगी… या मौला हमारा तू अशोक गहलोत जी को बना दे.. वही हमारे मसीहा हैं… हम अपना पूरा भोट बैंक उनपर न्यौछावर कर देंगे.. पोलिंग बूथ पर लंबा लंबा लाइन लगाकर उन्हें जितवाने के लिए भोट करेंगे.. बस तू अगली बार मुख्यमंत्री उन्हें बनाना मेरे मौला। अशोक गहलोत आज मुख्यमंत्री होते…. तो कुछ और बात होती।

~अब्बास पठान (जोधपुर)

 

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