जनमानस विशेष

मजबूरी का नाम महात्मा गांधी नहीं, गांधी हमारी मजबूरी है : तुषार गांधी

By khan iqbal

August 09, 2019

मजबूरी का नाम महात्मा गांधी नहीं, गांधी हमारी मजबूरी है : तुषार गांधी

अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन की 78वीं वर्षगांठ और महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के अवसर पर 9 अगस्त को गांधी विरासत मंच जयपुर की ओर से कनोडिया महिला महाविद्यालय के सभागार में विशेष सभा एवं रैली का आयोजन किया गया।

जहां “भारत छोड़ो आंदोलन एवं वर्तमान चुनौतियाँ” विषय पर सभी गणमान्य लोगों ने अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के तौर पर महात्मा गांधी के प्रपौत्र एवं निदेशक गांधी फाउंडेशन के अध्यक्ष श्री तुषार गाँधी ने शिरकत की।

वहीं विशिष्ट अतिथि न्यायाधीश श्री पानाचन्द जैन मौजूद रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता न्यायाधीश श्री विनोद शंकर दवे ने की।

सभा का संचालन करते हुए राजस्थान समग्र सेवा संघ के अध्यक्ष सवाई सिंह ने अपने विचार व्यक्त किये, जहां उन्होंने गांधी को आज के परिदृश्य में देखने की महत्ता बताई।

मुख्य अतिथि तुषार गांधी ने बताया कि गांधी के दौर में उनकी आवाज़ के साथ समाज के हर एक इंसान ने सुर मिलाया। वहीं कस्तूरबा गांधी, अरुणा आसिफ अली जैसी महिलाओं की आंदोलन में रही भूमिका से लोगों को अवगत करवाया।

मजबूरी का नाम महात्मा गांधी नहीं बल्कि गांधी हमारी मजबूरी है – तुषार गांधी

गांधी की आज के दौर में अहमयित पर बोलते हुए तुषार गांधी बोले गांधी की तस्वीर पर चाहे कितनी ही गोलियां चले लेकिन गांधी के विचारों की हत्या नहीं हो सकती।

वर्तमान परिस्थितियों पर बोलते हुए तुषार बोले आज देश असहिष्णुता, वैमनस्य, धर्मान्धता से जूझ रहा है ऐसे में हमें हर दिन एक नागरिक होने का फर्ज अदा करना होगा। हम लोकशाही में रहते हुए भी एक तरह की विचारों की गुलामी में जीने को आज मजबूर है।

आखिर में तुषार गांधी ने गांधी के भारत छोड़ो आंदोलन को आज के परिक्षेप्य में समझने की जरूरत से लोगों को रूबरू करवाया।

वहीं कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि न्यायाधीश पानाचन्द जैन ने अपने विचार रखते हुए कहा कि आज गांधी की दी हुई अहिंसा की परिभाषा प्रासंगिक नहीं है। हमें गांधी के तीन सूत्र स्वराज, अहिंसा और समन्वय पर काम करना होगा।

इसके अलावा कार्यक्रम में मौजूद मोहन श्रोतीया ने वर्तमान सरकार को घेरते हुए इतिहास से खिलवाड़ करने की बात कही। वरिष्ठ पत्रकार सुधांशु मिश्र ने इस मौके पर लीक से हटकर सोचने को ही गांधी होना बताया।

कार्यक्रम के समापन में आयोजकों की ओर से पेंटिंग प्रदर्शनी का आयोजन किया गया, जहां महाविद्यालय की छात्राओं ने सुंदर पेंटिंग्स से हर किसी को अभिभूत किया।